अग्निवीरों को प्रोत्साहन

देश की सीमाओं पर ही नहीं, दैवी आपदाओं में भी सेना के जवान अपनी जान की बाजी लगा देते हैं। नरेन्द्र मोदी की सरकार ने अग्निवीरों के रूप में भी ऐसे जवानों की भर्ती शुरू की थी जो नियमित सेना की भर्ती से कुछ अलग हटकर योजना है। इस योजना को लेकर विपक्षी दलों ने आपत्तियाँ खड़ी की थीं। यहां तक कि इसी साल सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव में इसे एक मुद्दा बनाया गया था। अब नरेन्द्र मोदी के ही नेतृत्व में तीसरी बार एनडीए की सरकार बनने पर अग्निवीर योजना में सकारात्मक संशोधन किये जा रहे हैं। अग्निवीर सेवा से रिटायर जवानों को केन्द्रीय सुरक्षा बल में भर्ती को प्राथमिकता दी जा रही है। इनके लिए 10 फीसद सीटें आरक्षित की जा रही हैं। उम्र सीमा में भी पहले बैच को 5 साल और दूसरे बैच को 3 साल की छूट दी जाएगी। पूर्व अग्निवीरों को फिजिकल एफिशएंसी टेस्ट (पीईटी) में छूट दी जाएगी। इस तरह अग्निवीर बनने के लिए सरकार युवाओं को प्रोत्साहन दे रही है। औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के प्रमुखों ने गत 11 जुलाई को कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्णय के अनुरूप उनके बलों में कांस्टेबल के 10 प्रतिशत पद पूर्व अग्निवीरों के लिए आरक्षित रहेंगे। सीआईएसएफ महानिदेशक नीना सिंह और बीएसएफ में नितिन अग्रवाल ने यह बयान ऐसे समय में दिया है जब थलसेना, नौसेना और वायु सेना में कर्मियों की अल्पकालिक भर्ती के लिए ‘अग्निपथ भर्ती योजना पर नए सिरे से बहस शुरू हो गई है। नीना सिंह ने कहा, ‘‘केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पूर्व अग्निवीरों की भर्ती के संबंध में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इसके अनुरूप सीआईएसएफ भी पूर्व अग्निवीरों की भर्ती की प्रक्रिया तैयार कर रहा है।सीआईएसएफ प्रमुख ने कहा कि भविष्य में कांस्टेबल पद पर सभी नियुक्तियों में पूर्व अग्निवीरों के लिए 10 प्रतिशत नौकरियां आरक्षित रहेंगी। उन्होंने कहा, ‘‘शारीरिक परीक्षा में भी उन्हें छूट दी जाएगी। इसके अलावा आयु सीमा में भी छूट दी जाएगी। पहले वर्ष में आयु में छूट पांच वर्ष की होगी और उसके बाद के वर्ष में आयु में छूट तीन वर्ष की होगी। सिंह ने कहा, ‘‘पूर्व अग्निवीर इसका लाभ उठा सकेंगे और सीआईएसएफ यह सुनिश्चित करेगा। यह सीआईएसएफ के लिए भी लाभकारी होगा क्योंकि बल को प्रशिक्षित और अनुशासित कर्मी मिलेंगे। सरकार ने अग्निपथ योजना की शुरुआत जून, 2022 में की थी। इसमें 17 से 21 वर्ष की आयु वर्ग के युवाओं को चार साल के लिए सेना में भर्ती करने का प्रावधान किया गया था, जिनमें से 25 प्रतिशत को 15 और वर्षों के लिए बनाए रखने का प्रावधान है। सरकार ने बाद में ऊपरी आयु सीमा को बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल इस योजना को लेकर सरकार पर निशाना साध रहे हैं और सवाल उठा रहे हैं कि चार साल का कार्यकाल समाप्त होने के बाद 75 प्रतिशत अग्निवीरों का क्या होगा, क्योंकि कुल भर्तियों में से केवल 25 प्रतिशत ही 15 साल तक बने रहेंगे।
अग्निवीरों के अच्छे भविष्य के लिए विभिन्न केंद्रीय सरकारी एजेंसी और विभागों ने पूर्व अग्निवीरों की भर्ती की योजना की घोषणा पहले ही कर दी है। सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक अग्रवाल ने कहा, ‘‘उन्हें चार साल का अनुभव होता है। वे पूरी तरह अनुशासित और प्रशिक्षित कर्मी हैं। यह बीएसएफ के लिए बहुत अच्छी बात है क्योंकि हमें प्रशिक्षित जवान मिल रहे हैं। थोड़े समय के प्रशिक्षण के बाद उन्हें सीमा पर तैनात किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पूर्व अग्निवीरों की भर्ती से सभी सुरक्षा बलों को लाभ मिलेगा।
