राहुल गांधी का चुनावी आकलन

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अमेरिका की धरती पर जिस तरह से नरेन्द्र मोदी सरकार की आलोचना की, उसे उचित नहीं कहा जा सकता है। घर के बाहर घर की निंदा कभी अच्छी नहीं मानी जाती है। इसके साथ ही राहुल गांधी ने विपक्षी एकता को लेकर जिस तरह का आकलन किया है, उस पर भी यकीन करना मुश्किल हो रहा है। बिहार की राजधानी पटना मंे 12 जून को विपक्षी दलों की एक महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है। वहां के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश भर में घूम कर विपक्षी दलों की एकता का प्रयास भी कर रहे हैं लेकिन उनके डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने पिछले दिनों एक विशेष जातीय सम्मेलन में कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार से दूरियां बनायीं। तेजस्वी यादव उस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे लेकिन वहां गये ही नहीं। इसके अलावा यूपी मंे बसपा प्रमुख मायावती भी कांग्रेस को धोखेबाज बता रही हैं। आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के लिए इस समय केन्द्र के अध्यादेश का विरोध ज्यादा महत्वपूर्ण है। कांग्रेस की सहयोगी पार्टी द्रमुक ने उसका समर्थन कर दिया हे लेकिन कांग्रेस खुद पीछे हट रही है। ममता बनर्जी भी कांग्रेस को विपक्ष का नेता कुछ शर्तों पर बनाना चाहती है। इसलिए राहुल गांधी को चुनावी आकलन दुरुस्त कर लेना चाहिए। अभी तो
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव के नतीजे ही काफी कुछ बता देंगे। उससे पहले अमेरिका मंे उनके बयान विपक्षी दलों को ही हजम नहीं हो रहे हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए एकजुट विपक्ष की क्षमता पर भरोसा जताया है। अमेरिका के वाशिंगटन में नेशनल प्रेस क्लब में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि कांग्रेस पार्टी अगले आम चुनाव में बहुत अच्छा करेगी, नतीजे लोगों को चैंका देंगे। बस आप कैलकुलेट करें, एकजुट विपक्ष अपने दम पर बीजेपी को हरा देगा। राहुल गांधी ने कहा कि लोकसभा चुनाव में एक साल से भी कम समय बचा है और कांग्रेस अन्य विपक्षी दलों के साथ नियमित बातचीत कर रही है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, विपक्ष बहुत अच्छी तरह से एकजुट है। हम सभी विपक्षी दलों के साथ बातचीत कर रहे हैं। मुझे लगता है कि वहां काफी अच्छा काम हो रहा है। यह एक जटिल चर्चा है, क्योंकि ऐसे कई राज्य हैं, जहां हम उन दलों के साथ कंपिटीशन कर रहे हैं लेकिन मुझे विश्वास है कि विपक्ष का महागठबंधन होगा।
राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर संवैधानिक संस्थानों पर कब्जा करने का भी आरोप लगाया। कांग्रेस नेता ने कहा कि जब वह राजनीति में आए थे, तब उन्होंने सोचा भी नहीं था कि उन्हें लोकसभा की सदस्यता से कभी अयोग्य घोषित किया जाएगा, लेकिन इसने उन्हें लोगों की सेवा करने का एक बड़ा अवसर दिया है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि यह नाटकीय घटनाक्रम असल में करीब छह महीने पहले शुरू हुआ। हम संघर्ष कर रहे थे। पूरा विपक्ष भारत में संघर्ष कर रहा है। सारा धन कुछ लोगों के पास है। संस्थाओं पर कब्जा कर लिया गया है। हम अपने देश में लोकतांत्रिक लड़ाई लड़ने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि वह अपने जीवन के खतरों के बारे में चिंतित नहीं हैं और यह पीछे हटने का कारण नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, मैं हत्या की धमकियों से चिंतित नहीं हूं। हर किसी को मरना है। यही मैंने अपनी दादी और पिता से सीखा है। आप ऐसी किसी चीज के लिए पीछे नहीं हटते।
