विविध

जिंदगी निगल रही हताशा

 

 

लोगों के जीवन में निराशा-हताशा गहरे तक उतर रही है। सामाजिक संबन्धों में लगातार आ रहे एकाकीपन का परिणाम है कि जिन समस्याओं को दोस्तों परिजनों या पडोसी के साथ शेयर कर चुटकियों में हल निकाल लेते थे। अब ऐसा नहीं होता और इंसान कई बार अंदर ही अंदर घुलते हुए अवसाद का शिकार बन जाता है। संभवतः इसी का नतीजा है कि इन दिनों देश में लोगों में आत्महत्या करने की कायरतापूर्ण दुष्प्रवृत्ति तेजी से बढ़ती जा रही है। एन.सी.आर.बी. की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में देश में 1,70,924 मौतें आत्महत्याओं के कारण हुईं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो  की साल 2022 की रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले साल देश में सुसाइड के कुल 1 लाख 71 हजार मामले रिकॉर्ड किए गए। यानी हर दिन 468 लोगों ने आत्महत्या की। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सुसाइड हुए। यहां 22,746 लोगों ने आत्महत्या की। तमिलनाडु में 19,834 और मध्य प्रदेश में 15,386 लोगों ने सुसाइड किया।

आत्महत्या करने वालों में 11,290 लोग खेतिहर मजदूर या किसान थे। इनमें 5,207 किसान और 6,083 खेतिहर मजदूर थे। इस हिसाब से हर दिन 30 मजदूरों या किसानों ने सुसाइड किया। यह 2021 की तुलना में 3.7 फीसद ज्यादा है। 2021 में कृषि क्षेत्र से जुड़े 10,881 लोगों की आत्महत्या से मौत हुई थी। इनमें 5,318 किसान और 5,563 खेतिहर मजदूर थे। पुरुष किसानों की संख्या 4,999 और महिलाओं की 208 थी। महानगरों की बात करें तो दिल्ली में सबसे ज्यादा 3,367, बेंगलुरु में 2,313, चेन्नई में 1,581 और मुंबई में 1,501 लोगों ने पिछले साल आत्महत्या की। दिल्ली में 2021 की तुलना में आत्महत्या के मामले 21 फीसद बढ़े हैं। देश में 2021 के मुकाबले यह आंकड़ा 4.2 फीसद बढ़ा है।

बढ़ती सुसाइड की घटनाओं के लिए बीमारी पारिवारिक विवाद से उपजा अवसाद सुसाइड की सबसे बड़ी वजह है। आत्महत्या के आधा से ज्यादा मामलों में फैमिली प्रॉब्लम और बीमारी से परेशान होकर लोगों ने अपनी जान दे दी। प्रेम प्रसंग और शादी में प्रॉब्लम के कारण 9.3 फीसद सुसाइड हुए। 4.1 फीसद मामलों में लोगों ने कर्ज या दिवालियापन के कारण आत्महत्या की। 31.7 प्रतिशत आत्महत्याएं पारिवारिक कारणों, 4.8 प्रतिशत वैवाहिक संबंधों, 4.5 प्रतिशत प्रेम प्रसंगों, 18.4 प्रतिशत बीमारी, 6.8 प्रतिशत नशे की लत, 1.9 प्रतिशत बेरोजगारी,

4.1 प्रतिशत आर्थिक तंगी व कर्ज, 1.2 प्रतिशत करियर और नौकरी व 1 प्रतिशत आत्महत्याएं गरीबी का परिणाम हैं।

आए दिन हर जिले में आत्महत्या के मामले सामने आते हैं। हर आत्महत्या के पीछे कोई न कोई वजह होती है लेकिन कई बार यह कारण इतना मामूली होता है कि कोई इस वजह से या इतना छोटी सी बात पर जीवन खत्म कर सकता है अनुमान लगाना भी मुश्किल होता है। उदाहरण के लिए सबसे ताजा मामला मथुरा यूपी का है

बिहार के मुजफ्फरपुर से लापता तीन किशोरियों ने उत्तर प्रदेश के मथुरा में ट्रेन के आगे आकर एक साथ आत्महत्या कर ली। घटना 24 मई की है, तीनों शवों की परिजन ने पहचान कर ली है। मगर इस आत्महत्या केस की गुत्थी तीनों लड़कियों के हाथों में लगी ताजी मेहंदी और उनके गुम मोबाइल में उलझ गई है। इस गुत्थी को सुलझाने के लिए एसआईटी गठित की गई है।लोको पायलट शिवकुमार के अनुसार तीनों लड़कियां आपस में हाथ पकड़े आईं और जानबूझकर तेज आ रही मालगाड़ी के सामने कूद गई।  शिव कुमार ने ब्रेक लगाए, ट्रेन रुकी तो गार्ड ने उतरकर देखा। तीनों की मौत हो चुकी थी।

