राजनीतिलेखक की कलम

‘इंडिया’ को मजबूत करने के प्रयास

 

विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ को मजबूत करने का प्रयास तो किया जा रहा है लेकिन इसकी सफलता पर संदेह है। गत 24 जुलाई को जब दिल्ली में आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी धरना दे रहे थे तब उनको समर्थन देने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत कुछ विपक्षी नेता पहुंचे थे। विपक्ष में सबसे बड़ा दल कांगे्रस है। उसके नेता उस धरने में नहीं पहुंचे थे। जगन मोहन रेड्डी का आरोप है कि राज्य मेें नई सरकार के सत्ता में आने के बाद से 50 दिनों में 30 से ज्यादा लोगों की हत्या हो गयी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को राज्य के हालात के मामले में चिट्ठी भी लिखी है। पीएम को लिखे पत्र में तेलुगुदेशम पार्टी (टीडीपी) और उसके सहयोगियों की शिकायत की है। ध्यान देने की बात है कि आंध्र प्रदेश में इस बार टीडीपी ने भाजपा के साथ मिलकर ही सरकार बनायी है। दोनों ने लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ा था। चन्द्रबाबू नायडू मुख्यमंत्री हैं। उनके 16 सांसद मोदी सरकार के लिए बहुत महत्वपूर्ण भी हैं। माना जाता है कि इसी के चलते केन्द्रीय बजट में आंध्र प्रदेश के लिए खजाने का मुंह खोल दिया गया है। यह भी ध्यान देने की बात है कि पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी भी भाजपा के साथ लोकसभा और विधानसभा के चुनाव लड़ने के इच्छुक थे। राज्य सभा और लोकसभा में जगन की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने मोदी सरकार का महत्वपूर्ण मुद्दों पर साथ भी दिया लेकिन भाजपा ने चन्द्रबाबू नायडू को प्राथमिकता दी। अब जगन मोहन रेड्डी त्रिशंकु की हालत में हैं। इसी तरह ओडिशा के नवीन पटनायक भी हैं जहां भाजपा ने पहली बार सरकार बनायी है। विपक्षी दलों का गठबंधन इंडिया इन दोनों नेताओं को अपने साथ जोड़ना चाहता है लेकिन दोनों राज्यों में कांग्रेस बाधा बन रही है। इस गुत्थी को इंडिया गठबंधन कैसे सुलझाता है यह देखने की बात होगी।

175 सदस्यीय आंध्र प्रदेश विधानसभा में टीडीपी को 135, पवन कल्याण की जनसेवा पार्टी को 21, वाईएसआर सीपी को 11 और भाजपा को 8 सीटें मिली हैं। कांग्रेस का खाता नहीं खुल पाया।
केंद्रीय बजट 2024-25 में आंध्र प्रदेश को भारी भरकम 15 हजार करोड़ का पैकेज देने की हर तरफ चर्चा है लेकिन दूसरी तरफ प्रदेश की कानून-व्यवस्था को लेकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी टीडीपी सरकार पर हमलावर है। पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी दिल्ली में टीडीपी की सत्ता के खिलाफ धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। इस प्रदर्शन में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी शामिल हुए। जगन मोहन रेड्डी ने कहा कि आज वे सत्ता में हैं, कल हम सत्ता में थे, कल हम फिर सत्ता में आ सकते हैं लेकिन आज प्रदेश में जो हो रहा है, वह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। वहीं अखिलेश यादव ने कहा कि मैं जगन का धन्यवाद देना चाहता हूँ कि उन्होंने अपने धरने में मुझे बुलाया। अगर मैं नहीं आता तो जिस तरह की तस्वीरें वीडियो यहां दिखाई गई, मैं उसकी सच्चाई नहीं जान पाता। अखिलेश यादव ने कहा कि सत्ता में आने के बाद विरोधियों पर हमला नहीं करना चाहिए, विपक्ष को सुना जाना चाहिए, यही लोकतंत्र है। अखिलेश यादव ने कहा कि बुलडोजर का जो कल्चर डेमोक्रेसी में आया है हम इसे स्वीकार नहीं करते। डराने वाले लोग देर तक सत्ता में नहीं रहते।

पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने बताया कि राज्य में नई सरकार के सत्ता में आने के 50 दिनों के भीतर हालात खराब हो चुके हैं। यहां हिंसा में 30 से ज्यादा लोगों की हत्या कर दी गई है। विरोधियों पर हमले लगातार जारी हैं। संपत्तियों को नष्ट किया जा रहा है लेकिन सरकार इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पा रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि ऐसा लगता है आंध्र प्रदेश में लोकतंत्र नहीं बचा है। पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने पूरे मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति से मिलने के लिए समय मांगा। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को राज्य की हालत को लेकर चिट्ठी भी लिखी। पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में टीडीपी और उसके सहयोगियों की शिकायत की। उन्होंने लिखा कि राज्य में हिंसा के एक हजार से ज्यादा मामले हो चुके हैं। इसी के साथ उन्होंने केंद्रीय एजेंसियों से हिंसा की जांच कराने का आग्रह किया।

पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी ने कहा कि मौजूदा सरकार राज्य के हालात से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि सत्ता के बल पर केवल विपक्ष को दबाया जा रहा है। हमारी पार्टी को विपक्ष के रूप में मान्यता मिलनी चाहिए, लेकिन सरकार को इससे डर लगता है। हमें मान्यता देने का मतलब है विधानसभा में बोलने का अधिकार देना लेकिन सरकार इससे बचना चाहती।
चुनाव से पहले भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) के नेता चंद्रबाबू नायडू ने वापसी की थी। साल 1996 में टीडीपी पहली बार एनडीए का हिस्सा बनी थी। चंद्रबाबू नायडू ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर काम किया था। इतना ही नहीं, आंध्र प्रदेश में 2014 का लोकसभा और विधानसभा चुनाव भी टीडीपी ने भाजपा के साथ लड़ा था, लेकिन 2019 में टीडीपी, एनडीए से अलग हो गई थी।साल 2019 में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) ने 175 सीटों में से 151 सीटें जीतकर भारी बहुमत से सरकार बनायी, जबकि मौजूदा तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने 23 सीटें जीती थीं। जन सेना पार्टी (जेएसपी) ने एक सीट के साथ विधानसभा में प्रवेश किया था, जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कोई भी सीट जीतने में असफल रही थीं।

तब जगन मोहन रेड्डी को आंध्र प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था। इस बार चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई में तेलुगू देशम, भाजपा और पवन कल्याण की जन सेना पार्टी का गठबंधन हुआ है। वाईएस शर्मिला के नेतृत्व में फिर से उभरती कांग्रेस का इस बार लेफ्ट पार्टियों के साथ ने चुनाव को त्रिशंकु बना दिया था।
175 विधायकों को चुनने के लिए आंध्र प्रदेश के लोगों ने 13 मई को अपना वोट दिया था। एक जमाने में कांग्रेस और तेलुगू देशम के हाथ में इस राज्य की बागडोर रहती थी, लेकिन 2009 में वाईएस राजशेखर रेड्डी की हेलीकॉप्टर हादसे में मौत के बाद उनके बेटे वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने खुद को आंध्र प्रदेश की राजनीति में स्थापित किया। 2019 में सत्ता में आने के बाद से ही कई सामाजिक योजनाओं के चलते उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है। अब 2024 मंे उनके सितारे फिर गर्दिश मंे आ गये। राज्य की सत्ता चन्द्रबाबू नायडू के हाथ चली गयी। लगभग एक महीने पूर्व ही नायडू की सरकार ने जगन मोहन रेड्डी की पार्टी के निर्माणाधीन आफिर पर बुलडोजर चलवा दिया था। इसलिए जगन मोहन का विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया से जुड़ने की संभावना अधिक है। इंडिया को इससे मजबूती मिलेगी। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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