गौरतलब है कि राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों ने 1984 में हत्या कर दी थी, जबकि उनके पिता राजीव गांधी की 1991 में एक आत्मघाती हमले में हत्या कर दी गई थी। दोनों पूर्व प्रधानमंत्री थे।
बिहार की राजधानी पटना में 12 जून को विपक्षी एकता की बैठक होनी है। इस बैठक से पहले पटना स्थित बापू सभागार में प्रजापति समाज का सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन में मुख्य अतिथि के तौर पर उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को निमंत्रण दिया गया था। उप मुख्यमंत्री के साथ महागठबंधन के सभी नेताओं को भी निमंत्रण दिया गया था। इस कार्यक्रम में महागठबंधन सरकार के कई मंत्री पहुंचे हुए थे, लेकिन तेजस्वी यादव नहीं पहुंचे। मंच पर उनकी कुर्सी खाली ही रह गई। कार्यक्रम में कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार भी उपस्थित थे। जब तेजस्वी यादव मंच पर नहीं पहुंचे तो पत्रकारों ने कन्हैया कुमार से सवाल किया तो इस पर कांग्रेस नेता चुप्पी साधते सवाल को टालते नजर आएं। कन्हैया कुमार ने इस सवाल पर केवल इतना ही कहा- मंच पर
अध्यक्ष जी कुछ कह रहे हैं उनकी बात सुनिए। चलिए हमको जनता को देखने दीजिए। पटना के ज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान पूरा मामला सामने आया। तेजस्वी यादव के नहीं पंहुचने पर मंत्री अशोक चैधरी भी गोल मटोल जवाब देते नजर आएं। उन्होंने कहा- उप मुख्यमंत्री से हमारी बात नहीं हुई थी। उनके सहयोगी ने कहा कि विभाग का कार्यक्रम है। इसलिए हम विभाग के कार्यक्रम में जा रहे हैं। वहीं, प्रजापति सम्मेलन के आयोजक पिंटू गुरुजी प्रदेश महासचिव ने कहा- तेजस्वी यादव मंच पर नहीं पहुंचे हैं तो हमारे समाज के लोगों को निराशा हुई है। हमारे समाज के लोग आरजेडी को वोट देते थे। लालू प्रसाद यादव हमारे समाज के लोगों के लिए बहुत काम किए हैं। हम लोग चाहते थे कि तेजस्वी यादव लोगों के साथ मंच साझा करें लेकिन उन्होंने दूरी बना ली। इसका हम लोगों को खेद है।
कांग्रेस ने कर्नाटक का चुनाव जीता है। इस जीत के बाद से ही इस चुनाव परिणाम को 2024 में लोकसभा चुनाव के लिए संकेत बताने की कोशिश हो रही है। साथ ही एक नैरेटिव गढ़ने की कोशिश की जा रही है कि विपक्षी एकता का केंद्र स्थल कांग्रेस ही है। हालांकि इसमें कोई दम नहीं दिखाई देता। कर्नाटक चुनाव का गणितीय और तार्किक विश्लेषण देखें, तो जबरदस्त सत्ता-विरोधी लहर के बावजूद भाजपा के मतों का प्रतिशत जस का तस बना हुआ है।
उधर, राहुल एक के बाद एक ऐसा बयान दे रहे हैं, जिनसे राजनितिक गलियारों में हलचल बढ़ रही है। अब राहुल गांधी ने इंडियन मुस्लिम लीग पार्टी को पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष कह कर नया मुद्दा खड़ा कर दिया है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण था कि कुछ लोग देश में अभी भी मुस्लिम लीग का समर्थन करने वाले व्यक्ति को धर्मनिरपेक्ष मानते है। वहीं, किरेन रिजिजू ने पूछा कि मोहम्मद अली जिन्ना की मुस्लिम लीग, जो धार्मिक आधार पर भारत के विभाजन के लिए ‘जिम्मेदार’ थी, एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी कैसे हो सकती है?
इन सवालों का जवाब राहुल नहीं दे सकते लेकिन इनका प्रभाव विपक्षी एकता पर पड़ेगा। (हिफी)