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हिमालयी राज्यों के लिए ठोस नीति बनाने पर जोर

नैनीताल। डॉ. आरएस टोलिया उत्तराखंड प्रशासन अकादमी नैनीताल एवं राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के संयुक्त आयोजन में सोमवार से शुरू हुई दो दिवसीय कार्यशाला में आपदा के दौरान जोखिम कम करने के लिए विशेष प्रशिक्षण देने पर जोर दिया गया। ‘भविष्य के लिए जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और आपदा जोखिम न्यूनीकरण’ पर विशेषज्ञों ने हिमालयी राज्यों के लिए ठोस नीति बनाने की बात कही। महानिदेशक बीपी पांडेय ने जोशीमठ, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम में घटित आपदाओं पर चर्चा करते हुए ड्रेनेज सिस्टम व जल निकासी के साथ पर्यावरणीय प्रभाव को ध्यान में रखते हुए एक ठोस रणनीति हिमालयी राज्यों के लिए बनाने पर जोर दिया। विशिष्ट अतिथि पद्मविभूषण चंडी प्रसाद भट्ट ने हिमालयी राज्यों में बदलती हुई जलवायु परिवर्तन पर चिंता जताई। इन्दु कुमार पांडे ने कार्यशाला को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि केदारनाथ त्रासदी से हम सभी को एक सीख लेनी होगी। कहा कि आपदाओं के समय विभागों में समन्वय एवं सहयोग बेहद जरूरी है। राजेंद्र रत्नू ने ग्लोबल वार्मिंग व जलवायु परिवर्तन पर चर्चा करते हुए कहा कि प्रकृति से छेड़छाड़ करना आपदाओं की आवृत्ति को बढ़ाना है। कहा कि इसके कारण मानव के साथ-साथ पशु-पक्षियों, जीव-जन्तुओं पर भी प्रभाव पड़ा है। उन्होंने हिमालयी राज्यों हेतु एक प्रशिक्षण संस्थान उत्तराखण्ड राज्य में स्थापित करने की मांग की। उद्घाटन के बाद तकनीकी सत्रों में विशेषज्ञ के रूप में डॉ. मनोज खरे, एके सिंह, बी सिम्हाद्री राव, प्रो. प्रदीप साहनी, डॉ. पवन कुमार, प्रो. जेए रावत, डॉ. एलएन ठकुराल, हरीश चौधरी, प्रो. अमिताभ पांडे आदि विशेषज्ञों ने जलवायु परिवर्तन एवं भविष्य की रणनीति पर चर्चा की। यहां अकादमी के संयुक्त निदेशक (प्रशासन) प्रकाश चंद्र, प्रो. संतोष कुमार आदि रहे।

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