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नीट 2024 को रद्द कर सरकार बचाए साख

 

नीट यूजी परीक्षा पेपर लीक मामले में जांच सीबीआई को सौंप दी गई है सीबीआई ने इस मामले में पहली एफआईआर दर्ज कर ली है लेकिन केंद्र सरकार नीट परीक्षा को लेकर लगातार असमंजस की स्थिति में बनी है जैसा कि सर्व विदित है कि नीट 2024 की परीक्षा में पेपर लीक होने और कई परीक्षा केंद्रों पर कदाचार व गड़बड़ी की पुष्ट सूचना सार्वजनिक हो चुकी हैं। एक ओर बिहार में एक रिजॉर्ट में पेपर लीक कर पहली रात को आनसर रटाए गए। वहीं हरियाणा के एक सेंटर पर ऐसा अलाउद्दीन का चिराग जलाया गया कि इस केंद्र के आठ छात्रों ने फुल में से फुल माक्र्स हासिल कर लिये। इतना ही नहीं गुजरात के गोधरा के एक परीक्षा केंद्र पर नीट की परीक्षा देने के लिए दस लाख रुपये देकर केंद्र अलाट किया गया। डेढ़ हजार किलोमीटर से यहां अभ्यर्थियों ने पैसे देकर सैंटर चुना क्योंकि उन्हें इस सेंटर पर पेपर साल्व करने की सारी व्यवस्था मोटी रकम वसूल कर की गई थी। इन सभी गड़बड़ी के मामले में पुलिस रिपोर्ट दर्ज करायी गयी है और एक दर्जन से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इस के बावजूद शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बयान बेहद अपरिपक्वता भरे है। शुरू में उन्होंने किसी गड़बड़ी से इंकार करते हुए एनटीए का बचाव किया। जैसे जैसे मामला बढ़ रहा है प्रधान रोजाना पैतरा बदल रहे हैं। अब नीट में गड़बड़ी का मामला इतना बढ़ चुका है कि छात्र हर प्रदेश में सड़क पर आ रहे हैं कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी इस मामले में राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री से लेकर शिक्षामंत्री तक इस मामले में खुद समय पर कदम न उठा कर छात्रों को आंदोलित होने का मौका दे रहे हैं। वहीं बता दें कि नीट पीजी की 23 जून की प्रवेश परीक्षा स्थगित कर दी गई थी।

सूत्रों के अनुसार पेपर लीक केस में बड़ा खुलासा हुआ है। आरोपी अनुराग यादव का कुबूलनामा सामने आया है। उसने पुलिस के सामने दर्ज कराए बयान में कहा है कि जो प्रश्न पत्र लीक हुआ, वही परीक्षा में आया और 100 प्रतिशत वही सवाल परीक्षा में पूछे गए थे। मेरे पास ये प्रश्न पत्र एक दिन पहले ही आ गया था। अनुराग का कहना था कि फूफा ने सेटिंग करवाई थी और उसे कोटा से पटना बुलवाया था। रात में हर प्रश्न का उत्तर रटवाया गया था। परीक्षा के बाद पुलिस ने मुझे गिरफ्तार कर लिया।दरअसल, 4 जून को नीट परीक्षा का रिजल्ट आया तो पहली बार 67 स्टूडेंट्स टॉपर बने और उन्हें 720 में से 720 अंक मिले। टॉपर्स की लिस्ट देखने के बाद नीट परीक्षा में धांधली का मुद्दा उठाया गया और 13 जून को एनटीए ने फैसला लिया कि ग्रेस मार्क्स वाले छात्रों की परीक्षा दोबारा आयोजित कराई जाएगी, लेकिन अभी भी छात्रों का गुस्सा थमा नहीं है। बिहार और गुजरात से सामने आई पेपर लीक की खबरों से एनटीए की विश्वसनीयता और पारदर्शिता पर कई सवाल खड़े हो गए हैं, इसीलिए छात्र मामले में सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे । धांधली के मामले में पटना और पंचमहल से कई गिरफ्तारियां हुई हैं। पटना में 13 लोग गिरफ्तार हुए हैं, जिनमें 4 छात्र शामिल हैं। पुलिस छानबीन में पता चला कि पेपर लीक हुआ था और गिरोह ने बच्चों को पास कराने के लिए लाखों रुपए वसूले थे। पंचमहल में भी छात्रों से लाखों रुपए वसूले गए और गिरोह ने सही जवाब भरकर आंसर शीट जमा की। मामले में पुलिस की जांच पटना के जूनियर इंजीनियर सिकंदर प्रसाद यादवेंदु तक पहुंची। उससे पूछताछ की गई तो कई चैंकाने वाले खुलासे हुए। उसने बताया कि परीक्षा धांधली में उसकी भी संलिप्तता है और अपने भतीजे अनुराग यादव के लिए उसने गड़बड़ी में भूमिका निभाई है। पटना के शास्त्रीनगर थाना पुलिस ने अनुराग यादव से पूछताछ की और उसके इकबालिया बयान दर्ज किए हैं। अनुराग ने दावा किया है कि सेंटर पर परीक्षा के दिन वही पेपर मिला, जो एक दिन पहले ही उसे मुहैया करा दिया गया था। रात भर उसे हर प्रश्न रटवाया गया। 100 प्रतिशत वही सवाल पूछे गए थे। छात्र अनुराग यादव ने भी इकबालिया बयान में कहा है कि मैं परिदा थानानपुर, जिला समस्तीपुर का रहने वाला हूं। मैं अपनी सफाई का बयान बिना भय, दबाव, लोभ लालच के शास्त्रीनगर थाने में इस्पेक्टर तेज नारायण सिंह के समक्ष दे रहा हूं। मैं नीट की परीक्षा की तैयारी कोटा में एलेन कोचिंग सेंटर में कर रहा था। मेरे फूफा सिंकदर यादवेंदु नगर परिषद दानापुर में जूनियर इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं। मेरे फूफा द्वारा बताया गया कि 5 मई 2024 को नीट की परीक्षा है। कोटा से वापस आ जाओ। परीक्षा की सेटिंग हो चुकी है। मैं कोटा से वापस आ गया और मेरे फूफा ने 4 मई 2024 की रात्रि में अमित आनंद, नीतीश कुमार के पास मुझे छोड़ दिया। यहां पर नीट की परीक्षा का प्रश्न पत्र और उत्तर पुस्तिका दिया गया। रात्रि में पढ़वाया और रटवाया गया। मेरा सेंटर डीवाई पाटिल स्कूल में था। मै स्कूल में परीक्षा देने गया तो जो प्रश्न पत्र रटवाया गया था, वही प्रश्न सही- सही परीक्षा में मिल गया। परीक्षा के उपरांत अचानक पुलिस आई और मुझे पकड़ लिया। मैंने अपना अपराध स्वीकार किया। यही मेरा बयान है।

