सम-सामयिक

ईडी ने हायराम बड़ा दुःख दीन्हा…!

 

कहते हैं कि लोहे के स्वाद को लुहार नहीं जानता, सिर्फ घोड़ा जानता है जिसके मुंह में लोहे की लगाम रहती है। उसी तरह ईडी अर्थात् प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई तो बहुत लोगों पर चल रही है लेकिन उसकी करारी चोट आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ही महसूस कर रहे हैं। अरविन्द केजरीवाल को अदालत ने 20 जून को नियमित जमानत दे दी थी। यह जमानत कथित आबकारी घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले मंे मिली थी जिसके तहत उन्हंे इसी साल मार्च मंे गिरफ्तार किया गया था। इस प्रकार जमानत मिलने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस पर केजरीवाल के लिए यह सुयोग होगा कि वह तिहाड़ जेल से रिहा हो जाएंगे लेकिन ईडी उनके पीछे पड़ी है। ईडी ने हाईकोर्ट मंे जाकर जमानत का विरोध किया। हाईकोर्ट ने राउज एवेन्यू कोर्ट के जमानत देने के आदेश पर मामले की सुनवाई पूरी होने तक रोक लगा दी है। जाहिर है कि अरविन्द केजरीवाल को फिलहाल अभी राहत मिलने वाली नहीं है क्योंकि सुनवाई इतनी जल्दी पूरी नहीं होगी और जब तक सुनवाई पूरी नहीं होगी, तब तक केजरीवाल जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे। इसे ही कहते हैं वक्त के दिन और रात। एक दिन पहले ही जब केजरीवाल को नियमित जमानत मिली तब आम आदमी पार्टी के दफ्तर मंे जमकर जश्न मनाया जा रहा था लेकिन 21 जून को फिर सन्नाटा छा गया।

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल 21 जून को जेल से बाहर नहीं आ सके। ईडी के दखल के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले पर सुनवाई पूरी होने तक उनकी जमानत पर रोक लगा दी। राउज एवेन्यू कोर्ट ने 20 जून को 1 लाख के निजी मुचलके पर केजरीवाल को नियमित जमानत दी थी। वह 21 जून को जेल से बाहर आने वाले थे लेकिन उनके बाहर आने से पहले ही ईडी दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गई। ईडी ने उनकी जमानत का विरोध करते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट के आदेश की कॉपी उनको अब तक मिली नहीं है। दरअसल प्रवर्तन निदेशालय नहीं चाहता कि केजरीवाल को जमानत मिले। उसने जमानत मिलते समय भी इसका विरोध करते हुए अदालत से 40 घंटे का समय मांगा था, हालांकि उसकी इस दलील को खारिज कर दिया गया था, जिसके बाद ईडी ने हाईकोर्ट जाने की बात कही थी। हाई कोर्ट में ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे एएसजी एसवी राजू ने बताया कि ट्रायल कोर्ट के आदेश की कॉपी उनको अब तक मिली नहीं है। उन्होंने ये भी कहा कि ईडी को जमानत याचिका का विरोध करने का मौका नहीं दिया गया। इसके साथ ही उन्होंने अपील की कि ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई जाए। मामले की जल्द से जल्द सुनवाई की जाए। उनकी इस मांग के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि मामले पर सुनवाई पूरी होने तक ट्रायल कोर्ट का आदेश लागू नहीं होगा। इसका मतलब साफ है कि जब तक मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती, तबतक केजरीवाल जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे।

दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने केजरीवाल को शर्तों के साथ नियमित जमानत दी थी। अदालत ने कहा कि जरूरत पड़ने पर उनको जांच में पूरा सहयोग करना होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि न तो वह जांच में कोई बाधा डालेंगे और न ही गवाहों को प्रभावित करेंगे। हालांकि ईडी उनको जमानत दिए जाने से बिल्कुल भी खुश नहीं थी। दरअसल ईडी का कहना है कि उनके पास शराब नीति मामले में केजरीवाल के रिश्वत मांगने के सबूत हैं। बता दें कि दिल्ली के सीएम केजरीवाल को जब जमानत मिली तो मानो आम आदमी पार्टी जश्न में डूब गई। उन्होंने न सिर्फ पटाखे फोड़े बल्कि अदालत के फैसले को सत्य की जीत कहा। केजरीवाल के तुरंत जेल से बाहर न आ पाने से उनके समर्थकों और कार्यकर्ताओं को झटका लगा।

दिल्ली शराब मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग में सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी 21 मार्च को ईडी ने की थी। ईडी पूछताछ के लिए उनको 9 बार समन भेजे थे, लेकिन उन्होंने एक भी समन का जवाब नहीं दिया जिसके बाद उनको गिरफ्तार कर लिया गया था। लोकसभा चुनाव के बीच में उनको अंतरिम जमानत मिल गई थी। चुनाव खत्म होते ही 2 जून को उन्हें कोर्ट में फिर से सरेंडर करके जेल वापस जाना पड़ा था।

सीएम पद पर जेल जाने वाले वह पहले नेता हैं। ईडी ने अरेस्ट करने से पहले उनको 9 समन जारी कर पूछताछ के लिए तलब किया था, लेकिन उन्होंने एक भी समन का जवाब नहीं दिया था। ये पूरा मामला साल 2021 से जुड़ा है। दिल्ली सरकार ने नवंबर 2021 में नई शराब नीति लागू की थी। रिश्वत से मिले पैसे का इस्तेमाल गोवा विधानसभा चुनाव में किया गया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 21 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था। सीएम पद पर जेल जाने वाले पह पहले नेता हैं।
सीएम अरविंद केजरीवाल पर नई शराब नीति घोटाला मामले में मुख्य साजिशकर्ता होने का आरोप है। ईडी ने आरोप लगाया है कि सीएम केजरीवाल कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने की साजिश में शामिल थे। शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के बदले रिश्वत मांगी गई थी। ईडी का आरोप है कि दिल्ली सीएम ने पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए साउथ ग्रुप से 100 करोड़ रुपए रिश्वत में लिये। रिश्वत से मिले पैसे का इस्तेमाल गोवा विधानसभा चुनाव में किया गया। ईडी ने कहा कि दिल्ली सीएम ने आबकारी घोटले के मुख्य आरोपियों में शामिल समीर महेंद्रू के साथ वीडियो कॉल पर बात की थी। इस मामले के दूसरे आरोपी विजय नायर के साथ काम करना जारी रखने के लिए कहा था। दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति लागू की थी। इसके लिए 32 जोन राजधानी में बनाए गए थे। हर एक जोन में 27 दुकानें खोली जानी थीं। कुल 849 दुकानें खोली जानी थीं। दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति में सभी 100 परसेंट दुकानों को प्राइवेट कर दिया। सरकार का कहना था कि ऐसा करने से सरकार को 3500 करोड़ रुपए का लाभ हुआ है। उन्होंने कहा कि एल-1 लाइसेंस के लिए ठेकेदार पहले 25 लाख रुपए चुकाते थे, लेकिन नई नीति में उनको 5 करोड़ रुपए देने पड़े। हालांकि इस नीति से सरकार और पब्लिक दोनों को ही नुकसान होने का आरोप लगाया गया। आरोप है कि दिल्ली सरकार की इस नीति से सिर्फ बड़े शराब कारोबारियों को ही फायदा पहुंचा है। इसके बदले रिश्वत लेने का आरोप भी सरकार पर लगा। कहा गया कि शराब नीति के कार्यान्वयन में कथित तौर पर अनियमितता बरती गई। इन शिकायतों के बाद दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 को रद्द कर दिया गया। वहीं एलजी ने सीबीआई जांच की भी सिफारिश की। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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