अध्यात्म

बाबा अमरनाथ की दिव्य यात्रा

(मोहिता स्वामी-हिफी फीचर)
समुद्र तल से लगभग 13600 फिट की ऊंचाई पर स्थित बाबा अमरनाथ देवों के भी देव हैं। उनके दर्शन विशेष अवसर पर ही होते हैं। कश्मीर की एक गुफा में प्राकृतिक शिवलिंग का निर्माण होता है। यह अद्भुत और अकल्पनीय है। गुफा के अंदर बर्फ कहां से आती है और उससे हिमानी शिवलिंग बन जाता है। इस गुफा के बारे मंे तरह-तरह की चमत्कारिक कहानियां सुनने को मिलती हैं। मान्यता है कि भगवान शिव ने माता पार्वती को इसी गुफा मंे अमरनाथ कथा सुनाई थी। माता पार्वती को बीच मंे नींद आ गयी। उसी गुफा में मौजूद कबूतरों का एक जोड़ा हुंकारी भरता रहा। भगवान शिव के मुख से अमरकथा सुनकर कबूतर और कबूतरी भी अमर हो गये। श्रद्धालुओं का कहना है कि गुफा मंे वह कबूतरों का जोड़ा आज भी देखा जा सकता है। इन कबूतरों के दर्शन से भी पुण्य का लाभ होता है। अमरनाथ धाम को सब तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है। इस बार पवित्र अमरनाथ की यात्रा 3 जुलाई से प्रारम्भ हो रही है। पिछले महीनों मंे पहलगाम मंे आतंकी हमला होने से इस बार अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम किये गये हैं। तीर्थ यात्री बर्फानी बाबा के दर्शन करने के बाद कश्मीर मंे डल झील के सौंदर्य का भी आनंद लेते हैं। इसलिए कश्मीर मंे पर्यटन स्थलों पर भी सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किये गये हैं।
अमरनाथ, जिनको बाबा बर्फानी के नाम से भी जाना जाता है, भगवान शिव का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह जम्मू और कश्मीर में स्थित एक गुफा है, जहाँ प्राकृतिक रूप से बर्फ का शिवलिंग बनता है। मान्यता है कि भगवान शिव ने इसी गुफा में माता पार्वती को अमरता का रहस्य बताया था। यहाँ की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं। यह शिवलिंग अमावस्या से पूर्णिमा तक बढ़कर पूर्ण होता है और फिर घटना प्रारंभ कर देता है। शिवलिंग अमावस्या को भी रहता है। पर्वतों के
मध्य 60 फीट लंबी, 30 फीट चैड़ी और 15 फीट ऊंची प्रकृति निर्मित गुफा है। इसी गुफा में बर्फ द्वारा निर्मित प्राकृतिक पीठ पर हिम निर्मित शिवलिंग हैं।
कश्मीर के पहलगाम से अधिकांश यात्री प्राकृतिक नजारों का लुत्फ लेते हुए पवित्र गुफा तक पहुंचते हैं। यहां से पवित्र गुफा 46 किमी दूर है। श्री अमरनाथ गुफा श्रीनगर से 142 किमी दूरी पर स्थित है। श्रीनगर से पहलगाम का यात्रा मार्ग 96 किमी बस या अन्य निजी वाहनों से तय किया जाता है। शेष 46 किमी का मार्ग घोड़ों आदि से अथवा पैदल तय किया जाता है। यात्रा मार्ग पर सबसे पहला आधार शिविर पहलगाम है। अठखेलियां करती लिद्दर नदी के किनारे यह छोटा सा कसबा है। यह समुद्र तल से 7200 फीट ऊंचाई पर स्थित है। पहलगाम अपनी सुंदरता के लिए विश्व में प्रसिद्ध है। पहलगाम से लिद्दर नदी किनारे से आगे बढ़ते हुए चंदनबाड़ी पहुंचा जाता है। यह समुद्र तल से लगभग 8500 फीट ऊंचाई, पहाड़ी नदियों के संगम पर छोटी सी एक घाटी है। यह यात्रा का प्रथम चरण है। पिस्सू घाटी तक कठिन चढ़ाई का मार्ग आगे है। इसी तरह चंदनबाड़ी से आगे 13 किमी दूर अगला पड़ाव शेषनाग है। यह समुद्र तल से 11330 फीट ऊंचाई पर है। शेषनाग झील के निर्मल जल में स्नान कर रास्ते की सारी थकावट दूर हो जाती है। यहां स्नान करने से गंगा स्नान के समान फल मिलता है। शेषनाग से 13 किमी आगे बढ़कर पंचतरणी पहुंचा जाता है। यह समुद्रतल से 12000 फीट ऊंचा है। शेषनाग से आगे हिमाच्छादित मार्ग है। पंचतरणी से श्री अमरनाथ गुफा की दूरी केवल 6 किमी है। बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए श्रद्धालु पारंपरिक पहलगाम और बालटाल ट्रैक से आगे बढ़ते हैं। पहलगाम ट्रैक से चंदनबाड़ी से लेकर पवित्र गुफा तक के पैदल रास्ते का सफर तीस किमी है, जिसे दो दिन और एक रात में तय किया जाता है। जबकि बालटाल ट्रैक से एक ही दिन में दर्शन करके वापस लौटा जा सकता है। इस रास्ते की लंबाई 14 किमी है। जम्मू से बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए पांच से छह दिन का समय लगता है। जबकि कई लोग मात्र तीन से चार दिन में ही दर्शन कर जम्मू वापस आ जाते हैं।
