नेतन्याहू की नीतियों के विरोध में प्रदर्शन

गाजा में इजरायल और हमास के बीच हुआ संघर्षविराम समझौता टूट चुका है। इजरायल ने एक बार फिर गाजा जंग में पूरी ताकत झोंकने का फैसला कर लिया है। हजारों मौतों के बाद भी एक तरफ जहां इस जंग के रुकने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ इजरायल के अंदरूनी हालात भी बिगड़ते जा रहे हैं। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की युद्ध नीतियों और उनके फैसलों के खिलाफ हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं। इन सबके बीच इजरायली सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस ने देश में गृहयुद्ध की चेतावनी जारी कर दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर नेतन्याहू सरकार शीर्ष अधिकारियों को हटाने के फैसले से पीछे नहीं हटती है तो देश में बड़ा भूचाल आ सकता है।
इजरायल के लोगों में ताजा गुस्सा तब भड़का है जब प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने पिछले सप्ताह देश के खुफिया प्रमुख को पद से हटाने की घोषणा की थी। देश के आंतरिक सुरक्षा सेवा शिन बेट के प्रमुख रोनेन बार पर हमास के 7 अक्टूबर, 2023 के हमलों को रोकने में विफल रहने के आरोप लगाए गए हैं। यह काफी नहीं था कि नेतन्याहू की सरकार ने अब देश के अटॉर्नी जनरल को बर्खास्त करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। अटॉर्नी जनरल पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। हालांकि लोगों का कहना है कि नेतन्याहू यह सब इसीलिए कर रहे हैं क्योंकि ये अधिकारी नेतन्याहू के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के मुकदमों की जांच कर रहे हैं। इजरायल में नेतन्याहू की सरकार और न्यायपालिका के बीच 2023 से ही टकराव चल रहे हैं। 2023 में नेतन्याहू ने देश न्यायपालिका में बड़े बदलाव करने का ऐलान किया था। उनके इस फैसले के बाद देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन भी हुए थे। आलोचकों के मुताबिक इस बदलाव का मकसद नेतन्याहू को ताकतवर बनाना और ज्यूडिशियरी की शक्तियों को छीनना था। वहीं नेतन्याहू का कहना है कि देश में “डीप स्टेट” उन्हें सत्ता से हटाने की साजिशें कर रहा है। अब नेतन्याहू ने खुफिया प्रमुख और अटॉर्नी जनरल को बर्खास्त करने का फैसला ले कर एक बार फिर तहलका मचा दिया है और रोनेन बार को बर्खास्त करने के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी गई है।