लेखक की कलमसम-सामयिक

दुराचारी पशु प्रवृत्ति का कैसे होगा इलाज?

 

देश के अधिकांश हिस्सों में जिस तरह विकृत यौनाचार की दरिंदगी की वारदातों की झड़ी लगी है उसे देखते हुए ऐसा लगता है कि हम बेहद यौन विकृत बलात्कारी बर्बर और दरिंदों से भरे लोगों के बीच रहने के लिए मजबूर हैं। देश में रोजाना 86 बच्चियों, महिलाओं को बलात्कार का शिकार बनाया जाता है। एक दो दिन की नवजात बच्ची से लेकर 70 साल की वृद्धा तक के साथ बलात्कारी दरिंदगी करने से नहीं चूके रहे हैं। इस सारे परिदृश्य पर गौर किया जाए तो इस समाज से वितृष्णा हो जाएगी या एक अजीब अपराध बोध से आत्मा दब जाएगी। हम 21वीं सदी में भी कितना पाशविकता भरी महिला उत्पीड़क यौन दुराचारी लोगों के समाज का हिस्सा है। ऐसे लोग जिन्हें इंसान कहना भी इंसानियत का अपमान करना है।

जैसा कि आप जानते हैं कि इन दिनों देश में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों को लेकर बवाल मचा हुआ है। कोलकाता के सरकारी अस्पताल की ट्रेनी डाक्टर से बलात्कार और हत्या का स्वतः संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अस्पताल प्रबंधन तथा पश्चिम बंगाल पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सकों और स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा तथा सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए 10 सदस्यीय कार्यबल का गठन करके आंदोलनकारी डाक्टरों से काम पर लौट आने की अपील भी की है। डाक्टरों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आग्रह पर हड़ताल वापसी कर ली गयी है लेकिन उनका आक्रोश बरकरार है । डाक्टरों ने कहा है कि डाक्टरी पेशे के लिए सेंट्रल प्रोटैक्शन एक्ट (सी.पी.ए.) लाने की मुख्य मांग बारे में संतोषजनक जवाब  देना चाहिए।

उधर, इसी बीच मलयालम फिल्म उद्योग में महिला कलाकारों के बड़े पैमाने पर हो रहे यौन उत्पीड़न सम्बन्धी न्यायमूर्ति हेमा कमेटी की रिपोर्ट में सनसनीखेज खुलासे किए गए हैं। कई महिला कलाकारों ने कहा कि काम शुरू करने से पहले ही उन पर अनुचित समझौतों के लिए दबाव डाला गया जिसमें मलयालम फिल्म जगत पर हावी शक्तिशाली लोगों के आगे यौन समर्पण करना तक शामिल है। वास्तव में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं का यौन शोषण आज आम हो गया है जिसमें समाज के सभी वर्गों के लोग शामिल पाए जा रहे हैं, पिछले सात आठ दिनों में प्रकाश में आयी यौन शोषण और दरिंदगी की वारदातों से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि महिलाओं के साथ किस स्तर पर यौन अपराध की वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है।

आपको कुछ अखबारों की सुर्खियों में शामिल वारदातों का हवाला देते हैं। 12 अगस्त को उत्तराखंड स्टेट ट्रांसपोर्ट कार्पोरेशन की बस से नई दिल्ली से देहरादून आ रही नाबालिग बालिका से बस के ड्राइवर धर्मेंद्र और कंडक्टर देवेंद्र सहित 5 लोगों ने बलात्कार किया। 17 अगस्त को मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) के एक अस्पताल में डाक्टर शाहनवाज ने एक नर्स को बंधक बना कर उसके साथ बलात्कार कर डाला। 18 अगस्त को किश्तवाड़ (जम्मू-कश्मीर) के मारवाह में एक पंद्रह वर्षीय नाबालिग से बलात्कार के विरुद्ध क्षेत्र में आक्रोष भड़क उठा।’ 18 अगस्त को ही कृष्णागिरि (तमिलनाडु) जिले के एक प्राइवेट स्कूल में 13 छात्राओं के यौन शोषण का मामला सामने आने पर प्रिंसीपल तथा 2 अध्यापकों समेत 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

18 अगस्त को ही फिल्म अभिनेत्री सेलिना जेतली ने खुलासा किया कि उन्होंने स्कूल के दिनों में कई बार उत्पीड़न का सामना किया और इस बात पर दुख जताया कि हर बार पीड़िता को ही दोषी ठहराया जाता है।

