लोकतंत्र के दुश्मन!

हमने आजाद होने के बाद शासन की लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपनाया। लोकतंत्र मंे जनता की मुख्य भागीदारी रहती है और हमारे देश मंे प्राचीनकाल मंे भी जनतंत्र की व्यवस्था रही है। लिच्छिवि गणराज्य जैसे इसके उदाहरण थे। आज लोकतंत्र को उन्हीं लोगों से खतरा है जो अपने को जनसेवक बताते हैं। एक उदाहरण आंध्र प्रदेश का है जहां एक प्रत्याशी ने पोलिंग बूथ मंे प्रवेश करके ईवीएम को ही तोड़ दिया। उस प्रत्याशी को अगर कोई शिकायत थी तो उसे चुनाव आयोग के पास जाना चाहिए था। मीडिया भी उसकी बात को जनता तक पहुंचा सकता था, लेकिन ईवीएम को तोड़ने से यही प्रतीत होता है कि वह लोकतंत्र के दुश्मन हैं। इसी प्रकार एक सांसद का अपने राजनीतिक दल से मतभेद हो सकता है लेकिन इसी के चलते वे मतदान न करें तो यही कहा जाएगा कि लोकतंत्र का सम्मान नहीं कर रहे हैं। किसी मजबूरी मंे कोई मतदान से वंचित रहे, यह अलग बात है। हालांकि निर्वाचन आयोग ने अशक्त, वृद्ध और बीमार मतदाताओं के मत डलवाने की भी व्यवस्था कर रखी थी लेकिन पूर्व केन्द्रीय मंत्री और भाजपा के हजारी बाग से सांसद जयंत सिन्हा ने बताते हैं मतदान ही नहीं किया। भाजपा के राज्य महासचिव आदित्य साहू ने जयंत सिन्हा को नोटिस जारी किया है। नोटिस मे कहा गया कि जब से पार्टी ने मनीष जायसवाल को हजारी बाग लोकसभा सीट से उम्मीदवार घोषित किया है, तब से आप संगठनात्मक कार्यों और चुनाव प्रचार मंे कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। आप को अपने वोट का प्रयोग करने की जरूरत भी महसूस नहीं हुई। आपके आचरण से पार्टी की छवि खराब हुई….।
यदि यह सच है तो सांसद जयंत सिन्हा ने अपने आक्रोश के चलते लेाकतंत्र के प्रति दुश्मनी निभाई है।
जनता द्वारा चुने गए नेता ही अगर चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने लगें तो एक निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने का जिम्मा कौन संभालेगा? ये सवाल आंध्र प्रदेश में खूब गूंज रहा है और इसकी वजह है सत्तारूढ़ वाईएसआरसीपी के एक विधायक, जिन्होंने वोटिंग के दौरान ईवीएम मशीन तोड़ी है। इसका वीडियो भी सामने आया है। ईवीएम को नुकसान पहुंचाने के मामले कुल 7 जगहों से सामने आए हैं। चुनाव आयोग ने इस मामले में आंध्र प्रदेश पुलिस प्रमुख को सत्तारूढ़ वाईएसआरसीपी विधायक के खिलाफ सख्त आपराधिक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
13 मई को माचेरला निर्वाचन क्षेत्र के 7 मतदान केंद्रों पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें (ईवीएम) तोड़ी गईं, जिसमें मतदान केंद्र संख्या 202 भी शामिल था, जहां स्थानीय विधायक पी रामकृष्ण रेड्डी ने कथित तौर पर एक ईवीएम को नीचे गिराकर उसे तोड़ा था। चुनाव आयोग ने एक बयान में कहा, माचेरला विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में, पीएस नंबर (मतदान केंद्र संख्या) 202 सहित सात मतदान केंद्रों पर ईवीएम को नुकसान पहुंचाया गया, जहां मौजूदा विधायक पी रामकृष्ण रेड्डी द्वारा ईवीएम को नुकसान पहुंचाने की यह घटना वेब कैमरे में रिकॉर्ड की गई थी। चुनाव आयोग ने इस घटनाक्रम को गंभीरता से लिया है और सीईओ को भी इसमें शामिल सभी व्यक्तियों के खिलाफ सख्त आपराधिक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं और ऐसा करने के लिए डीजीपी हरीश कुमार गुप्ता को सूचित करने का निर्देश दिया है। पलनाडु जिला चुनाव अधिकारियों ने जांच में सहायता के लिए पुलिस को इन घटनाओं के फुटेज उपलब्ध कराए हैं। इसके अलावा, चुनाव आयोग ने पुलिस से ईवीएम को नुकसान पहुंचाने वाले मामलों में शामिल सभी व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा है, जिससे भविष्य में कोई भी अशांति फैलाने करने की हिम्मत न कर सके। आंध्र प्रदेश में 13 मई को एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव हुए थे।