सिकंदर प्रसाद यादवेंदु बिहार के दानापुर नगर परिषद में जेई है। उसने हाल ही में कन्फेशन नोट में चैंकाने वाले खुलासे किए हैं। सिंकदर ने कहा, उसने 4 नीट परीक्षार्थियों आयुष राज, शिवनंदन कुमार, अभिषेक कुमार और अनुराग यादव की पटना में रहने में मदद की थी। अनुराग उसका भतीजा था। वो अपनी मां रीना कुमारी के साथ पटना आया था।

यादवेंदु का कहना था कि वो एक रैकेट के संपर्क में था, जिसने न सिर्फ नीट यूजीबल्कि बिहार लोक सेवा आयोग और संघ लोक सेवा आयोग परीक्षाओं के प्रश्न पत्र भी लीक किए थे। इसके अलावा, जिस गेस्ट हाउस में परीक्षार्थी रुके थे, वहां के बिल भी हासिल किए गए हैं। गेस्ट हाउस की बिल बुक में एक मंत्री जी का भी उल्लेख है, जिन्होंने कथित तौर पर अनुराग यादव और उसके सहयोगियों के ठहरने की सुविधा प्रदान की थी। यह गेस्ट हाउस पटना चिड़ियाघर और पटना एयरपोर्ट के पास स्थित है। इस संबंध में बिहार के डिप्टी सीएम विजय सिन्हा का कहना था कि गेस्ट हाउस में जिन लोगों को पकड़ा गया है, वे किसी प्रीतम से जुड़े हुए है।

आखिर इस गड़बड़ी भरे नीट को रद्द कर दोबारा परीक्षा कराने में सरकार देरी क्यों कर रही है? बड़े भरे दिल से लिखना पड़ता है कि पीएम नरेन्द्र मोदी इस मुद्दे के दूरगामी प्रभाव को कम कर क्यों आंक रहे हैं। उनके शिक्षा मंत्री बेहद कमजोर व अपरिपक्व क्यों साबित हो रहे हैं। यदि छात्र आंदोलित होते हैं तो समूचे देश में सरकार के खिलाफ नाराजगी बढ़ सकती है। यह न्याय का भी तकाजा है कि चोबिस लाख बच्चों को इंसाफ मिलना चाहिए।

उधर, दूसरी ओर मेडिकल कालेजों में प्रवेश की परीक्षा नीट को लेकर उठे गंभीर सवालों के बीच नैशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी एनटीए की ओर से कराई गई यूजीसी नेट परीक्षा को रद किया जाना शर्म का विषय है। क्या इससे शर्मनाक और कुछ हो सकता है कि 18 जून को यूजीसी नेट की परीक्षा हुई और 24 घंटे के अंदर खबर आ गई कि उसका प्रश्नपत्र लीक हो गया? यह परीक्षा इसलिए रद करनी पड़ी, क्योंकि उसके प्रश्नपत्र मैसेजिंग एप टेलीग्राम पर उपलब्ध पाए गए। इसमें संदेह होता है कि एनटीए के तंत्र में ही कुछ ऐसे लोग शामिल हैं, जो धांधली करते अथवा कराते हैं। यह संदेह इसलिए होता है, क्योंकि एक तो इस संस्था के पास पर्याप्त संख्याबल नहीं और दूसरे वह अपना अधिकांश काम ठेके पर कराती है और वह भी ऐसी एजेंसियों के माध्यम से, जिनके पास इस तरह का काम करने का कोई अनुभव नहीं है। समझना कठिन है कि जिन परीक्षाओं में लाखों छात्र बैठते हों, उनका आयोजन ठेके पर क्यों कराया जाता है?

पेपर लीक होने की जांच सीबीआइ को सौंप दी गई है और शीघ्र दोबारा परीक्षा करने का आश्वासन दिया गया है। इस परीक्षा में नौ लाख से अधिक छात्र बैठे थे। आखिर दोबारा परीक्षा देने के लिए विवश इतने अधिक छात्रों के समय और संसाधन की बर्बादी के साथ उन्हें जिस मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ेगा, उसकी भरपाई कौन करेगा और कैसे? एक के बाद एक परीक्षाओं की विश्वसनीयता को लेकर उठने वाले प्रश्न एनटीए के साथ-साथ शिक्षा मंत्रालय और साथ ही केंद्रीय सत्ता की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचा रहे हैं। चूंकि एनटीए की साख ही सवालों से घिर गई है, इसलिए उसकी कार्यप्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन करना होगा। उसकी ओर से आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं को लेकर भरोसा तब बहाल होगा, जब स्वयं उसकी प्रतिष्ठा स्थापित होगी। (हिफी)

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)

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