यूपी में गरीबों के गुरुकुल

भारत में गुरुकुल की परम्परा रही है लेकिन वे राजवंशों के लिए होतंे थे। अब उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रमिकों के बच्चों को शिक्षित करने के उद्देश्य से अटल आवासीय विद्यालय बनाने की योजना शुरू की थी जिसका विस्तार किया जायेगा। सभी अठारह मंडलों में इन विद्यालयों का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ। पहले चरण में प्रदेश के अठारह मण्डलों में एक-एक विद्यालय की स्थापना हुई है। बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा बचे हुए सत्तावन जनपदों में इसी तर्ज पर एक एक विद्यालय स्थापित किया जा रहा है। इन विद्यालयों के निर्माण सम्बन्धी कार्य पूरे हो चुके।इनका पहला सत्र शीघ्र प्रारम्भ होगा।योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर गुरुवार्ता संगम कार्यक्रम को संबोधित किया। अटल आवासीय विद्यालय के छात्र छात्राओं को एडमिशन किट वितरित किए। उन्होंने कहा कि अटल आवासीय विद्यालय भारत की प्राचीन गुरुकुल जैसी परम्परा की शुरुआत है। गुरुकुल परम्परा ने भारत को शिक्षा तथा समृद्धि के क्षेत्र में विश्वगुरु बनाया था। इन विद्यालयों की स्थापना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा, श्रद्धेय अटल का नाम, तथा पं दीनदयाल उपाध्याय जी का संकल्प है। अटल आवासीय विद्यालय सभी सुविधाओं से युक्त विश्वस्तरीय विद्यालय हैं। अटल आवासीय विद्यालयों का उद्देश्य समाज के सबसे पिछड़े तथा अन्तिम पायदान से बच्चों की प्रतिभाओं को शिक्षित तथा प्रशिक्षित कर उन्हें गरिमामयी जीवन जीने के योग्य बनाना है। इन विद्यालयों में सामान्य बच्चों को भी प्रवेश दिया जाएगा। अटल आवासीय विद्यालयों के भवन उच्च श्रेणी के बनाए गए हैं। इन विद्यालयों का परिसर करीब पंद्रह एकड़ क्षेत्रफल में फैला हुआ है। इन विद्यालयों में शिक्षा के साथ ही स्किल डेवलपमेंट तथा खेलकूद की गतिविधियों के लिए भी स्थान है। यहां बालक-बालिकाओं के लिए अलग-अलग छात्रावास भी हैं। योगी आदित्यनाथ अनेक अवसरों को विकास से जोड़ने के प्रति सजग है। उत्तर प्रदेश का स्थापना दिवस भी उसके लिए ऐसा ही अवसर रहा है। चैबीस जनवरी को यह स्थापना दिवस मनाया जाता है।योगी आदित्यनाथ ने स्थापना दिवस को भी विकास का अवसर बना दिया। ऐसे ही स्थापना दिवस पर उन्होंने अटल आवासीय विद्यालय बनाने की घोषणा की थी। पूर्व राज्यपाल राम नाईक ने सरकार को उत्तर प्रदेश दिवस आयोजित करने का सुझाव सपा सरकार को दिया था। लेकिन उसने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई। योगी आदित्यनाथ जब मुख्यमंत्री बने तब उन्होंने इस ओर ध्यान दिया। उन्होंने चैबीस जनवरी को न केवल उत्तर प्रदेश दिवस मनाने का निर्णय किया, बल्कि इसे उत्तर प्रदेश के विकास से जोड़ दिया। विश्वकर्मा पुरष्कार की यही प्रतिध्वनि थी। धीरे धीरे इसका विस्तार पूरे प्रदेश में किया गया। लखनऊ में सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश दिवस का भव्य आयोजन होता है।
अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर सभी अठारह कमिश्नरी में अटल आवासीय विद्यालयों का शु्भारंभ किया गया। इससे पंजीकृत श्रमिकों के बच्चों व निराश्रित बच्चों हेतु भी आवासीय विद्यालय उपलब्ध होंगे। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विद्यालयों में नियमित मॉर्निंग असेम्बली होनी चाहिए। प्रार्थना सभा में सभी बच्चे सम्मिलित हों। यहां भारत की परम्पराओं के विषय में जानकारी दी जाए। विद्यार्थियों को किसी भी राष्ट्रीय पर्व अथवा आध्यात्मिक आयोजन से पहले इनके महत्व के विषय में बताया जाना चाहिए।
त्योहारों के आध्यात्मिक व धार्मिक पक्ष होते हैं। त्योहारों के प्रेरणादायी पक्षों से विद्यार्थियों को अवगत कराया जाना चाहिए। विद्यालय का परिसर तथा प्रवेश द्वार आध्यात्मिक वातावरण से परिपूर्ण होना चाहिए। इसके लिए अलग-अलग प्रकार के वृक्षों को लगाया जाना चाहिए। विद्यालय में पुष्पदार पौधे लगाये जाने चाहिए। अलग-अलग जगह पर आम्र वाटिका, जामुन वाटिका, अमरूद वाटिका आदि वाटिकाएं विकसित की जानी चाहिए। सड़कों के किनारे छायादार वृक्ष भी लगाए जा सकते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से भारत की शिक्षा की नींव को आगे बढ़ाने का कार्य होना चाहिए। उत्तर प्रदेश के पहले स्थापना दिवस पर एक जिला एक उत्पाद ओडीओपी योजना लॉन्च की गई थी। यह योजना प्रदेश के निर्यात को तेजी से आगे बढ़ाने में कारगर साबित हुई है। जहां देश का निर्यात आठ प्रतिशत की दर से बढ़ा है वहीं उत्तर प्रदेश का निर्यात अट्ठाइस फीसद की दर से बढ़ा है। दूसरे स्थापना दिवस पर विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना शुरू की गई। तीसरे स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री आवासीय विद्यालयों की स्थापना के लिए आधारशिला रखी गईं थीं। प्रदेश सरकार ने कुशलता से विकास और कल्याणकारी योजनाओं के बीच संतुलन स्थापित किया है। अटल आवासीय विद्यालय अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होंगे। इन विद्यालयों में छात्रों के रहने और सभी प्रकार की सुविधाओं की व्यवस्था सरकार करेगी।
योगी आदित्यनाथ ने अन्तर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के मौके पर सीएम ने बाल मजदूरी करने वाले बच्चों को मुख्यधारा में लाने के लिए बाल श्रमिक विद्या योजना की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा था कि श्परिस्थितियों के चलते इन बच्चों को बाल मजदूरी करनी पड़ती है। इससे उनके शारीरिक एवं मानसिक विकास पर प्रतिकूल असर पड़ता है। इन बच्चों की प्रतिभा का लाभ देश और समाज को नहीं मिल पाता जिससे दोनों को अपूरणीय क्षति होती है। इन बच्चों को बाल मजदूरी से बचाने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों ने समय-समय पर कानून बनाए लेकिन इस पर पूरी तरह से रोक नहीं लग पाई। बाल मजदूरी करने वाले आठ से अठारह साल के बच्चों के लिए उनकी सरकार बाल श्रमिक विद्या योजना शुरू की गई थी। इस योजना के पहले चरण में सत्तावन जनपदों में बालश्रम से जुड़े हुए दो हजार बच्चों एक हजार रुपए प्रतिमाह और बालिकाओं को बारह सौ रुपए प्रतिमाह देने की व्यवस्था की गई। इसके अलावा आठवीं, नौवीं और दसवीं कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को प्रतिवर्ष छह हजार रुपए देने का प्रावधान भी इस योजना में किया गया है। (हिफी)
(डॉ दिलीप अग्निहोत्री-हिफी फीचर)