लेखक की कलम

यूपी को पहला आयुष विवि

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
भारत की सुरक्षित और सटीक आयुष चिकित्सा पद्धति आज दुनिया भर मंे अपनी बेहतर पहचान बना चुकी है। आयुष से चिकित्सा, शिक्षा एवं मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा भी दिया जा सकता है। उत्तर प्रदेश का यह सौभाग्य है कि उसे आयुष विश्वविद्यालय की सौगात मिली है। यह विश्वविद्यालय महायोगी गुरु गोरखनाथ की पवित्र धरती पर 26750 करोड़ रुपये की लागत से बना है। इसका शिलान्यास पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 2021 में और ओपीडी का शुभारम्भ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 15 फरवरी 2023 को किया था। अब 1 जुलाई 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसका लोकार्पण किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति मुर्मू ने मुख्यमत्रंी योगी आदित्यनाथ के अथक परिश्रम व जनता के प्रति समर्पण की तारीफ की। इस विश्वविद्यालय से युवाओं को रोजगार भी मिलेगा, यह बात योगी आदित्नाथ ने लोकार्पण समारोह मंे कही थी योगी ने कहा आयुर्वेद भारत की अति प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। नवनाथ और चैरासी सिद्धों की परम्परा से आयुर्वेद का रसशास्त्र जुड़ा है। इस प्रकार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आयुर्वेद एवं नाथ पंथ के जुड़ाव का भी उल्लेख किया। उन्हांेने बताया कि आयुर्वेद मंे रसशास्त्र धातु विज्ञान का आविष्कार नवनाथ तथा चैरासी सिद्धों की परम्परा से जुड़ता है। इसे व्यवस्थित करने का श्रेय महायोगी गुरु गोरखनाथ को दिया जाता है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी गुरु गोरखनाथ के बारे मंे कहा कि आदिगुरु शंकराचार्य के बाद इतना प्रभावशाली महापुरुष भारत में दोबारा नहीं हुआ। गोरखपुर आयुष विश्वविद्यालय से 100 आयुष कालेज लाभान्वित हो रहे हैं। नवनाथों मंे- गुरु मच्छिन्द्रनाथ, गुरु गोरखनाथ, गुरु महिनी नाथ, गुरु जालंधर नाथ, गुरु कानिक नाथ, गुरु भृतहरि नाथ, गुरु रेवण नाथ, गुरु नाग नाथ एवं गुरु चर्पटी नाथ शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश का पहला आयुष विश्वविद्यालय आयुर्वेद समेत प्राचीन व परंपरागत आयुष विधाओं की चिकित्सा और इनसे जुड़ी शिक्षा का केंद्र ही नहीं बनेगा बल्कि इसके जरिये रोजगार के नए द्वार भी खुलने जा रहे हैं। महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय गोरखपुर मेडिकल टूरिज्म, औषधीय पौधों की आयसर्जक खेती की संभावना को धरातल पर उतारने में बड़ी भूमिका निभाने को तैयार है। आयुष विश्वविद्यालय का लोकार्पण एक जुलाई को देश की प्रथम नागरिक, राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु करेंगी।
प्रदेश का पहला आयुष विश्वविद्यालय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट है। सीएम योगी आदित्यनाथ के विजन से धरातल पर उतरे इस विश्वविद्यालय का शिलान्यास 28 अगस्त 2021 को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था जबकि लोकार्पण एक जुलाई को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने किया। आयुष पद्धति से चिकित्सा, शिक्षा और मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए स्थापित आयुष विश्वविद्यालय भटहट क्षेत्र के पिपरी में 52 एकड़ क्षेत्रफल में बना है। इसकी स्वीकृत लागत 267.50 करोड़ रुपये है।आयुष विश्वविद्यालय में आयुष ओपीडी का शुभारंभ 15 फरवरी 2023 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था। हाल के दिनों में सायंकाल के सत्र में भी ओपीडी चलने लगी है। प्रतिदिन यहां आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी की ओपीडी में औसतन 300 मरीज परामर्श लेते हैं। ओपीडी शुभारंभ के बाद अब तक करीब सवा लाख से अधिक लोग आयुष चिकित्सकों से परामर्श लाभ ले चुके हैं। लोकार्पण के बाद अस्पताल (आईपीडी, ओटी) शुरू होने से आयुष पद्धति से उपचार की बेहतरीन सुविधा भी उपलब्ध होने लगेगी। आयुष विश्वविद्यालय में 28 कॉटेज वाला बेहतरीन पंचकर्म भी बनकर तैयार है और जल्द ही लोगों को पंचकर्म चिकित्सा की भी सुविधा मिलने लगेगी।
