गैरों की नहीं चिंता, अपनों ने दिल तोड़ा

ममता बनर्जी ने राजनीति में संघर्षों की राह चुनी, वह कांग्रेस में थीं तो तत्कालीन नेतृत्व से कभी समझौता नहीं किया। वह सिद्धार्थ शंकर राय के खिलाफ खड़ी रहीं। पश्चिम बंगाल में वामपंथी विपक्ष मंे थे। ममता बनर्जी ने उनकी परवाह नहीं की और अंततः कांग्रेस से अलग होकर वामपंथियों से सत्ता छीन ली। इस सघर्ष मंे सुभंेदु अधिकरी उनके सबसे खास थे लेकिन वहीं बाद में तृणमूल कां्रगेस (टीएमसी) छोड़कर भाजपा मंे चले गये। इतना ही नहीं विधानसभा चुनाव में सुवेन्द्र अधिकारी ने ममता बनर्जी को पराजित करके रिकार्ड कायम किया। अब ममता बनर्जी के अति निकटतम नेता हुमायूं कबीर भी उनका दिल तोड़ रहे हैं। हुमायूं कबीर मुस्लिमों के कद्दावर नेता माने जाते हैं। वह मुर्शिदाबाद से हैं जहां मुस्लिम आबादी 70 फीसद से ज्यादा है। हुमायूं कबीर ने ही पश्चिम बंगाल मंे बाबरी मस्जिद बनाने की घोषणा की थी। वह यह काम 6 दिसम्बर को करने वाले थे जब अयोध्या मंे कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा दिया था। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मुसलमानों का समर्थन जरूर करती हैं लेकिन हिन्दुओं को नाराज भी नहीं करना चाहतीं। इसीलिए 4 दिसम्बर को तृणमूल कांग्रेस ने हुमायूं कबीर को बाहर का रास्ता दिखा दिया। हुमायूं कबीर 2011 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते। इसके बाद वह तृणमूल कांग्रेस मंे शामिल हो गये और ममता बनर्जी ने उन्हंे मंत्री बनाया। इसके बाद हुमायूं 2019 में तृणमूल छोडकर भाजपा में गये लेकिन लोकसभा चुनाव हार गये। हुमायूं ने फिर पाला बदला और 2021 मंे तृणमूल कांग्रेस में वापस आ गये।
पश्चिम बंगाल की राजनीति एक नए मोड़ पर खड़ी है। मुर्शिदाबाद के विधायक हुमायूं कबीर, अपने अंदाज में जीते दिख रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस से बाहर होने के बाद हुमायूं कबीर अब अपनी राजनीतिक जमीन खुद तैयार कर रहे हैं। बाबरी मस्जिद के नाम पर उठी बहस ने बंगाल की सियासत में हलचल मचा दी है। सवाल यह है कि क्या हुमायूं का यह कदम ममता बनर्जी की जीत की रणनीति को प्रभावित करेगा? तृणमूल कांग्रेस से निष्कासित होने के बाद हुमायूं कबीर ने ऐलान किया है कि वह दिसंबर में अपना नया दल बनाएंगे और 2026 के विधानसभा चुनाव में 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे। यह घोषणा ऐसे समय आई है जब वह पिछले एक महीने से मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद बनाने की कवायद कर रहे थे। दिलचस्प बात यह है कि तृणमूल कांग्रेस की सरकार में रहते हुए भी उन्हें मस्जिद के लिए जमीन नहीं मिल सकी।
हुमायूं बार-बार कहते रहे कि 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद की स्थापना करेंगे लेकिन प्रशासन की अनुमति न मिलने और पार्टी की चुप्पी ने उनके राजनीतिक समीकरण बदल दिए। इतना ही नहीं 4 दिसंबर को तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। हुमायूं कबीर का बयान कि मस्जिद का नाम ‘बाबरी’ होगा, विवाद का केंद्र बन गया। बंगाल में तृणमूल कांग्रेस हमेशा से तुष्टीकरण के आरोपों से घिरी रही है। पार्टी जानती है कि उसके वोटर सिर्फ मुस्लिम नहीं, बल्कि लाखों हिंदू भी हैं, जिनकी आस्था राम मंदिर, काली और दुर्गा पूजा से जुड़ी है। ऐसे में बाबरी नाम का इस्तेमाल हिंदू वोटरों को नाराज कर सकता है। मुर्शिदाबाद उन जिलों में है जहां मुस्लिम