लेखक की कलम

दिशा और दशा बदलता संघ

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
इसमें कोई संदेह नहीं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) आज सबसे ताकतवर सामाजिक संगठन है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उसकी राजनीतिक शाखा है। इस तरह के 50 से ज्यादा अनुषांगिक संगठन संघ के हैं। देश भर मेें उसके प्रभाव का आकलन इसी से लगाया जा सकता है कि पहले जहां संघ की पहुंच नहीं थी, वहां भी अब संघ की शाखाएं चल रही हैं। पश्चिम बंगाल जैसे राज्य में भाजपा के पैर जमाने मंे संघ ने ही बड़ी मदद की है। अभी कुछ दिन पहले ही खबर पढ़ी कि दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में संघ का पथ संचलन कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। जेएनयू मंे वामपंथी और कांग्रेस की ही पकड़ मजबूत मानी जाती है लेकिन संघ ने वहां भी सेंध लगा दी। इसी प्रकार का एक सुखद बदलाव यह देखने मंे आ रहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ महिलाओं को महत्वपूर्ण साझीदार बना रहा है। संघ के कर्ताधर्ताओं ने कुछ विशेष कारणों से महिलाओं को संघ की अग्रिम पंक्ति में शामिल नहीं किया था। संघ में पूर्णकालिक प्रचारक किसी महिला को नहीं बनाया गया। अब संघ अपनी दिशा और दशा बदलने की तरफ अग्रसर है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर सिर्फ पुरुषों का संगठन होने का आरोप राहुल गांधी अक्सर लगाते हैं लेकिन संघ की सहयोगी संस्थाओं मंे महिलाओं की भागीदारी देखी जाती है। अब इसे और ज्यादा बढ़ाया जा रहा है।
इसके चंद उदाहरण इस प्रकार देख सकते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अब रानी दुर्गावती और अहित्याबाई होल्कर की जयंती बहुत उत्साह से मना रहा है। हालांकि यह संघ के सांस्कृतिक एजेन्डे के साथ हिन्दुत्व के खांचे मंे भी फिट हो जाता है। संघ अब महिलाओं को हिन्दुत्व से जोड़ने का प्रयास कर रहा है। इससे भाजपा का वोट बैंक अपने आप बढ़ जाएगा। दिल्ली मंे भाजपा की सरकार बनने में महिलाओं का विशेष योगदान रहा है। इसीलिए महिलाओं से जुड़ी योजनाओं को भाजपा प्राथमिकता दे रही है। चुनाव आयोग की रिपोर्ट को देखें तो पुरुषों की अपेक्षा महिला मतदाता मतदान स्थल तक ज्यादा पहुंच रही हैं। महिलाएं भारतीय मूल्यों पर ज्यादा अडिग रहती हैं। संघ की प्राथमिकता मंे इसीलिए महिलाएं आ गयी हैं।
दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के गढ़ वामपंथी छात्र संगठनों ने यूनिवर्सिटी कैंपस में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों द्वारा आयोजित ‘पथ संचालन’ को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की है। वामपंथी छात्र संगठनों के नेताओं ने विश्वविद्यालय प्रशासन से आयोजकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। छात्र संगठनों ने 31 मार्च को दावा किया कि यह पहली बार है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में ऐसी परेड निकाली। आरएसएस की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्यों ने कहा कि 30 मार्च की रात में स्वयंसेवकों ने अपनी पारंपरिक वेशभूषा में यह मार्च निकाला, जिसका समापन विश्वविद्यालय के प्रशासनिक खंड पर जाकर हुआ। जेएनयू एबीवीपी इकाई के सचिव विकास पटेल ने कहा कि विजयादशमी पर आरएसएस के स्वयंसेवकों ने पथ संचालन निकाला। जेएनयू प्रशासन ने वाम छात्र संगठनों की ओर से मार्च के खिलाफ ऐतराज पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। उसने यह भी नहीं बताया कि आयोजकों ने इसके लिए अनुमति ली थी या नहीं। आल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आईसा) के एक प्रतिनिधि ने कहा कि विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार हुआ है कि आरएसएस को परिसर में मार्च निकालने की अनुमति दी गई। आसा नेताओं ने आरोप लगाया कि स्वयंसेवकों ने ‘सांप्रदायिक गीत गाये और नारे लगाये’ तथा प्रशासनिक खंड के समीप सभा की जहां दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस तरह के आयोजन पर पाबंदी लगा रखी है।
