मकर संक्रान्ति का विभिन्न राशियों पर प्रभाव

(हिफी डेस्क-हिफी फीचर)
महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं. राकेश पाण्डेय बताते है कि मकर संक्रान्ति पुण्यकाल 14 जनवरी को प्रातः 07.58 के बाद प्रारम्भ हुआ। दिन 2.58 पर सूर्य मकर राशि पर प्रवेश किया।
धर्मसिंधु के अनुसार संक्रांति के 8 घण्टे पूर्व ही पुण्य काल प्रारम्भ हो जाता है।
मेषादि 12 राशियों में सूर्य के परिवर्तन काल को संक्रान्ति कहा जाता है, अतः किसी भी संक्रान्ति के समय स्नान, दान, जप, यज्ञ का विशेष महत्व है! पृथ्वी के मकर राशि में प्रवेश को मकर संक्रान्ति कहते है! सूर्य का मकर रेखा से उत्तरी कर्क रेखा कि ओर जाना उत्तरायण तथा कर्क रेखा से दक्षिणी रेखा की ओर जाना दक्षिणायन
कहते है। उत्तरायण में दिन बड़ें
हो जाते है। प्रकाश बढ़ जाता है! रातें दिन की अपेक्षा छोटी होने लगती है। दक्षिणायन में इसके ठीक विपरीत होता है।
शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण की अवधि देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन की रात्रि है! वैदिक काल में उत्तरायण को देवयान तथा दक्षिणायन को पितृयान कहा जाता है! मकर संक्रान्ति के दिन यज्ञ में दिए गए द्रव्य को ग्रहण करने के लिए देवता पृथ्वी पर अवतरित होते हैं! इसी मार्ग से पुण्यात्मायें शरीर छोड़कर स्वर्गादि लोकों में प्रवेश करतीं है! इसलिए यह आलोक का अवसर माना जाता है! धर्मशास्त्रों के कथनानुसार इस दिन पुण्य, दान, जप तथा धार्मिक अनुष्ठानों का अत्यन्त महत्व है। इस अवसर पर किया गया दान पुनर्जन्म होने पर सौ गुना होकर प्राप्त होता है! इस पर्व पर तिल का विशेष महत्व है! तिल खाना तथा तिल बाँटना इस पर्व की प्रधानता है! शीत के निवारण के लिए तिल,तेल तथा तूल का महत्व है! तिल मिश्रित जल से स्नान, तिल- उबटन, तिल-हवन, तिल-भोजन तथा तिल-दान सभी कार्य पापनाशक है। इसलिए इस दिन तिल, गुड तथा चीनी मिले लड्डू खाने और दान देने का विशेष महत्व है! मकर संक्रान्ति से एक दिन पूर्व हिमाचल, हरियाणा तथा पंजाब में यह त्योहार लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है।
उत्तर प्रदेश में यह मकर संक्रान्ति (खिचड़ी) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन खिचड़ी खाने और खिचड़ी-तिल के दान का विशेष महत्व है। इस अवसर पर गंगा सागर में बहुत बड़ा मेला लगता है। मकर संक्रान्ति का पर्व श्रद्धा पूर्वक मनाने से सामाजिक एकता और अनन्त पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय बताते है कि मकर राशि पर सूर्य का प्रवेश दिनांक 14 जनवरी मंगलवार को दिवा 02.58 पर हुआ है। उस समय वृष लग्न भोग करेगी अतः वृष राशि वालों के लिए यह संक्रान्ति अत्यंत लाभकारी होगी।
मकर व कुम्भ राशि वालों के रुके हुए कार्य त्वरित होने लगेंगे, मेष व वृश्चिक राशि के लोगांे को भूमि का सुख प्राप्त हो सकता है। वृष व तुला राशि के लोगांे को वाहन व भवन का योग।
मिथुन व कन्या राशि के लोगों के लिए धन लाभ होगा। कर्क राशि के लोगो के लिए व्यापार में लाभ व रुके हुए कार्य होंगे। सिंह राशि के लोगांे के लिए वाहन सुख की प्राप्ति व राजनैतिक लाभ मिलेगा। धनु व मीन राशि के लोगों के लिए पद व प्रतिष्ठा की प्राप्ति संभव है। (हिफी)