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आईएफएससी एक्सचेंज से जल्द जुड़ेंगी देसी फर्म: निर्मला सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया कि सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध भारतीय कंपनियां इंटरनैशनल फाइनैंशियल सर्विसेज सेंटर के एक्सचेंज पर सीधे सूचीबद्ध हो जाएंगी। इससे भारतीय कंपनियों के लिए वैश्विक पूंजी आसानी से उपलब्ध हो जाएगी और उन्हें अपना मूल्यांकन बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। वित्त मंत्री ने कॉरपोरेट डेट मार्केट डेवलपमेंट फंड (सीडीएमडीएफ) और एएमसी रीपो क्लियरिंग लिमिटेड (एआरसीएल) शुरू करने के बाद यहां वित्तीय बाजार के विकास और घरेलू बचत को वित्तीय परिसंपत्तियों में लाने के प्रयासों की सराहना की। वित्त मंत्री की यह घोषणा भारतीय कंपनियों को विदेश में सीधे सूचीबद्ध होने की इजाजत देने के सरकार का पिछले फैसले के बाद आई है। उन्होंने कहा, ‘हम अन्य उभरते बाजारों के साथ होड़ ही नहीं कर रहे हैं बल्कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं को निवेश के लिए भी आकर्षित कर रहे हैं। हमें वित्तीय बाजारों तक पहुंच आसान बनाकर इन बाजारों में घरेलू बचत बढ़ाने और मजबूत निवेशक शिकायत व्यवस्था तैयार करने की जरूरत है।’ इसी कार्यक्रम में एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि केंद्र प्रत्यक्ष विदेशी सूचीबद्धता नियमों को जल्द ही अधिसूचित करने की योजना बना रहा है। देसी कंपनियों को विदेश में सीधे सूचीबद्ध होने की इजाजत देने का प्रस्ताव पिछले कुछ समय से विचाराधीन है।
नियामकों ने इस पर काफी सुस्ती दिखाई है क्योंकि उन्हें देसी पूंजी बाजार से रकम बाहर जाने की चिंता है। स्थानीय बाजार में बड़े पैमाने पर विदेशी निवेशक मौजूद हैं, जिस कारण अधिकतर कंपनियां देसी बाजार में ही बने रहना पसंद करती हैं। जनवरी में टाटा मोटर्स ने अतिरिक्त नियामकीय बोझ का हवाला देते हुए न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज से खुद को हटा लिया था।
विशेषज्ञों ने कहा कि आईएफएससी में सीधे सूचीबद्ध होने की अनुमति से भारतीय कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने का रास्ता खुलेगा। जुलाई के शुरू में एनएसई सिंगापुर एक्सचेंज (एसजीएक्स) से निफ्टी अनुबंधों को गुजरात इंटरनैशनल फाइनैंस टेक-सिटी (गिफ्ट सिटी) में सफलतापूर्वक शामिल करने में कामयाब रहा।
एनएसई आईएक्स गिफ्ट सिटी में कारोबार करने वाले नैशनल स्टॉक एक्सचेंज की एक शाखा है। 25 जुलाई को गिफ्ट निफ्टी डेरिवेटिव्स ने सर्वाधिक 12.4 अरब डॉलर का कारोबार दर्ज किया था। नियामकीय प्रक्रियाओं की समीक्षा पर जोर देते हुए वित्त मंत्री ने सभी वित्तीय नियामकों से नियमों और संपूर्ण निगरानी तंत्र के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए समय-सीमा तय करने को कहा।
मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक परामर्श नियमों के निर्माण की प्रक्रिया का हिस्सा होंगे और पुराने मानकों की समीक्षा जरूरी थी। उन्होंने कहा, ‘ऐसी समीक्षाओं को व्यापक और नियामकीय जीवनचक्र का स्थायी हिस्सा बनाना होगा। व्यवसाय करने में आसानी और प्रतिक्रियाशील होने के हित में विभिन्न नियमों के तहत आवेदनों पर निर्णय लेने की समय-सीमा निर्धारित की जानी चाहिए।’
सीतारमण ने कहा कि बाजार नियामकों को जोखिम के प्रति भी समान रूप से ध्यान देना चाहिए । मंत्री ने प्रस्तावित और मौजूदा नियम एवं गैर-नियामकीय विकल्पों के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों का आकलन करने के लिए ‘रेग्युलेटरी इम्पैक्ट असेसमेंट’ की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘यह प्रमाण आधारित नीति निर्माण का एक महत्वपूर्ण घटक है और मेरा मानना है कि इससे जवाबदेही बढ़ सकेगी और निर्णय लेने की प्रक्रिया में पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।’

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