लेखक की कलम

धामी ने दिया जैविक खेती को बढ़ावा

उत्तराखण्ड में प्याज, लहसुन, धनिया, शिमला मिर्च, बीन्स, मटर, अदरक और टमाटर जैसी सब्जियां ही नहीं धान, मक्का, गेहूं, बाजरा जैसे अनाज और राजमा, भट जैसी दालें भी जैविक पद्धति से उगाई जा रही हैं। पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने जैविक खेती के महत्व को देखते हुए सोयाबीन, हल्दी, मिर्च, अजवाइन और तुलसी जैसी अन्य जड़ी-बूटियों को भी जैविक पद्धति से तैयार कराकर विदेशों में इनका निर्यात किया है। जैविक खेती से उपज में शुद्धता रहती है। उत्पादन लागत कम होने से किसानों की आमदनी बढ़ती है। जैविक खेती मृदा उर्वरता अर्थात् मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बढ़ती है। साथ ही वायु एवं जल प्रदूषण कम होता है। उत्तराखण्ड की सरकार इसके लिए प्रशिक्षण देती है। किसानों को जैविक खाद, स्प्रे पंप उपलब्ध कराये जाते हैं। धामी सरकार ने किसानों को जैविक प्रमाणीकरण के लिए हर तरह की सुविधाएं दे रखी हैं। इसलिए उत्तराखण्ड मंे उत्पादित सब्जी, अनाज और औषधियों वाली उपज की मांग देश-विदेश मंे रहती है। पुष्कर सिंह धामी ने जैविक खेती करने वालों को सब्सिडी का तोहफा भी दे रखा है। गंगा के किनारे 10 हेक्टेयर जमीन जैविक खेती के लिए ही आरक्षित कर दी गयी है।
उत्तराखंड जैविक खेती के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बन रहा है, जहाँ सरकार किसानों को बढ़ावा देने के लिए जैविक कृषि विधेयक, 2019 के तहत 10 ब्लॉकों को रासायनिक उर्वरकों से मुक्त कर रही है। इस पहल में उत्तराखंड जैविक वस्तु बोर्ड महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और जैविक प्रमाणीकरण, बीज, प्रशिक्षण और विपणन में सहायता प्रदान कर रहा है। राज्य में पारंपरिक जैविक खेती का लंबा इतिहास है और अब इसे आधुनिक समर्थन और सुविधाओं के साथ बढ़ावा दिया जा रहा है। जैविक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में राष्ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक लिमिटेड और उत्तराखंड जैविक उत्पाद परिषद के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए हैं। केन्द्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में समझौता ज्ञापन किया गया। इस अवसर पर नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज विश्व में सबसे ज्यादा जैविक खेती भारत में होती है। भारत ब्रांड के नाम से जैविक उत्पाद बाजार में लाए गए हैं। श्री शाह ने उत्तराखंड के किसानों से आग्रह किया कि वो अपने खेत को शुद्ध रख उसे जैविक बनाए। साथ ही किसानों को भी इसका महत्व समझांए। उन्होंने उत्तराखंड को पूरी तरह से जैविक प्रदेश बनाने का लक्ष्य तय करने की बात कही।
धामी सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना और अन्य पहलों के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षण, जैविक खाद, प्रमाणन और विपणन जैसी सुविधाएं दे रही है। इसके अलावा, सरकार राज्य को जैविक कृषि का प्रमुख केंद्र बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इस योजना के अन्तर्गत कृषि विभाग एवं उत्तराखण्ड जैविक उत्पाद परिषद द्वारा थर्ड पार्टी प्रमाणीकरण के अन्तर्गत जैविक प्रमाणीकरण किया जा रहा है। यह परियोजना वर्ष 2017-18 से प्रारम्भ की गई थी। इसमें प्रत्येक विकासखण्ड में जैविक कार्यां के सम्पादन एवं प्रशिक्षण के लिए 01-01 मास्टर ट्रेनर द्वारा सहायता प्रदान की जाती है। परियोजना में वर्मी कम्पोस्ट पिट का निर्माण, प्रशिक्षण, एक्पोजर विजिट, जैविक उत्पादों का विपणन एवं प्रमाणीकरण आदि कार्य किये जा