तीज-त्योहार

सौभाग्य की प्राप्ति का पर्व है हरतालिका तीज

(पं. आर.एस. द्विवेदी-हिफी फीचर)
हरतालिका तीज की महिमा को अपरंपार माना गया है। हिन्दू धर्म में विशेषकर सुहागिन महिलाओं के लिए इस पर्व का महात्म्य बहुत ज्यादा है। हरतालिका तीज व्रत हिंदू धर्म में मनाये जाने वाला एक प्रमुख व्रत है।
इस वर्ष हरितालिका व्रत के पूजन के लिए कुछ संशय बना हुआ है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 5 सितंबर को दोपहर 12.21 मिनट से शुरू होगी। इस तिथि का समापन 6 सितंबर को दोपहर 3.01 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर हरतालिका तीज 6 सिंतबर शुक्रवार को मनाई जाएगी। कथा के अनुसार भाद्रपद शुक्लपक्ष के तृतीया तिथि हस्त नक्षत्र से युक्त हो इस दिन व्रत करने से व्रती महिलाएं सौभाग्य प्राप्त के साथ सभी तरह के पापो से मुक्त हो जाती है। इस वर्ष भाद्रपद शुक्लपक्ष चतुर्थी से युक्त तृतीया तिथि है जो वैधव्य दोष नाशक तथा पुत्र तथा पौत्रादि को बढ़ाने वाला होता है।
हरतालिका तीज व्रत हर साल भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस त्योहार में मां पार्वती और भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। हरतालिका तीज व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-सौभाग्य की कामना के लिए रखती हैं। वहीं कुछ जगहों पर कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर के लिए यह व्रत रखती हैं। इस व्रत को बेहद ही कठिन माना जाता है, क्योंकि ये निर्जला व्रत होता है। इस दिन महिलाएं बिना अन्न-जल ग्रहण किए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए किया था। हरतालिका तीज व्रत करने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। हरतालिका तीज खासतौर से उत्तर भारत के राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड और हिमाचल प्रदेश में भी कुछ स्थानों पर बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल हरतालिका तीज व्रत 6 सितंबर को मनाया जाएगा। जानिए हरतालिका तीज व्रत से जुड़े नियम के बारे में विस्तार से।
हरतालिका तीज का महत्त्व- इस व्रत को हरतालिका तीज इसलिए कहा जाता है, क्योंकि एक कथा के अनुसार माता पार्वती के पिता उनकी इच्छा के विरुद्ध भगवान विष्णु से उनकी शादी करवाना चाहते थे। तब माता पार्वती की सहेली उन्हें अपने साथ घने जंगल में ले गईं। इस कहानी में ‘हरत’ का मतलब अपहरण और ‘आलिका’ का मतलब सहेली होता है। इस तरह ‘हरतालिका’ शब्द बना है। हरतालिका तीज की पूजा सुबह स्नान करने और अच्छे कपड़े पहनने के बाद की जाती है। सुबह का समय पूजा के लिए सबसे अच्छा माना जाता है, लेकिन अगर किसी कारणवश सुबह पूजा न हो पाए, तो प्रदोष काल में भी पूजा की जा सकती है। हरतालिका तीज के दिन सुहागिन महिलाएं सुबह स्नान के बाद नए वस्त्र पहनकर इस व्रत का संकल्प लेकर दिन की शुरुआत कर सकती हैं। इसके बाद महिलाएं अपने हाथों में मेंहदी लगाकर, संपूर्ण सोलह शृंगार करें। हरतालिका तीज में श्री गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इसलिए मिट्टी से तीनों की प्रतिमा बनाएं। उसके बाद भगवान गणेश को तिलक करके दूर्वा अर्पित करें।
इसके बाद भगवान शिव को फूल, बेलपत्र और शमी पत्र अर्पित करें और माता पार्वती को शृंगार का सामान अर्पित करें। इसके अलावा तीनों देवी-देवताओं को वस्त्र अर्पित करने चाहिए। इसके बाद हरितालिका तीज व्रत की कथा सुने या पढ़ें। भगवान गणेश की आरती करें। अंत में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती उतारने के बाद भोग लगाएं। व्रत करने वाली महिलाएं पूजा करने के बाद भोग लगाकर सब में बांटती हैं। रात को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूरा किया जाता है।
तीज व्रत के पूजन के लिए लोगो में संशय बना हुआ है। व्रत का पूजन कब किया जायेगा। तीज का व्रत पुरे साल में तीन तीज मनाया जाता है। हरियाली तीज कजरी तीज और हरितालिका तीज।इन तीनों तीज में सबसे ज्यादा महत्व हरितालिका तीज व्रत का है। यह त्यौहार भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष के तृतीया तिथि को मनाया जाता है। सुहागिन महिलाएं अपने सौभाग्य को खुशहाल बनाने के लिए पुरे दिन निर्जला उपवास रखकर संध्या में भगवन शिव तथा पार्वती का विशेष तौर पर किया जाता है।
सुयोग्य वर प्राप्त करने के लिए हरितालिका व्रत करती है। धार्मिक मान्यता यह है की इस व्रत को करने से सौभाग्य, पारिवारिक सुख ,संतान का सुख ,चन्द्र दोष अगर बना हुआ है वह भी समाप्त होता है।परिवार के सभी महिलाएं मिलजुलकर घर में मीठा पकवान बनाती है।वही पकवान गौरी गणेश तथा भगवान शिव को अर्पित करती है ।
सौभाग्यवती महिलाएं तीज व्रत में भगवान शिव का मिट्टी का प्रतिमा बनाकर उनका पूजन करती है। भगवान को बेलपत्र, गंगाजल, ऋतुफल, घर का बनाया हुआ पकवान, श्रृंगार की वस्तुएं आदि अर्पित करती है। दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए हरितालिका व्रत की थी भगवान शिव का बताया हुआ यह व्रत है। पार्वती जी को सखियां हर के ले गई थी इसलिए इसे हरितालिका व्रत कहा जाता है। समस्त स्त्रियों के कल्याण के लिए यह व्रत होता है। (हिफी)

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