आबादी 70 फीसद से अधिक है। यहां का मुस्लिम वोट बैंक तय करता है कि कौन विधायक बनेगा। हुमायूं कबीर खुद को मुस्लिमों के कट्टर नेता के रूप में पेश कर रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कई मुस्लिम संगठन बाबरी मस्जिद मुद्दे पर उनका समर्थन कर रहे हैं और उन्हें आर्थिक मदद भी मिल रही है। लेकिन जमीन प्रशासन की अनुमति के बिना नहीं मिल सकती। ममता बनर्जी की जीत में मुस्लिम वोटरों की बड़ी भूमिका रही है। लेकिन बाबरी मस्जिद का मुद्दा मुस्लिम वोटों को बांट सकता है। हुमायूं का नया दल तृणमूल के लिए चुनौती बन सकता है, खासकर उन जिलों में जहां मुस्लिम आबादी ज्यादा है।हुमायूं कबीर का यह कदम बंगाल की राजनीति में नया समीकरण पैदा कर सकता है। बाबरी मस्जिद का नाम और नया दल दोनों ही मुद्दे तृणमूल कांग्रेस के लिए सिरदर्द बन सकते हैं।
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद बनाने चले टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर पर एक्शन हुआ है। ममता बनर्जी ने अपने मुस्लिम विधायक हुमायूं कबीर पर मुरव्वत नहीं दिखाई और टीएमसी ने उन्हें सस्पेंड कर दिया। यह कार्रवाई कबीर की उस घोषणा के बाद आई, जिसमें उन्होंने मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में बाबरी मस्जिद बनाने का ऐलान किया था।
हुमायूं कबीर मुर्शिदाबाद के भारतपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर ने यह कहकर सियासी पारा चढ़ा दिया था कि वह छह दिसंबर को मुर्शिदाबाद जिले में ‘बाबरी मस्जिद’ से मिलती-जुलती मस्जिद की नींव रखेंगे। उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर उन्हें रोका गया, तो उस दिन राष्ट्रीय राजमार्ग-34 पर मुस्लिमों का नियंत्रण होगा। विधायक कबीर कई महीनों से बागी तेवर अपनाए हुए हैं। उन्होंने हाल ही में एक नया संगठन बनाने की अपनी मंशा भी जाहिर की थी। इसके बाद खबर आई कि ममता बनर्जी अपने ही पार्टी के विधायक हुमायूं कबीर के बयान और प्रस्ताव से बेहद नाराज हैं। सूत्रों ने कहा कि ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि टीएमसी का बाबरी मस्जिद की प्रतिकृति बनाने की योजना से कोई संबंध नहीं है। यह संदेश पार्टी नेतृत्व की ओर से विधायक कबीर तक पहुंचा दिया गया, मगर वह अपने बयान पर टिके रहे।
हुमायूं कबीर के ऐलान पर विपक्ष ने इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश की। भाजपा ने आरोप लगाया कि कबीर ममता बनर्जी की इशारे पर काम कर रहे हैं, क्योंकि तब तक कोई सस्पेंशन नहीं हुआ था। भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा था कि यह बंगाल को अराजकता की ओर धकेलने की साजिश है। वहीं, सीपीआईएम ने टीएमसी की वैचारिक असंगति पर सवाल उठाया था। खुद बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने प्रशासन को कानून-व्यवस्था को लेकर सख्त निर्देश दिए थे।
तृणमूल कांग्रेस के विधायक हुमायूं कबीर को पार्टी से निलंबित करने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने मुर्शिदाबाद मंे एक रैली मंे कहा कि हम साम्प्रदायिक राजनीति नहीं करते, हम इसके खिलाफ है। हुमायूं कबीर पर निशाना साधते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि मुर्शिदाबाद के लोग दंगों की राजनीति को स्वीकार नहीं करेंगे। हुमायूं कबीर ने 22 दिसम्बर को अपनी पार्टी बनाने की घोषणा की है। (अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)



