‘हिंडनबर्गों’ को मिलनी चाहिए सजा

कहते हैं यह समय आर्थिक महायुद्ध का है। इसे चीन के माध्यम से समझाने में आसानी होगी। पहले युद्ध करके क्षेत्रों पर कब्जा किया जाता था लेकिन चीन ने कितने ही देशों को कर्ज देकर उनकी जमीन पर कब्जा जमा रखा है और कब्जे की कोशिश कर रहा है। इसलिए अर्थव्यवस्था को लेकर यदि किसी प्रकार की साजिश की जाती है तो वह भी युद्ध का एक हिस्सा है। हिंडनबर्ग ने हमारे देश के शीर्षस्थ उद्यमी अडाणी ग्रुप को बदनाम करके उसके शेयर धारकों को भ्रमित किया। अडाणी ग्रुप को भारी नुकसान उठाना पड़ा लेकिन उसी समय गौतम अडाणी ने कहा था कि हिंडनबर्ग गलत आरोप लगा रहा है। इस मामले की जांच सेबी ने भी की थी लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। इसी आधार पर कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने अडाणी समूह की जांच करवाने की सरकार से मांग की थी। पश्चिम बंगाल की सांसद महुआ मोइत्रा भी इसी तरह के मामले मंे संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित की जा चुकी हैं। कांगे्रस ने तो इसे बहुत बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना रखा था लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने हिंडनबर्ग को ही कठघरे मंे खड़ा कर दिया है और अडाणी गु्रप को क्लीन चिट दी है। मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस आफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि बाकी बचे दो मामलों की जांच भी तीन महीने के अंदर पूरी की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सेबी की दलीलों को परिपक्व पाते हैं। ध्यान रहे कि बीते साल जनवरी 2023 मंे हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट और अडाणी ग्रुप के जवाब के बाद सुप्रीम कोर्ट में चार जनहित याचिकाएं दायर की गयी थीं। इनमंे अडाणी ग्रुप के खिलाफ कई तरह की जांच की मांग की गयी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च 2023 को मार्केट रेगुलेटर सेबी को अडाणी ग्रुप के डिस्क्लोजर और शेयरों के भाव मंे हेर-फेर की जांच का आदेश दिया था। सेबी को जांच करने मंे इसलिए देरी हुई क्योंकि हिंडनबर्ग विदेशी संस्था है। अब हिंडनबर्ग जैसी संस्थाओं को भी सबक सिखाने की जरूरत है। अडाणी ग्रुप ने इसे सत्यमेव जयते बताया है।
भारत की अर्थव्यवस्था में हलचल मचाने वाले हिंडनबर्ग केस में आडाणी ग्रुप को क्लीन चिट दिए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट की मुहर पर अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी ने खुशी जाहिर की। और लिख कर पोस्ट किया। मैं उन लोगों का आभारी हूं जो हमारे साथ खड़े रहे। भारत की विकास गाथा में हमारा विनम्र योगदान जारी रहेगा। जय हिन्द। बता दें कि हिंडनबर्ग केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि सेबी की जांच में कोई खामी नहीं है। ऐसे में अब इस मामले में एसआईटी से जांच करवाने का कोई औचित्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेबी की जांच नियमों के तहत हुई है। सेबी ने अब तक 22 आरोपों की जांच की है जबकि अभी 2 आरोपों की जांच बाकी है। सीजेआई ने कहा है कि बाकी बचे मामलों की तीन महीने के अंदर जांच पूरी की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेबी की जांच पर शक नहीं किया जा सकता। सर्वोच्च अदालत ने निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए वित्तीय क्षेत्र में नियामक तंत्र को मजबूत करने, सुधार करने और यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल उपाय करने को कहा है। अदालत ने कहा कि यह अस्थिरता का शिकार न हो, जैसा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने के बाद देखा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से जस्टिस एएम सपरे की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में सुझावों को शामिल करने को कहा है। ध्यान रहे सुप्रीम कोर्ट के पास जांच को सीबीआई आदि को स्थानांतरित करने की शक्ति है, लेकिन ऐसी शक्तियों का उपयोग केवल संयमित रूप से किया जा सकता है। याचिकाकर्ताओं को यह दिखाने के लिए मजबूत सबूत पेश करने होंगे कि जांच एजेंसी ने पक्षपातपूर्ण तरीके से काम किया है।
जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट और अदाणी ग्रुप के जवाब के बाद सुप्रीम कोर्ट में 4 जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं। इन सेबी में अडाणी ग्रुप के खिलाफ तरह-तरह की जांच के आदेश देने की अपील की गई थी। इन याचिकाओं को सुनने के बाद ही 2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने मार्केट रेगुलेटर सेबी को आदेश दिया था कि वो अडाणी ग्रुप के डिस्क्लोजर और शेयरों के भाव में हेरफेर की जांच करे। कोर्ट ने साफ कहा था कि सेबी ये जांच करे कि अडाणी ग्रुप ने शेयर के मामले में मौजूदा नियमों का उल्लंघन किया है कि नहीं।
अडाणी समूह कोई पहला नहीं है जिस पर अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट जारी की है। इससे पहले इसने अमेरिका, कनाडा और चीन की करीब 18 कंपनियों को लेकर अलग-अलग रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसके बाद काफी घमसान मचा। ज्यादातर कंपनियां अमेरिका की ही थीं, जिनपर अलग-अलग आरोप लगे। हिंडनबर्ग की सबसे चर्चित रिपोर्ट अमेरिका की ऑटो सेक्टर की बड़ी कंपनी निकोला को लेकर रही। इस रिपोर्ट के बाद निकोला के शेयर 80 फीसदी तक टूट गए थे। निकोला को लेकर जारी रिपोर्ट में व्हिसलब्लोअर और पूर्व कर्मचारियों की मदद से कथित फर्जीवाड़े को
उजागर किया गया था। निकोला के संस्थापक और कार्यकारी अध्यक्ष ट्रेवर मिल्टन ने तुरंत कंपनी से इस्तीफा दे दिया। रिपोर्ट के बाद कंपनी जांच के दायरे में है।
हिंडनबर्ग रिसर्च एक वित्तीय शोध करने वाली कंपनी है, जो इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव मार्केट के आंकड़ों का विश्लेषण करती है। इसकी स्थापना सन् 2017 में नाथन एंडरसन ने की थी। हिंडनबर्ग रिसर्च हेज फंड का कारोबार भी करती है। इसे कॉरपोरेट जगत की गतिविधियों के बारे में खुलासा करने के लिए जाना जाता है। इस कंपनी का नाम हिंडनबर्ग आपदा पर आधारित है जो 1937 में हुई थी, जब एक जर्मन यात्री हवाई पोत में आग लग गई थी, जिसमें 35 लोग मारे गए थे। कंपनी यह पता लगती है कि क्या शेयर मार्केट में कहीं गलत तरीके से पैसों की हेरा-फेरी तो नहीं हो रही है? यह भी पता लगा रही है कि क्या कंपनी अपने फायदे के लिए शेयर मार्केट में गलत तरह से दूसरी कंपनियों के शेयर को नुकसान तो नहीं पहुंचा रही? 25 जनवरी को हिंडनबर्ग ने अडाणी ग्रुप के संबंध में 32 हजार शब्दों की एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के निष्कर्ष में 88 प्रश्नों को शामिल किया।
रिपोर्ट में दावा किया गया कि यह समूह दशकों से शेयरों के हेरफेर और अकाउंट की धोखाधड़ी में शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया कि तीन साल में शेयरों की कीमतें बढ़ने से अडाणी समूह के संस्थापक गौतम अदाणी की संपत्ति एक अरब डॉलर बढ़कर 120 अरब डॉलर हो गई है। इस दौरान समूह की 7 कंपनियों के शेयर औसत 819 फीसदी बढ़े हैं। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि मॉरीशस से लेकर संयुक्त अरब अमीरात तक टैक्स हेवन देशों में अडाणी परिवार की कई मुखौटा कंपनियों का विवरण है। आरोपों के मुताबिक, इनका उपयोग भ्रष्टाचार, मनी लांड्रिंग के लिए किया गया। इन मुखौटा कंपनियों के जरिए फंड की हेराफेरी भी की गई। कंपनी ने कहा कि इस शोध रिपोर्ट के लिए अडाणी समूह के पूर्व अधिकारियों सहित दर्जनों लोगों से बात की गई। हजारों दस्तावेजों की समीक्षा हुई और आधा दर्जन देशों में दौरा किया गया। रिपोर्ट में कहा गया कि बड़े पैमाने पर शेयरों को गिरवी रखकर कर्ज लिया गया। रिपोर्ट जारी करने के बाद हिंडनबर्ग ने कहा कि यदि गौतम अडाणी वास्तव में पारदर्शिता को अपनाते हैं, जैसा कि वे दावा करते हैं, तो उन्हें उत्तर देना चाहिए। अडाणी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दी। अडाणी समूह ने इसे निराधार और बदनाम करने वाला बताया। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले से दूध का दूध और पानी का पानी हो गया है। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)