उधर, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद जयंत सिन्हा के 20 मई को कथित तौर पर वोट नहीं डालने को लेकर भाजपा ने उनके खिलाफ एक्शन लिया है। पार्टी ने सिन्हा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिसमें दावा किया गया है कि मनीष जायसवाल को झारखंड की हजारीबाग सीट से उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद से वह संगठनात्मक कार्यों और चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। सिन्हा इस हाई-प्रोफाइल सीट से सांसद हैं और उन्होंने मार्च में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा व्यक्त की थी। पार्टी ने सिन्हा से दो दिनों के भीतर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा था।
सिन्हा ने 2 मार्च को एक्स पर अपनी एक पोस्ट में भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा से अनुरोध किया था कि मुझे प्रत्यक्ष चुनावी कर्तव्यों से मुक्त करें। उन्होंने कहा था कि वह भारत और दुनिया भर में वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने के अपने प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। इसके कुछ ही घंटों के बाद भाजपा ने जायसवाल को झारखंड की इस सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया, जिसका प्रतिनिधित्व कभी यशवंत सिन्हा और बाद में उनके बेटे जयंत सिन्हा ने किया था। इसी तरह की पोस्ट करने वाले एक अन्य सांसद गौतम गंभीर थे, जिन्होंने कहा कि आगामी क्रिकेट प्रतिबद्धताओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए वह अपने राजनीतिक कर्तव्यों से मुक्त होना चाहते हैं। भाजपा ने पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से अपने मौजूदा सांसद गंभीर की जगह हर्ष मल्होत्रा को मैदान में उतारा।
आपने लोकसभा चुनाव में वोट क्यों नहीं किया? आप चुनाव प्रचार का हिस्सा क्यों नहीं बने? ये सवाल पूर्व केंद्रीय मंत्री और झारखंड की हजारीबाग सीट से मौजूदा सांसद जयंत सिन्हा से बीजेपी ने कारण बताओ नोटिस भेजकर पूछा तो वह नाराज हो गए। उन्हें ऐसा लग रहा है कि पार्टी के लिए उनकी निष्ठा और कड़ी मेहनत के बाद भी उनको गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा है। बीजेपी सांसद ने कहा कि किसी भी संदेह को दूर करने के लिए कभी भी पर्सनली या फिर फोन पर उनसे बात की जा सकती थी।
हजारीबाग लोकसभा चुनाव के लिए जिम्मेदार पार्टी पदाधिकारी के नाते आदित्य साहू उनसे कभी भी संपर्क कर सकते थे। लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद उनको चिट्ठी भेजा जाना समझ से परे है। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी का कारण बताओ नोटिस पाकर वह हैरान हैं। जयंत सिन्हा ने कहा कि उन्होंने पोस्टल बैलेट के जरिए वोट डाला, क्यों कि पर्सनल कमिटमेंट्स की वजह से वह विदेश में थे।
बताया जाता है कि भाजपा की चुनावी मशीनरी ने व्यापक सर्वेक्षण और हर लोकसभा सीट पर लंबे विचार-विमर्श के बाद गौतम गंभीर और जयंत सिन्हा को नहीं दोहराने का फैसला किया था। सिन्हा ने 2019 में कांग्रेस के गोपाल साहू को हराकर 4.79 लाख वोटों के जीत दर्ज की थी। झारखंड में लोकसभा चुनाव के दूसरे दौर में तीन सीटों पर 20 मई को मतदान हुआ। बताते
हैं जयंत सिन्हा ने मतदान ही नहीं किया जबकि सरकार मतदान अवश्य करने की जोर-शोर से अपील कर रही है। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)