राजनीति में कैसे दोस्त, कैसे दुश्मन!

राजनीति में कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता है, इसका सबसे ताजा उदाहरण नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व मंे एनडीए की तीसरी सरकार है। इस सरकार मंे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जद(यू) शामिल होगी तो नीतीश के राजनीतिक विरोधी रहे चिराग पासवान भी केन्द्र सरकार का हिस्सा होंगे। नीतीश कुमार के 12 सांसद हैं तो चिराग पासवान ने भी सौ फीसद नतीजा देते हुए पांच सांसद एनडीए को सौंपे हैं। लगभग चार साल पहले 2020 मंे जब बिहार मंे विधानसभा के चुनाव हुए थे, तब चिराग पासवान ने नीतीश कुमार की पार्टी जद(यू) के खिलाफ चुन-चुनकर उम्मीदवार उतारे थे। चुनाव में चिराग पासवान को भले ही विधायक नहीं मिल पाये लेकिन नीतीश कुमार को भारी खामियाजा भुगतना पड़ा था। उनकी पार्टी को सिर्फ 43 विधायक मिल पाए थे। नीतीश कुमार इस कसक को कभी भूल नहीं पाये लेकिन इस बार ऐसे हालात बने कि चिराग पासवान के समर्थन में नीतीश कुमार को रैली करनी पड़ी थी। चिराग पासवान इस समय भाजपा और नरेन्द्र मोदी के लिए ज्यादा विश्वसनीय है। वह पहले भी अपने को पीएम मोदी का हनुमान बताते थे। चिराग पासवान को वरीयता मिलेगी तो नीतीश कुमार पर क्या गुजरेगी, इसकी सहज ही कल्पना की जा सकती है।
बिहार में लोकप्रिय युवा नेताओं में से एक लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख चिराग पासवान की लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से चर्चा जोरों पर है। चिराग की पार्टी ने 100 फीसदी के स्ट्राइक रेट से चुनाव में प्रदर्शन किया है। चिराग पासवान की पार्टी ने इस बार एनडीए के बैनर तले पांच सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ा और पांचों सीट पर जीत हासिल कर ली। वहीं नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने 14 सीटों पर जीत हासिल की है। कभी एक-दूसरे के राजनीतिक दुश्मन रहे चिराग और नीतीश इस बार मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में एक साथ शामिल रहेंगे।
लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान नीतीश कुमार ने चिराग पासवान के लिए रैली भी की थी और लोगों से चिराग को भारी मतों से जीताने की अपील की थी लेकिन चिराग पासवान के साथ नीतीश कुमार का रिश्ता खट्टा-मीठा रहा है। चिराग पासवान ने नीतीश कुमार को ऐसी राजनीतिक चोट दी कि शायद ही वो कभी भूल पाएंगे क्योंकि कुछ जख्म भरते नहीं हैं, बस हम उनके दर्द को सहना सीख जाते हैं। बता दें कि 2020 के विधनासभा चुनाव में चिराग पासवान ने नीतीश कुमार के खिलाफ इस कदर मोर्चा खोल दिया कि जदयू बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी बनकर रह गई थी। नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के उम्मीदवारों ने जहां-जहां से चुनाव लड़ा था, वहां-वहां से चिराग पासवान ने अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतारे थे, जिसका भारी खामियाजा नीतीश कुमार को भुगतना पड़ा था। नीतीश कुमार के कुल 43 उम्मीदवार जीते थे जबकि बीजेपी के 74 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी।
