सीधे खरीदारों को सब्सिडी के पक्ष में ई-दोपहिया विनिर्माता

इलेक्ट्रिक दोपहिया बनाने वाली ज्यादातर कंपनियां फेम-3 सब्सिडी योजना के तहत ग्राहकों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिये सब्सिडी के हस्तांतरण का अनुरोध सरकार से करने की योजना बना रही हैं। अभी फेम योजना के तहत सब्सिडी ईवी निर्माताओं के जरिये मिलती है और बाद में सरकार इसकी प्रतिपूर्ति करती है।सूत्रों ने कहा कि वाहन निर्माताओं के संगठन सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सायम) के सदस्यों के बीच इस तरह के प्रस्ताव पर चर्चा हो रही है, लेकिन अभी तक इस पर आमसहमति नहीं बनी है। इस प्रस्ताव को चार से पांच ई-दोपहिया निर्माताओं ने समर्थन दिया है, जिसमें वे भी हैं जो सायम के सदस्य नहीं हैं लेकिन बंद किए जाने से पहले तक सोसायटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल का हिस्सा थे। इन कंपनियों का कहना है कि सब्सिडी के सीधे हस्तांतरण से वाहनों की कीमतें बढ़ेंगी और शुरुआती दौर में बिक्री घटेगी, लेकिन सरकार से प्रतिपूर्ति में होने वाली देरी के कारण कार्यशील पूंजी फंसने से होने वाली क्षति से यह ज्यादा बेहतर होगा। एक ई-दोपहिया कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, सब्सिडी के वितरण में सरकार की तरफ से 3 से 6 महीने की देरी (इन कंपनियों को हाल में मार्च की सब्सिडी मिली है) से कार्यशील पूंजी फंस जाती है। यहां तक कि कार्यशील पूंजी के लिए कर्ज देने वाले बैंक भी पूरे महीने की सब्सिडी पर विचार नहीं करते, जिससे हमें और परेशानी होती है। ई-दोपहिया कंपनियों ने यह भी कहा कि दोपहिया के लिए सब्सिडी घटाकर 22,500 करोड़ रुपये (3 केवीएच बैटरी के लिए) कर दी गई है जो पहले 55-60,000 रुपये थी और फेम-3 के तहत यह और कम हो सकती है। ऐसे में सरकार की तरफ से ग्राहकों को सब्सिडी के सीधे हस्तांतरण का मतलब बनता है। उनका कहना है कि सरकार की तरफ से सब्सिडी में कटौती के साथ कंपनियों को री-इंजीनियरिंग के जरिये लागत घटाने पर काम करना पड़ रहा है और कीमत बढ़ानी पड़ रही है। ज्यादातर फर्मों का कहना है कि इस साल जून में सब्सिडी में भारी कटौती के कारण दो महीने बिक्री काफी कम रही। हालांकि अब बिक्री जोर पकड़ रही है और त्योहारी सीजन के आसपास यह सामान्य हो जाने की उम्मीद है। इसकी वजह यह है कि ईवी की मांग कम नहीं हुई है। ई-दोपहिया कंपनियां स्वीकार करती हैं कि भविष्य की सब्सिडी पर आमराय बनाना आसान नहीं होगा क्योंकि उसे उद्योग के हर सेगमेंट ई-दोपहिया, तिपहिया, यात्री कार, इलेक्ट्रिक वाणिज्यिक वाहन और यहां तक कि बसों के लिए कटौती करनी होगी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, सभी हितधारकों को सहमति जतानी होगी और कीमत पर इसका असर अच्छा खासा हो सकता है। साथ ही सरकार को रकम हस्तांतरण के लिए व्यवस्था बनानी होगी, जो अभी नहीं है।