कर्मचारियों से काम लेने का तरीका

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
उत्तर प्रदेश मंे पिछले दिनों राजनीतिक उथल-पुथल अचानक बढ़ गयी। योगी आदित्यनाथ के राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने अपना त्याग पत्र भाजपा के नम्बर दो के नेता और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह को सौंपा। इस्तीफा किसलिए दिया, यह भी मीडिया के सामने आ गया। मामला सुलटने के करीब भी है लेकिन इसी बीच मुख्यमंत्री ने प्रदेश के 22 लाख कर्मचारियों और पेंशनरों को कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान कर दी। प्रदेश की लोक निर्माण विभाग के मंत्री जितिन प्रसाद के ओएसडी को हटा दिया गया। प्रदेश के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक के विभाग मंे भी तबादलों को लेकर चर्चा हो रही थी। श्री पाठक प्रयागराज मंे एक मृत डाक्टर के परिजनों से मिलने भी गये, जिनका मौत के बाद तबादला आदिश जारी हुआ था। कुछ और मंत्रियों को भी शिकायतें हैं। दूसरी बार शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नौकरशाही की गलतियों पर सख्त तेवर भी दिखाए। दो जिलों के डीएम निलंबित किये गये। योगी का कर्मचारियों से काम लेने का अपना तरीका है। इसी के तहत सरकार ने कर्मचारियों की वर्षों पुरानी मांग पूरी की। साथ ही मुख्यमंत्री ने हिदायत भी दी है कि सरकार ने आपका (कर्मचारियों का) ध्यान रखा है और आप जनता का ध्यान रखना। मुख्यमंत्रियों ने अपने मंत्रियों को भी हिदायत दी है कि अपने स्टाफ पर आंख मूंद कर भरोसा न करें। उन्होंने कहा मंत्री यह ध्यान रखें कि उनका स्टाफ क्या कर रहा है। लोक निर्माण विभाग मंे तबादलों मंे भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद कई अफसरों को निलंबित किया गया है। इस प्रकार मंत्रियों को डांट-फटकार के बाद दुलार भी मिला है।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्रदेश के 22 लाख सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों को कैशलेस इलाज की सुविधा दी। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के लोकभवन में पंडित दीन दयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों और साथ ही इम्पैनल्ड अस्पताल मे भी अब राज्य कर्मचारी इलाज करवा सकेंगे। इस योजना के लिए हमने पिछले ही कार्यकाल के अंतिम समय में कार्ययोजना तैयार करने को कह दिया था। सीएम योगी ने राज्य कर्मचारियों को आम आदमी की चिंता करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि हमारे 22 लाख राज्य कार्मिक और पेंशनर्स के इलाज के लिए असीमित सुविधा हेतु यह लाभ मिलेगा। उत्तरप्रदेश देश का पहला राज्य होगा जो ये सेवा शुरू कर रहा है। राज्य सरकार अपने कार्मिकों को कार्मिक नहीं अपना परिवार मानती है, जिस प्रकार सरकार आपकी चिंता कर रही है, उसी प्रकार आप भी एक कॉमन मैन की चिंता करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश एकमात्र ऐसा राज्य है जिसने महामारी में अपने राज्य कर्मचारी के लिए कोई कटौती नहीं की, कोई सुविधा नहीं रोकी। हमने उत्तर प्रदेश का एक मॉडल प्रस्तुत किया, जब टीमवर्क काम करती है तो काम आसान होता है। उन्होंने कहा कि इस योजना में कहने के लिए तो 22 लाख कर्मचारी आएंगे, लेकिन उनके परिवार को लेकर देखें तो कम से कम 75 लाख लोग सीधेे जुड़ेंगे और लाभान्वित होंगे। यह एक असीमित इलाज करवाने की बड़ी योजना है। इसके लिए 10 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी कर दी गई है। अब हेल्थ कार्ड दिखाकर सरकारी कर्मी व उनके परिजन सरकारी अस्पताल व योजना से सम्बद्ध अस्पताल में मुफ्त इलाज करा सकेंगे।