चिराग पासवान ने विधानसभा चुनाव में बीजेपी का समर्थन किया था, जबकि नीतीश कुमार का खुलकर विरोध किया था। लालू प्रसाद यादव की पार्टी को कुल 75 सीटें मिली थीं। बता दें कि 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू के पास कुल 71 सीटें थीं जबकि बीजेपी के पास 53 सीटें थीं। लेकिन चिराग पासवान के इस कदम ने नीतीश कुमार को भारी नुकसान पहुंचा दिया था और एनडीए गठबंधन में नीतीश कुमार बड़े भाई से छोटे भाई की भूमिका में आ गए थे। चिराग पासवान शुरू से ही अपने आप को प्रधानमंत्री का हनुमान बताते रहे और प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से चिराग पासवान ने यह साबित भी किया। चिराग पासवान ने बिहार में नीतीश कुमार के खिलाफ खड़े होकर बीजेपी का कद बढ़ा दिया। वहीं, इस बार पांच सीटों पर जीत हासिल कर ऐसे वक्त में बीजेपी को ताकत दी है, जब पूर्ण बहुमत से पार्टी कोसों दूर है।
संसद भवन के सेंट्रल हॉल में पीएम मोदी को एनडीए संसदीय दल का नेता चुना गया। इसके लिए राजनाथ सिंह के प्रस्ताव का अनुमोदन एनडीए के घटक दलों के प्रमुख नेताओं ने किया। इस क्रम में चंद्र बाबू नायडू, नीतीश कुमार, जीतन राम मांझी, पवन कल्याण, एकनाथ शिंदे, अजीत पवार के साथ चिराग पासवान ने भी समर्थन किया। इस अवसर पर चिराग पासवान ने पीएम मोदी के लिए कुछ ऐसी बातें कहीं जिससे एक बार फिर साबित हो गया कि वह पीएम मोदी के ‘हनुमान’ हैं। चिराग पासवान ने अपने संबोधन में कहा, सभी लोकसभा सदस्यों का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का स्वागत करता हूं। आपकी वजह से एनडीए की इतनी प्रचंड जीत हुई है। आपकी इच्छा शक्ति के कारण ही इस तरह की प्रचंड जीत दर्ज करना और वह भी तीसरी बार लगातार, यह कोई साधारण बात नहीं है। लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में एनडीए को इतनी बड़ी जीत मिली जिसके लिए हम उनको धन्यवाद देते हैं। चिराग पासवान ने पीएम मोदी की ओर इंगित करते हुए कहा, हम लोग क्षेत्र में जब जाते थे आपके नाम पर जिस तरह का उत्साह दिखता था, वह हम लोगों के लिए गर्व की बात होती थी। हम कह सकते हैं कि हमारे पास ऐसा नेतृत्वकर्ता है जिसको लेकर जनता में विश्वास है। आप ही के विश्वास के आधार पर हमलोग कहते हैं कि देश विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बना है तो वह आपकी देन है। देश की जनता को आप पर पूरा विश्वास है। इसके बाद चिराग पासवान ने जो कहा वह काबिले गौर है। चिराग ने पीएम मोदी के लिए कहा, आप में वह इच्छा शक्ति है जो गांव और शहर की दूरी को खत्म कर देगा, गरीब और अमीर की खाई को पाट सकता है। आप ही में इच्छा शक्ति है कि जिसने लक्ष्य रखा है कि 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने की ओर आप ही हम लोग को लेकर चल सकते हैं। इसके बाद चिराग ने कहा कि यहां सदन में मौजूद तमाम वरिष्ठ नेताओं का स्वागत करते हुए मैं चिराग पासवान राजनाथ सिंह जी के प्रस्ताव का समर्थन करता हूं। इस अवसर पर चिराग पासवान ने अपने दिवंगत पिता रामविलास पासवान को भी याद किया। इसके बाद जब चिराग पासवान पीएम मोदी के पास पहुंचे तो नरेंद्र मोदी ने उन्हें गले से लगा लिया।
लोकसभा चुनाव के बाद लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा था कि उन्हें मंत्रिमंडल में कौन सा पद चाहिए। पासवान ने कहा कि वह महादेव के भक्त है और महादेव ने मुझे बहुत कुछ दिया है, इसके बाद मैं कोई और इच्छा नहीं रखता। मेरे लिए मेरे पीएम मोदी जी का प्यार स्नेह काफी है। एनडीए का हर एक लीडर मोदी जी के साथ है। इस प्रकार चिराग कुछ ज्यादा ही मोदी के निकट दिख रहे हैं। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)