तमिलनाडु में भी चुनावी रोग

दक्षिण भारत के राज्य तमिलनाडु में भी पश्चिम बंगाल के साष्थ ही 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का सबसे ज्यादा जोर पश्चिम बंगाल के किले पर भगवा फहराने पर है लेकिन इसके साथ ही तमिलनाडु में भी उसे अपने पैर मजबूत करने हैं। तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) की सरकार है जिसके साथ कांग्रेस का गठबंधन है। भाजपा ने अखिल भारतीय अन्ना द्रमुक (एआईडीएमके) के साथ समझौता कर रखा है। अन्ना द्रमुक और द्रमुक दोनों में चुनाव से पहले भगदड़ का रोग लग गया है। अन्ना द्रमुक से निकाले गये वरिष्ठ नेता सेंगोट्टैयन तमिल सुपर स्टार विजय की पार्टी तमलागा वेट्टी कझगम अर्थात टीवीके में शामिल हो गये हैं। सेंगोट्टैयन ने पार्टी के सर्वेसर्वा पलानीस्वामी पर तानाशाही का आरोप लगाया था। उधर, सत्तारूढ़ द्रमुक गठबंधन सरकार में भी कांग्रेस को लेकर मतभेद की खबरें आ रही हैं। तमिलनाडु विधानसभा में कुल 234 सीटें हैं। दरअसल कांग्रेस विधायक दल के नेता एस. राजेश कुमार ने गत दिनों बयान दिया था कि कांग्रेस के सहयोग के बिना द्रमुक 2026 में
चुनाव नहीं जीत पाएगी। इसी साल अप्रैल में भाजपा और अन्ना द्रमुक में समझौता हुआ था। इसके तहत भाजपा ने अपने प्रदेश अध्यक्ष अन्ना मलाई को पद से हटाया था और पलानी स्वामी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने पर सहमति बनी थी।
एआईडीएमके से निकाले गए वरिष्ठ नेता और 9 बार के विधायक केए सेंगोट्टैयन ने अपने समर्थकों के साथ तमिल सुपरस्टार विजय के अगुवाई वाली तमिलागा
वेट्ट्री कझगम यानी कि टीवीके जॉइन कर लिया। यह फैसला उन्होंने गोबिचेट्टिपालयम के विधायक पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद लिया। सेंगोट्टैयन इरोड जिले में काफी प्रभाव रखते हैं, जहां उन्होंने अपनी होम कांस्टीट्यूएंसी से 9 बार चुनाव जीता है। 2026 में होने वाले विधानसभा चुनावों में अब कुछ ही महीने बाकी हैं, ऐसे में उनका टीवीके में शामिल होना इरोड में पार्टी के लिए हवा बदल सकता है। इस्तीफा देने के बाद सेंगोट्टैयन ने टीवीके चीफ विजय से भी मुलाकात की थी। इससे पहले, सेंगोट्टैयन के समर्थक टीवीके ऑफिस के बाहर इकट्ठा हुए थे, ताकि अपने नेता का पार्टी में स्वागत कर सकें। ये समर्थक गोबिचेट्टिपालयम से आए थे और टीवीके के जनरल सेक्रेटरी एन. आनंद ने उनका स्वागत किया। सेंगोट्टैयन ने इसी 26 नवंबर को विधायक पद से इस्तीफा दिया था। अक्टूबर में एआईडीएमके ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था, क्योंकि उन पर आरोप था कि वे पहले निकाले गए लोगों से संपर्क में थे, जो पार्टी अनुशासन तोड़ने और संगठन की बदनामी का कारण बना।
एआईडीएमके से निकाले जाने के बाद सेंगोट्टैयन ने कहा था कि वे कोर्ट जाएंगे और निकालने के तरीके को चुनौती देंगे। उन्होंने एआईडीएमके जनरल सेक्रेटरी ई. के. पलानीस्वामी पर तानाशाही का आरोप लगाया था। उन्होंने 1 नवंबर को कहा था, मैं तो पार्टी में आने से पहले ही विधायक था। पार्टी के नियम के मुताबिक, कम से कम मुझे सफाई देने के लिए नोटिस तो दिया जाना चाहिए था। पलानीस्वामी तानाशाह की तरह काम कर रहे हैं और पार्टी के नियमों के खिलाफ जाना चिंताजनक है। वहीं, एआईडीएमके के जनरल सेक्रेटरी ई. के. पलानीस्वामी ने सेंगोट्टैयन के टीवीके जॉइन करने पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, सेंगोट्टैयन अब एआईडीएमके में नहीं हैं, इसलिए उनके टीवीके जॉइन करने पर मुझे कुछ कहने की जरूरत नहीं है। पलानीस्वामी ने पहले कहा था कि उनका फैसला कानून के मुताबिक था। उन्होंने सवाल किया था कि जब कोई पार्टी को कमजोर कर रहा हो, तो एआईडीएमके चुप कैसे रह सकती है। उन्होंने कहा, जब सेंगोट्टैयन अपनी कांस्टीट्यूएंसी के इवेंट्स में जाते हैं, तो वहां हमारे नेताओं, अम्मा या थलाइवर की तस्वीरें नहीं होतीं। वे उन लोगों के साथ थे जो पार्टी से निकाले गए थे, जैसे ओ. पन्नीरसेल्वम।