दरअसल उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के मंत्रियों-अफसरों को संवाद-समन्वय की लगातार नसीहतों के बाद भी उनके आंतरिक मतभेद और लड़ाई सतह पर दिख रही है। दूसरे कार्यकाल की पहली तिमाही बीतते-बीतते ही चार मंत्रियों ने तो सार्वजनिक तौर पर अफसरों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कई और विभागों में भी आपसी खींचतान की चर्चा है। कहा जा रहा है कि फैसलों में अफसरों के दबदबे के चलते कई मंत्री असहज महसूस कर रहे हैं। इसी के चलते राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने इस्तीफा तक दे दिया लेकिन बाद मंे मामला सुलट गया। सरकार के पहले कार्यकाल में भी विधायकों-सांसदों व कुछ मंत्रियों की ओर से अफसरों की मनमानी के आरोप लगे थे। ऊर्जा विभाग में तो तत्कालीन मंत्री श्रीकांत शर्मा ने अपर तत्कालीन अपर मुख्य सचिव अरविंद कुमार पर काम में लापरवाही के सार्वजनिक आरोप लगाए थे। जिलों से भी जनप्रतिनिधियों की ओर से शिकायतें आई थी। संगठन-सरकार की समन्वय बैठकों में यह सुर मुखर हुए थे। इसके बाद इसके समाधान के लिए अफसरों पर नकेल कसने के लिए निर्देश भी जारी हुए, कुछ विभागों में बदलाव भी हुआ।
दूसरी बार शपथ लेने के बाद सीएम ने नौकरशाहों की गलतियों पर सख्त तेवर दिखाए थे। दो जिलों के डीएम सस्पेंड भी हुए। जब यह कार्रवाई हुई थी तो कई और आईएएस अफसरों के खिलाफ भी शिकायतों पर ऐक्शन के कयास थे, लेकिन कुछ ताकतवर आला अफसर उन्हें बचाने में कामयाब हो गए।
भ्रष्टाचार या गड़बड़ी के आरोपों में कार्रवाई को लेकर अफसरों की खेमेबंदी भी साफ दिख रही है। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद को चिट्ठी लिखकर तबादले पर सवाल उठाए तो अमित मोहन का जवाब आ गया कि तबादले पर उपमुख्यमंत्री के भी दस्तखत हैं। इसी बीच ब्रजेश पाठक प्रयागराज में एक मृत डॉक्टर के परिवारीजनों से मिलने पहुंच गए, जिनका मौत के बाद तबादला आदेश जारी हो गया था। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने ड्रग कॉरपोरेशन में भी दवा खरीद में गड़बड़ी पकड़ी थी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद ब्रजेश पाठक के तेवर व सवाल सार्वजनिक होने लगे, जिससे उनकी छवि प्रभावित न हो। वहीं, अमित मोहन प्रसाद करीब ढाई साल से स्वास्थ्य विभाग के प्रशासनिक मुखिया हैं, इस दौरान अनियमितताओं पर बाहर से लेकर भीतर तक सवाल उठे।
पीडब्लूडी विभाग में जांच कमिटी की रिपोर्ट पर कार्रवाई भी परसेप्शन पर कसी जा रही है। मंत्री जितिन प्रसाद के ओएसडी को भ्रष्टाचार के आरोपों के साथ पहले हटाया गया। लिहाजा, मंत्री की छवि और भूमिका पर भी सीधे सवाल उठे। उसके अगले दिन विभागाध्यक्ष व अन्य इंजिनियरों पर कार्रवाई हुई।कुछ विभागों में मंत्रियों-अफसरों के मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं, लेकिन असंतोष के सुर और जगह भी उभर रहे हैं। एक स्वतंत्र राज्यमंत्री की भी अपनी महिला प्रमुख सचिव से अनबन की चर्चाएं हैं। कुछ दिनों पहले उच्च स्तर पर दोनों को सामने बिठाकर नसीहत दी गई थीं। पिछले पांच साल से दो महत्वपूर्ण विभाग संभाल रहे एक आईएएस अफसर के कामकाज को लेकर भी उनके मंत्री असहज हैं। अफसर सरकार के पिछले कार्यकाल से ही विभाग में हैं, लेकिन उनके मंत्री बदल गए हैं, हालांकि समीकरण जस के तस हैं। वहीं, मंत्रियों एवं राज्य मंत्रियों के बीच भी कुछ विभागों में खींचतान है। यह भी अहम है कि प्रदेश अध्यक्ष के रूप में जिसके ऊपर संगठन व सरकार में समन्वय व अपेक्षाओं को समझने की जिम्मेदारी हैं, उनके ही विभाग में राज्यमंत्री काम न मिलने व उपेक्षा से नाराज हैं। यही वजह है कि सीएम ने मीटिंग में साफ तौर पर कैबिनेट मंत्रियों से कहा कि वे अपने राज्य मंत्रियों के साथ समन्वय रखें और बैठकों का हिस्सा बनाएं। इसके साथ ही मंत्रियों को अपने स्टाफ की कारगुजारी पर भी नजर रखने को कहा है। कर्मचारी अपने को उपेक्षित न महसूस करें, इसलिए उनके लिए कैशलेस इलाज की सुविधा भी दे दी है। (हिफी)