अग्रवाल ने कहा, ‘‘कुल रिक्तियों में से 10 प्रतिशत उनके लिए आरक्षित होंगी। उन्होंने ने कहा, ‘‘उनके लिए आयु सीमा में छूट भी होगी। पहले बैच को आयु में पांच साल की छूट मिलेगी और उसके बाद के बैच को आयु में तीन साल की छूट मिलेगी। भारत सरकार ने जब दो साल पहले
इस योजना के तहत भर्ती शुरू
की थी तब नेपाल ने अपने युवाओं को भारतीय सेना में शामिल नहीं होने को कहा था।
नेपाल सरकार ने अपने युवाओं की अग्निपथ स्कीम के तहत भर्ती पर रोक लगा दी। भारत सरकार ने पूर्व अग्निवीरों के लिए केंद्रीय सशस्त्र सुरक्षा बलों की भर्ती में 10 फीसदी सीटें आरक्षित करने का फैसला लिया है।इनमें केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और रेलवे पुलिस बल (आरपीएफ) जैसे सुरक्षाबलों में होने वाली भर्तियां शामिल है।
इसके तहत अग्निवीर की सेवा से रिटायर हुए जवानों को उम्र सीमा और शारीरिक दक्षता में भी छूट मिलेगी। साल 2022 में सेना के तीन अंगों में जवान, एयरमैन और नाविक के पदों पर भर्ती के लिए सरकार अग्निपथ योजना लेकर आई थी। इस योजना के तहत सेना में शामिल अग्निवीर का कार्यकाल चार साल का है, जिसके बाद इनमें से 25 फीसदी आगे सेना में काम करते रहेंगे जबकि 75 फीसदी को सेना से रिटायर होना होगा। इस योजना को लेकर विपक्ष ने सरकार से कई सवाल किए थे और कहा था कि ट्रेनिंग ले चुके अग्निवीर सेना से रिटायर होने के बाद क्या करेंगे इसे लेकर कोई योजना होनी चाहिए।
हाल में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोकसभा में विपक्ष का नेता बनने के बाद अग्निवीर के मुद्दे पर फिर से चर्चा छेड़ी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार बनने पर अग्निवीर योजना को खत्म कर दिया जाएगा।
अब केन्द्र सरकार के संशोधन से जहां कुछ युवाओं को इससे उम्मीद जगी है, वहीं कुछ युवा कहते हैं कि इससे कितना फायदा होगा, ये देखना होगा। सीआईएसएफ की महानिदेशक नीना सिंह ने एक बयान में कहा कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने पूर्व अग्निवीरों के केंद्रीय सुरक्षा बलों में भर्ती के लिए महत्वपूर्ण फैसला लिया है। उन्होंने कहा, इसके अनुसार सीआईएसएफ ने भी पूर्व अग्निवीरों की भर्ती के लिए सारी तैयारी कर ली है। सीआईएसएफ ने कांस्टेबल पद की भर्ती में उनके लिए 10 फीसदी सीटें आरक्षित की गई हैं। पूर्व अग्निवीरों को पीईटी यानी फिजिकल एफिशिएंसी टेस्ट में छूट दी गई है और शुरू में अधिकतम उम्र की सीमा में 5 साल (पहले साल में) और बाद के सालों में 3 साल की छूट दी जाएगी। उनका कहना है कि सीआईएसएफ सुनिश्चित करेगी कि पूर्व अग्निवीर इस सुविधा का लाभ उठा सकें। सीआईएसएफ के अलावा सीमा सुरक्षा बल या बीएसएफ के महानिदेशक नितिन अग्रवाल ने भी बताया है कि बीएसएफ की भर्ती में पूर्व अग्निवीरों के लिए 10 फीसदी पद आरक्षित होंगे। उन्होंने पूर्व अग्निवीरों के लिए कहा, चार साल इन्होंने मशक्कत की है, नौकरी की है और अनुभव हासिल किया है। ये कड़े अनुशासन में रहे हैं और बीएसफ के लिए अनुरुप हैं। हमें एक तरह से तैयार सैनिक मिल रहे हैं।
अग्रवाल कहते हैं कि हम इन्हें कम ट्रेनिंग देने के बाद सीमा पर तैनात कर सकते हैं। हम इनके आने का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीएसएफ की कुल रिक्तियों में से इनके लिए 10 फीसदी इनके लिए आरक्षित होगा। इस प्रकार अग्निवीर योजना के प्रति युवाओं में प्रोत्साहन पैदा हो रहा है। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)