जेएनयू की स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) की ओर से जारी एक वीडियो में आरएसएस के परिधान में लोगों को प्रशासनिक खंड के पास बैठे हुए और ‘जागो तो एक बार हिंदू’ जैसे नारे लगाते हुए सुना जा सकता है। इन लोगों को आरएसएस के परंपरागत खाकी परिधान में विश्वविद्यालय परिसर में सड़कों पर मार्च निकालते हुए देखा जा सकता है।
संघ में महिलाओं को भी प्राथमिकता दी जा रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महिलाओं के बीच ही सवाल पूछा था आरएसएस की शाखा में आपने एक भी महिला को शार्ट्स पहने देखा है? मैंने तो कभी नहीं देखा। आखिर आरएसएस में महिलाओं को आने की अनुमति क्यों नहीं है। बीजेपी में कई महिलाएं हैं, लेकिन आरएसएस में मैंने किसी महिला को नहीं देखा। राहुल गांधी के इस बयान का जवाब आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने दिया था। मनमोहन वैद्य ने कहा कि राहुल गांधी पुरुष हॉकी मैच में महिला को देखना चाहते हैं। वैद्य ने कहा कि उन्हें महिला हॉकी मैच में जाना चाहिए। आरएसएस में महिलाओं की अलग विंग है जिसे राष्ट्र सेविका समिति कहा जाता है। दिल्ली में इसकी 100 से ज्यादा शाखाएं है। देश भर में 3500 से ज्यादा शाखाएं है। दक्षिण दिल्ली के ऐसी ही एक समिति में रोज जाने वाली एक महिला ने बताया कि महिलाओं का आरएसएस से नाता पुराना है। बचपन से ही कोई भी बालक या बालिका शाखा से जुड़ सकता है। किशोरावस्था में तरुण शाखा में कोई भी किशोरी जा सकती है। उससे बड़ी महिलाएं राष्ट्र सेविका समिति में हिस्सा ले सकती हैं। उम्र के उस पड़ाव में जब भजन कीर्तन में आपका मन लगता हो उसमें धर्म शाखा में आप हिस्सा ले सकते हैं। देश में सुबह सवेरे लगने वाली आरएसएस की शाखाओं में भले ही महिलाएं न दिखती हों, लेकिन राष्ट्र सेविका समिति राष्ट्र स्वयं सेवक संघ की ही आनुषांगिक संगठन है, जहां दिन में एक बार शाखाएं जरुर लगती है।
राष्ट्र सेविका समिति के आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक समिति का सूत्र वाक्य है, स्त्री राष्ट्र की आधारशीला है। समिति की स्थापना 1936 में विजयदशमी के दिन हुई। लक्ष्मीबाई केलकर ने इस समिति की स्थापना महाराष्ट्र के वर्धा में की थी। वर्तमान में सेविका समिति की प्रमुख संचालक शान्ताक्का है जो नागपुर में ही रहती हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा महाजन भी राष्ट्र सेविका समिति से जुड़ी रही हैं। राष्ट्र सेविका संघ और राष्ट्र स्वयं सेवक संघ एक दूसरे के पूरक है। दोनों का संगठनात्मक ढांचा एक जैसा है। दोंनों में मुख्य संचालक और मुख्य संचालिका होते हैं। दोनों में प्रचारक और प्रांत प्रचारक होते हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर महिला विरोधी होने के आरोप लगते रहे हैं लेकिन अब संगठन अपनी इस छवि को बदलने की कोशिश कर रहा है। इसी कड़ी में संगठन ने महिलाओं के लिए अलग से एक महिला समन्वय स्थापित करने की योजना बनाई। लखनऊ से इसकी शुरुआत हुई। महिला समन्वय नाम से संघ नई शाखा शुरू कर रहा है। अपनी महिला विरोधी छवि से निपटने के लिए आरएसएस इसके साथ एक नई शुरूआत करने जा रहा है। अब तक संघ में राष्ट्र सेविका समिति नाम से महिला संगठन हुआ करता था लेकिन संघ के अब महिला समन्वय नाम से शाखा शुरू किए जाने की उम्मीद है, जहां महिलाएं अपनी हाजिरी देकर देश की तरक्की को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दे सकें।
बीते साल 15 अगस्त को अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण के दौरान, मोदी ने “नारी शक्ति” की बात की और कहा था, “लैंगिक समानता एकता का एक अहम पैरामीटर है।” इसके बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने “नारी शक्ति” और “मातृ शक्ति” पर बात की। पिछले साल ही एक कार्यक्रम में भागवत ने कहा था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और राष्ट्र सेविका समिति दोनों अलग-अलग तरह से व्यक्ति निर्माण में जुटा है। (हिफी)

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