श्री अमरनाथ यात्रा को लेकर शिवभक्तों में भारी उत्साह है। भक्तों के जोश का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यात्रा के टोकन पाने के लिए श्रद्धालु आधी रात से ही स्टेशन के पास स्थित सरस्वती धाम पर उमड़ पड़े। घड़ी की सुई आगे बढ़ने के साथ कतारें लंबी होती गईं। बारिश के बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह बढ़ता गया और वे जोरदार शिवजी के जयकारे लगाने लगे।
विश्व प्रसिद्ध अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू होने वाली है। पहलगाम में आतंकी हमले के कुछ ही समय बाद हो रही इस यात्रा की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सिक्योरिटी की कड़ी व्यवस्था की गई है। अमरनाथ यात्रा मार्ग पर चप्पे-चप्पे पर पुलिस और सुरक्षाबलों के जवानों को तैनात किया गया है। आइए जानते हैं कि यात्रियों की सुरक्षा के लिए क्या व्यवस्थाएं की गई हैं।
अमरनाथ यात्रा 2025 के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारतीय सेना, सीआरपीएफ, जम्मू और कश्मीर पुलिस और जेकेएसडीआरएफ (जम्मू और कश्मीर राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) के जवानों ने जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर समरोली, टोलडी नाला में एक ज्वाइंट मॉक लैंडस्लाइड ड्रिल
का आयोजन किया। उधमपुर के
डीएसपी प्रहलाद कुमार ने बताया है कि इस मॉक ड्रिल का मकसद विभिन्न बलों के बीच समन्वय की जांच करने और सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया का आकलन करना था। यह मॉक ड्रिल सफल रही है।
अमरनाथ यात्रा के लिए तैयारियों की समीक्षा के लिए यात्रियों के लिए बेस कैंप यात्री निवास में ट्रायल रन किया गया है। बसों को पूरी सुरक्षा के साथ भेजा गया है। आपको बता दें कि आगामी 2 जुलाई को बेस कैंप से अमरनाथ तीर्थयात्रियों का पहला जत्था रवाना किया जाएगा। अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई को बालटाल और पहलगाम मार्गों से शुरू होगी। जम्मू के डिप्टी कमिश्नर ने जानकारी दी है कि यात्रा की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। उन्होंने बताया है कि सरस्वती धाम में टोकन बांटे जाएंगे। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे बड़ी संख्या में आएं, हम उन्हें सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराएंगे और किसी को कोई परेशानी नहीं होगी।
अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू होगी और यात्रा की समाप्ति 9 अगस्त को होगी। पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले को देखते हुए इस साल अमरनाथ यात्रा को लेकर सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने यात्रा के दौरान सीएपीएफ की कुल 581 कंपनियों को तैनात करने का फैसला किया है। इसमें करीब 42,000 सुरक्षाकर्मी शामिल होंगे। इनमें सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी के जवान शामिल हैं। इसके अलावा आतंकी खतरों को रोकने के लिए यात्रा मार्ग पर एफआरएस (चेहरा पहचान प्रणाली) सिस्टम भी लगाया गया है। ज्ञात आतंकवादियों और संदिग्ध ओवरग्राउंड वर्करों की तस्वीरों को सिस्टम के डेटाबेस में अपलोड कर दिया गया है। (हिफी)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button