18 अगस्त को ही बेंगलुरू में घर जा रही एक युवती को लिफ्ट देने के बहाने एक मोटरसाइकिल सवार युवक ने उससे बलात्कार कर डाला। 18 अगस्त को ही जोधपुर (राजस्थान) में एक मंदिर के बाहर बैठी 3 वर्षीय मासूम को अज्ञात युवक ने अपनी हवस का शिकार बना डाला।

19 अगस्त को रोहतक (हरियाणा) स्थित पोस्ट ग्रैजुएट इंस्टीच्यूट आफ मैडिकल साइंसेज के एक डाक्टर को एक डेंटल छात्रा को अगवा करने के बाद अम्बाला और चंडीगढ़ ले जाकर उसके साथ मारपीट तथा प्रताड़ित करने और धमकियां देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। 19 अगस्त को ही रायगढ़ (छत्तीसगढ़) के पुसौर में 15 युवकों द्वारा एक महिला को बंधक बनाकर उसके साथ 5 घंटों तक सामूहिक बलात्कार किए जाने का मामला सामने आया है।

19 अगस्त को ही सिद्दिपेट (तेलंगाना) जिले में एक निर्माणाधीन- अपार्टमेंट के कमरे में तीन वर्षीय बच्ची का यौन उत्पीड़न करने के आरोप में एक प्रवासी मजदूर को गिरफ्तार किया गया। 20 अगस्त को गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) के अंकुर विहार क्षेत्र में नौवीं कक्षा की एक छात्रा से पड़ोसी युवक ने बलात्कार कर डाला। 20 अगस्त को ही ठाणे (महाराष्ट्र) जिले के एक सरकारी अस्पताल परिसर में एक दिव्यांग लड़की से छेड़छाड़ करने के आरोप में पुलिस ने एक 42 वर्षीय व्यक्ति को गिरफ्तार किया। 20 अगस्त को ही महाराष्ट्र के ‘बदलापुर’ में मात्र 3 वर्ष की 2 स्कूली बच्चियों के यौन उत्पीड़न का मामला सामने आने पर बवाल मच गया तथा लोगों ने स्कूल में तोड़फोड़ करने के अलावा सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन तथा रेल यातायात रोका। इस सिलसिले में पुलिस ने आरोपी स्वीपर, प्रिंसीपल, क्लास टीचर तथा एक महिला कर्मचारी को गिरफ्तार किया।

उल्लेखनीय है कि 12-13 अगस्त को बदलापुर के एक को-एड स्कूल में प्री-प्राइमरी कक्षा की दोनों बच्चियों को अक्षय शिंदे नामक स्कूल के एक स्वीपर ने टायलैट में ले जाकर उनका यौन शोषण किया था। 20 अगस्त को ही अकोला (महाराष्ट्र) में काजीखेड़ के जिला परिषद स्कूल के अध्यापक प्रमोद मनोहर को 6 स्कूली छात्राओं के यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

18 अगस्त को जोधपुर में कूड़ा बीन कर पेट भरने वाले परिवार की तीन साल की मासूम बच्ची के साथ एक नराधम ने दरिंदगी की। इसी दिन राजस्थान के ही सीहोर जिले में 70 साल की वृद्धा के साथ सामूहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया है।

बच्चियों और महिलाओं के शोषण के ये तो चंद उदाहरण बानगी मात्र हैं जो समाज के सामने प्रश्न खड़ा करते हैं कि आखिर हमारे समाज में ऐसे संस्कार कब आएंगे जब लोग महिलाओं और बच्चियों का सम्मान करना सीखेंगे और समाज को इस तरह के राक्षसों से मुक्ति मिलेगी।

दरअसल 1980 के दशक में ब्लू फिल्म के रूप में यौन कुंठाओं को परवान चढ़ाने का जो सिलसिला पश्चिमी देशों से अपने देश में पहुंचा और समाज में घृणित यौनाचार के धीमे जहर को समाज में घोलने का प्रयोग शुरू किया गया धीरे-धीरे यह सिलसिला सोशल मीडिया पर पोर्न फिल्मों से लेकर समाज की नैतिक मान्यताओं को नष्ट भ्रष्ट करने के लिए शार्ट फिल्मों और रीलों के माध्यम से आम समाज की मानसिकता को विकृत करने में सफल हो गया है। इसका परिणाम है कि यौन दरिंदगी बर्बरता की वारदातों का सिलसिला बढता जा रहा है। (हिफी)

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)

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