रहे है। जैविक खेती मृदा की उर्वरता एवं कृषकों की उत्पादकता बढ़ाने में पूर्णतः सहायक है। वर्षा आधारित क्षेत्रों में जैविक खेती की विधि और भी अधिक लाभदायक है। जैविक विधि द्वारा खेती करने से उत्पादन की लागत तो कम होती ही है इसके साथ ही कृषकों की आय में वृद्धि होती है तथा अंतराष्ट्रीय बाजार की स्पर्धा में जैविक उत्पाद अधिक खरे उतरते हैं, जिसके फलस्वरूप सामान्य उत्पादन की अपेक्षा में कृषक भाई अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आधुनिक समय में निरन्तर बढ़ती हुई जनसंख्या, पर्यावरण प्रदूषण, भूमि की उर्वरा शक्ति का संरक्षण एवं मानव स्वास्थ्य के लिए जैविक खेती की राह अत्यन्त लाभदायक है। मानव जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए नितान्त आवश्यक है कि प्राकृतिक संसाधन प्रदूषित न हों, शुद्ध वातावरण रहे एवं पौष्टिक आहार मिलता रहे, इसके लिए हमें जैविक खेती की कृषि पद्धतियों को अपनाना होगा जोकि हमारे नैसर्गिक संसाधनों एवं मानवीय पर्यावरण को प्रदूषित किये बगैर समस्त जनमानस को खाद्य सामग्री उपलब्ध करा सकेगी तथा हमें खुशहाल जीने की राह दिखा सकेगी। प्राकृतिक खेती का उद्देश्य उत्पादन की लागत को लगभग शून्य तक लाना है। इस पद्धति में उर्वरक, कीटनाशक और गहन सिंचाई जैसे महंगे इनपुट की कोई आवश्यकता नहीं है। ऐेसे समय में जब रासायनिक-गहन खेती के परिणामस्वरूप मिट्टी और पर्यावरण का क्षरण हो रहा है, शून्य लागत वाली पर्यावरण के अनुकूल कृषि पद्धति निश्चित रूप से एक अनुकरणीय पहल है।
प्रदेश में प्राकृतिक कृषि के प्रोत्साहन हेतु 39 नयें कलस्टरों में राज्य पोषित योजना मुख्यमंत्री कृषि विकास योजनान्तर्गत नमामि गंगे प्राकृतिक कृषि कोरिडोर योजना का क्रियान्वयन भारत सरकार द्वारा पूर्व में स्वीकृत प्राकृतिक कृषि मिशन की गाईड लाईन के अनुसार जनपद पौड़ी, टिहरी, उत्तरकाशी एवं चमोली में किया जा रहा है। कृषि मंत्री गणेश जोशी ने बताया कि राज्य सरकार कृषि को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है। जैविक खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा है और मोटे अनाज के उत्पादन पर सब्सिडी दी जा रही है। जंगली जानवरों से सुरक्षा के लिए घेरबाड़ का अनुरोध किया गया है और प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। गंगा किनारे प्राकृतिक खेती की योजना है। राज्य के लिए पर्यटन के साथ ही कृषि व उद्यानिकी भी आर्थिकी का बड़ा स्रोत है। यही कारण है कि राज्य सरकार कृषि को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं संचालित कर रही हैं। परंपरागत खेती को जैविक खेती के साथ बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है।
गणेश जोशी ने बताया कि राज्य बनने के बाद भले ही कृषि खेती का रकबा दो लाख 10 हजार हेक्टेयर घटा है लेकिन उत्पादन तीन लाख टन बढ़ा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में हमारी सरकार कृषि को बढ़ावा देने पर हरसंभव प्रयास में जुटी है जैविक खेती को लेकर ब्लाक स्तर पर प्रयास हो रहे हैं। इस खेती को बढ़ावा देने के लिए लगातार लक्ष्य तय कर उसे पूरा किया जा रहा है। किसानों को प्रोत्साहित किया जाता है। राज्य के जैविक उत्पादों की मांग पूरी दुनिया में लगातार बढ़ रही है। इसके लिए हमारी सरकार प्राथमिकता के आधार पर काम कर रही है। गंगा नदी के किनारे 10 हेक्टेयर की भूमि चिन्हित कर ली है। इस खेती के लिए राज्य के 300 किसानों को प्रशिक्षण दिलवाया जा रहा है।(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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