एआईडीएमके के जनरल सेक्रेट्री एडप्पादी के. पलानीस्वामी ने कूनूर में एक विशाल चुनावी रैली को संबोधित करते हुए ऐसा बयान दिया जिससे तमिलनाडु की सियासत में हलचल मचनी तय है। उन्होंने सत्तारूढ़ द्रमुक और उसके प्रमुख सहयोगी कांग्रेस के बीच चल रहे गठबंधन में दरार पड़ने का दावा किया। उन्होंने कहा कि द्रमुक का खेमा जल्द ही खाली होने वाला है, क्योंकि कांग्रेस अब सत्ता में हिस्सेदारी और ज्यादा सीटों की मांग कर रही है। पलानीस्वामी ने कहा कि हाल ही में तिरुनेलवेली में हुई कांग्रेस की एक बैठक में तमिलनाडु के लिए पार्टी प्रभारी गिरीश चोडनकर ने खुलकर 50-50 की मांग रखी थी।पलानीस्वामी ने कहा कि चोडनकर ने 2026 के विधानसभा चुनाव में तमिलनाडु की कुल 234 सीटों में से 117 सीटें और सत्ता में बराबर की हिस्सेदारी मांगी है। पलानीस्वामी ने तंज कसते हुए कहा, डीएमके कब तक अकेले लूट मचाएगी? अब कांग्रेस को भी होश आया है और वह सत्ता में हिस्सा मांग रही है। उन्होंने तमिलनाडु कांग्रेस के विधायक दल के नेता एस. राजेशकुमार के बयान का भी जिक्र किया, जिन्होंने कथित तौर पर कहा कि डीएमके चुनाव नहीं जीतेगी, और अगर जीत भी गई तो कांग्रेस गठबंधन सरकार में हिस्सेदारी चाहेगी। इसके अलावा, तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष के.एस. अलागिरी ने भी सत्ता में हिस्सेदारी की मांग उठाई है।
पलानीस्वामी ने कहा कि एक डीएमके विधायक द्वारा संचालित अस्पताल में किडनी प्रत्यारोपण से जुड़ी अनियमितताएं सामने आई हैं, लेकिन डीएमके सरकार ने दोषियों को बचाने की कोशिश की। इसके अलावा, काल्लाकुरिची में जहरीली शराब त्रासदी, जिसमें 68 लोगों की मौत हो गई थी, का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जांच की मांग को डीएमके ने ठुकरा दिया ताकि अपराधियों को बचाया जा सके।मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की हालिया यूरोप यात्रा पर निशाना साधते हुए पलानीस्वामी ने कहा कि यह यात्रा निवेश आकर्षित करने के लिए नहीं, बल्कि निवेश करने के लिए थी। उन्होंने स्टालिन पर गलत जानकारी देने का आरोप लगाया। पलानीस्वामी ने डीएमके सांसद कनिमोझी के उस बयान पर भी पलटवार किया, जिसमें
उन्होंने कहा था कि एआईडीएमके का मुख्यालय दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर है। पलानीस्वामी ने तंज कसते हुए कहा, पता नहीं कनिमोझी ने कोई सपना देखा है। एआईडीएमके का मुख्यालय चेन्नई में है, आप आकर देख सकती हैं। पलानीस्वामी ने पूर्व मुख्यमंत्री ओ. पनीरसेल्वम पर भी परोक्ष रूप से निशाना साधा। उन्होंने 11 जुलाई 2022 को एआईडीएमके मुख्यालय में हुई हंगामे की घटना का जिक्र किया, जब पनीरसेल्वम को पार्टी से निष्कासित किया गया
था। उन्होंने कहा कि स्टालिन चाहे जितने अवतार ले लें, एआईडीएमके को तोड़ नहीं सकते, क्योंकि यह
पार्टी कार्यकर्ताओं की ताकत से चलती है। (अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)