योगी आदित्यनाथ सरकार के राज्य में आयुष चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने से आयुष हेल्थ टूरिज्म में रोजगार की संभावनाएं भी बलवती हुई हैं। आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना पर गोरखपुर को केंद्र में रखकर पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए यह संभावना और बढ़ जाती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप यदि संभावनाओं पर गंभीरता से काम किया गया तो प्रदेश के इस पहले आयुष विश्वविद्यालय के आसपास के गांवों के लोगों को रोजगार के किसी न किसी स्वरूप से जोड़ा जा सकता है। आयुष विश्वविद्यालय के पूर्णतः क्रियाशील होने से किसानों की खुशहाली और नौजवानों के लिए नौकरी-रोजगार का मार्ग भी प्रशस्त होगा। लोग आसपास उगने वाली जड़ी बूटियों का संग्रह कर अतिरिक्त आय अर्जित कर सकेंगे। किसानों को औषधीय खेती से ज्यादा फायदा मिलेगा। आयुष विश्वविद्यालय व्यापक पैमाने पर रोजगार और सकारात्मक परिवर्तन का कारक बन सकता है।
महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के अस्तित्व में आने से पहले आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा, योग, सिद्धा की चिकित्सा पद्धति, जिन्हें समन्वित रूप में आयुष कहा जाता है, के नियमन के लिए अलग-अलग संस्थाएं कार्यरत रहीं। पर, राज्य के पहले आयुष विश्वविद्यालय के अस्तित्व में आने के बाद प्रदेश के सभी राजकीय और निजी आयुष कॉलेजों (वर्तमान में 98) का नियमन अब इसी विश्वविद्यालय से ही होता है।महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय प्रदेश का अपनी तरह का पहला और गोरखपुर का चैथा संचालित विश्वविद्यालय है। गोरखपुर में इसके पहले दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, पूर्वी उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा के बड़े केंद्र के रूप में ख्यातिलब्ध हैं। इस प्रकार गोरखपुर उन चुनिंदा जिलों में शामिल हो गया है जहां चार विश्वविद्यालय संचालित हैं। यहां पांचवें विश्वविद्यालय की भी स्थापना होगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फॉरेस्ट्री यूनिवर्सिटी के रूप में पांचवं विश्वविद्यालय की स्थापना किए जाने की घोषणा कर चुके हैं और इसके लिए जमीन भी चिह्नित की जा चुकी है।
रस शास्त्र में विशेष योगदान करने वाले नाथ संप्रदाय के सर्वाधिक प्रसिद्ध गुरु जिन्हे हम गोरखनाथ के नाम से जानते हैं। उत्तरप्रदेश का गोरखपुर उन्ही के नाम पर है जहाँ उन्होंने वर्तमान गोरक्षपीठ मठ की स्थापना की थी। नेपाल का जो गोरखा समाज है, वो भी उन्ही के नाम पर पड़ा है। उन्ही के नाम पर नेपाल के एक जिले का नाम भी गोरखा है जहाँ एक प्राचीन गुफा में उनकी एक मूर्ति स्थापित है। गोरखनाथ का वर्णन त्रेतायुग एवं द्वापरयुग में भी आता है जहाँ त्रेतायुग में वे श्रीराम के राज्याभिषेक में सम्मिलित हुए थे वहीं द्वापरयुग में वे श्रीकृष्ण और माता रुक्मिणी के विवाह में भी आये थे। कलियुग में भी उनकी कथा आती है जब महान वीर बाप्पा रावल ने उनके दर्शन किये और उनसे वरदान स्वरुप एक दिव्य तलवार प्राप्त की। उसी तलवार से उन्होंने मुगलों को पराजित किया था। (हिफी)

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