एक अन्य वारदात में 11 मई को संगरूर में एक मां-बेटी ने अपने वैवाहिक जीवन की समस्याओं के कारण रेल के नीचे कट कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। 11 मई को ही लुधियाना के इस्लामगंज इलाके में अपनी पत्नी से झगड़े के बाद एक व्यक्ति ने अपनी छाती में चाकू घोंप कर आत्महत्या कर ली। 14 मई को बठिंडा में कालेज के होस्टल में रहने वाली बी.ए. (द्वितीय वर्ष) की छात्रा ने एक युवक तथा उसकी मां द्वारा उस पर शादी के लिए दबाव डालने के कारण फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। 15 मई को महाराष्ट्र के जलगांव में क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के आवास पर तैनात एक पुलिस कांस्टेबल ने अपने गृह नगर जामनेर में रात के समय अपने सिर पर गोली मार कर आत्महत्या कर ली। 16 मई को होशियारपुर के मोहल्ला न्यू दीपनगर के एक युवक ने मानसिक परेशानी के कारण फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। 18 मई को तेलुगू टैलीविजन अभिनेता चंद्रकांत ने अपने फ्लैट में आत्महत्या कर ली। वह कुछ दिन पूर्व अपने साथी कलाकार पवित्रा जयराम की एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु के बाद से अवसाद से ग्रस्त थे। 20 मई को तपा मंडी में एक विवाहिता ने अपने पति के व्यवहार से तंग आकर बेटी सहित जोगा रल्ला नहर में कूद कर आत्महत्या कर ली। 21 मई को मध्य प्रदेश में राजगढ़ जिले के खिलचीपुर से विधायक हजारी लाल दांगी के पोते विकास दांगी ने इंदौर में सल्फास निगल कर जान दे दी।

पुलिस के अनुसार यह घटना प्रेम प्रसंग का परिणाम है। 23 मई को बिजनैस में घाटे से परेशान अनाज मंडी खन्ना के एक आढ़ती ने गांव कौड़ी के निकट ट्रेन के आगे कूद कर आत्महत्या कर ली।  23 मई को ही हरियाणा के जींद में अपने पति की मौत से परेशान महिला ने अपनी दोनों बेटियों को जहर देने के बाद स्वयं भी जहरीला पदार्थ खा लिया, जिससे महिला और उसकी एक बेटी की मौत हो गई। 23 मई को ही तमिलनाडु में शिवाकाशी के निकट थिरुथांगल में एक परिवार के 5 सदस्यों ने कर्ज तले दबे होने के कारण आत्महत्या कर ली।  23 मई को ही पंजाब में फिरोजपुर के कस्बा तलवंडी भाई में एक किराना की दुकान चलाने वाले अमन गुलाटी ने आर्थिक हानि के कारण मानसिक रूप से परेशान होकर परिवार सहित जहरीली वस्तु निगल ली जिससे अमन गुलाटी, उसकी पत्नी पिंकी व दोनों बेटियों की मृत्यु हो गई। 23 मई को ही राजस्थान के ब्यावर जिले के जयतारण थाना क्षेत्र में अपहरण एवं सामूहिक बलात्कार के गिरफ्तार आरोपी ने लॉकअप में कम्बल को काट कर फंदा बनाया और उससे लटक कर आत्महत्या कर ली। 24 मई को छत्तीसगढ़ के ‘मोहला मानगढ़’ जिले के अम्बागढ़ चैकी में एक सर्राफ ने आर्थिक कारणों से परेशानी के चलते आत्महत्या कर ली। 24 मई को ही जयपुर में एक कालेज के छात्रावास में रहने वाले बी.एससी. पहले वर्ष के छात्र ने पंखे से लटक कर जान दे दी। 24 मई को ही फरीदाबाद के सराय थाना क्षेत्र के सैक्टर-37 में एक कारोबारी और उसके परिवार के 5 अन्य सदस्यों ने अपने हाथों की नसें काट ली जिससे कारोबारी की मौत हो गई।

ये सिर्फ पिछले कुछ दिनों की बानगी मात्र है। साफ है कि हर दिन सुसाइड के मामलों की झड़ी लगी है। यहां यह भी बता दें कि आत्महत्या की बहुत सी वारदातें किसी रिकार्ड पर नही आ पाती हैं वहीं कुछ हत्या की वारदातों को भी साजिश कर आत्महत्या करार दे दिया जाता है पुलिस भी रिकार्ड पर अपराध घटाने के फेर में हत्या को आत्महत्या बनाने में कई बार सहयोग करती है। यहां यह भी स्पष्ट है कि आज आत्महत्याओं के कारण  बड़ी तादाद में युवा छात्र छात्राए युवक युवतियां जान गंवा रहे हैं। इसके चलते लाखों परिवार उजड़ रहे हैं बहुत बड़ी तादाद ऐसे परिवारों की भी है जिनके इकलौते चिराग के आत्महत्या करने के बाद उन्हे जीवन जीने का कोई मकसद ही नहीं रह गया है। आम आदमी से लेकर फिल्मी सितारों राष्ट्रीय स्तर के खिलाडी भारतीय प्रशासनिक सेवा के सदस्य जज वैज्ञानिक और राजनीतिक लोगों तक ने अवसाद का शिकार हो कर या अन्य कारण से सुसाइड किया है। इससे पता चलता है कि आत्महत्या की कोई अमीर गरीब स्वर्ण दलित शिक्षित अशिक्षित रोजगार शुदा बेरोजगार यहां तक कि सफल और असफल कोई रेखा या परिधि नहीं है। सभी इस कायरता और मूर्खता पूर्ण अटेम्प्ट को कर रहे हैं। यदि परिवार या परिचय के किसी भी व्यक्ति के व्यवहार में कोई असाधारण बदलाव दिखाई दे तो ऐसे व्यक्ति की मन की गुत्थियों को जानने खोलने की कोशिश करें  माता-पिता व परिवार के सदस्यों, परिचितों मित्रों को उन्हें समझाना, उनका हौसला बढ़ाना और उनमें उम्मीद की किरण जगाने का प्रयास करना चाहिए। (हिफी)

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)

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