बटेंगे तो कटेंगे पर बढ़ता समर्थन

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक चुनावी भाषण के दौरान हिन्दुओं को एक करने के लिए कहा था कि बटेंगे तो कटेंगे अर्थात यदि हम एकसाथ नहीं रहेंगे तो कोई भी हमारा नुकसान कर सकता है। इस संबंध में एक कहानी हमारे देश में पहले से चल रही है। वह कहानी एक किसान और उसके चार बेटों की है जो आपस में हमेशा लड़ते रहते थे। किसान इससे बहुत दुखी रहता था। उसने इस समस्या का समाधान करने के लिए एक उपाय किया। किसान ने चारों बेटों से चार लकड़ियाँ मंगवाईं फिर उनसे उन लकड़ियों को तोड़ने के लिए कहा। सभी ने अपनी-अपनी लकड़ी तोड़ दी। किसान ने बेटों से फिर वैसी ही लकड़ियाँ मंगवाईं और चारों लकड़ियाँ एक साथ बांध दीं। इसके बाद एक एक लड़के से उसे तोड़ने को कहा। कोई भी लड़का उन लकड़ियों को तोड़ने में सफल नहीं हो सका। किसान ने बेटों से कहा कि यदि तुम अलग-अलग रहोगे तो कोई भी तोड़ देगा लेकिन मिलकर रहोगे तो कोई भी तोड़ सकता है। वन फार आल एण्ड आल फार वन की कहावत भी यहीं से शुरू हुई। अब योगी आदित्यनाथ ने इसी बात को कुछ ऐसे कह दी जिसके कई अर्थ निकाले जाने लगे। विपक्षी राजनीतिक दल आलोचना करने लगे तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक बड़े पदाधिकारी ने समर्थन किया। अब संत समाज के लोगों ने भी समर्थन किया है। भाजपा ने इसे राजनीतिक नारा बना दिया है। राजनीति में ‘नारों’ का हमेशा से ही बहुत महत्व रहा है और उत्तर प्रदेश के 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले एक नारे ने फिर से हंगामा खड़ा कर दिया है। यह नारा दूसरे प्रदेशों में भी भाजपा आजमा रही है।
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के नए मंत्र ‘बटेंगे तो कटेंगे’ के साथ बीजेपी उपचुनाव के मैदान में उतरने जा रही है। योगी के इस नारे पर राजनीति गरमा गई है। ऐसे में धर्मगुरुओं का भी इस स्लोगन पर अपना-अपना मत सामने आ गया है। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और बागेश्वर धाम बाबा के नाम से प्रसिद्ध धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का भी इस मामले पर बयान आ गया है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कहना है कि हिंदू समाज एक है, संगठित है। वहीं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि हिंदू धर्म से जात-पांत खत्म होना चाहिए । योगी के इस बयान पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, ‘बंटेंगे तो कटेंगे, पहली बात तो ये है कि बंटेंगे जो क्रिया है वह भविष्यकाल की है। यानी अभी हम बंटे नहीं हैं। अभी हम एक हैं। ये भवष्यि की बात है, यानी कौन सा वो कारण है, जिसकी वजह से हम बंट जाएंगे?’ वहीं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि ‘अब ये ब्राह्मण, ठाकुर, क्षत्रिय, वैश्य नहीं बचे, अब ये हिंदू हो गए हैं तो फिर क्या होगा..’।
यहां पर ध्यान देने की बात है कि बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री हिंदुओं में जात-पांत, ऊंच-नीच को खत्म करने के लिए 158 किलोमीटर पैदल यात्रा पर निकलने वाले हैं। उनकी ये यात्रा 21 नवंबर से शुरू होने वाली है। बागेश्वर बाबा ने भारत की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए हिंदुओं को संगठित करने के लिए संकल्प लिया है। ये पदयात्रा छतरपुर से ओरछा के राजा राम मंदिर तक 158 किलोमीटर की होगी। हाल ही में एक निजी चैनल को दिए बयान में अपनी इस पदयात्रा के बारे में उन्होंने कहा, ‘हिंदू एकजुट नहीं है। दुनिया में किसी भी देश के धर्म पर किसी भी मजहब के लोगों पर यदि कोई संकट आता है तो वह अपने देश चले जाते हैं, लेकिन हिंदुओं के लिए कोई देश नहीं है। इसलिए हिंदुओं को एक करने के लिए हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए यात्रा की शुरुआत की जा रही है। भविष्य में ऐसी यात्रा पूरे देश में निकाली जाएगी।’
बीजेपी नेता और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के ‘हिंदू बंटेंगे तो कटेंगे’ वाले बयान का आरएसएस के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने भी समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज एकता से नहीं रहेगा तो इतिहास क्या कहता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस ) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि मुद्दा यही है। अगर हम जाति, समाज, क्षेत्र के भेद करेंगे तो कटेंगे ही। हिंदू समाज की एकता संघ के जीवन व्रत में है। हिंदू एकता लोक कल्याण के लिए है। हिंदू सभी के लिए मंगल करेगा। इसलिए हम हिंदू एकता चाहते हैं। उन्होंने कहा हिंदू एकता को तोड़ने के लिए कई शक्तियां काम करती हैं। दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि गणेश पूजा और दुर्गा पूजा पर आक्रमण हुए। इसको लेकर चिंतन हुआ। समाज की चुनौतियों का सामना करने के लिए विचार किया गया है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने एक अन्य प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि हमने बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा के बयान की स्पिरिट को भी समझा है। आरएसएस और बीजेपी में कोई खींचातानी नहीं है। हर संगठन को अपनी ताकत बढ़ानी चाहिए। हमको कुछ लगा ही नहीं है। हम बाद में जाकर उनके घर भोजन किए। कोई छोटी मोटी चोट हो तो हमको मरहम पट्टी लगानी आती है लेकिन कोई चोट ही नहीं है तो क्या मरहम पट्टी लगायें। बीजेपी अध्यक्ष के बयान पर आरएसएस की यह पहली प्रतिक्रिया है। इससे दोनों संगठनों के आपसी भाईचारे पर जोर दिया गया है।
लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि बीजेपी को संघ की जरूरत नहीं है। नड्डा के इस बयान पर पहली बार संघ की प्रतिक्रिया सामने आई है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर ने कहा है कि संघ लोकमत परिष्कार का काम करता है। सीधे चुनाव के कार्य में नहीं लगता है। वो कार्य इस बार भी संघ ने किया है।झारखंड के रांची में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक की बैठक में 12 से 14 तारीख तक पूरे देश से संघ के अखिल भारतीय प्रचारक पहुंचे थे। यहां संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी भी मौजूद थे। रविवार (14 जुलाई) को बैठक समापन के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने लोकसभा चुनाव पर कहा कि जनता ने अपना फैसला दिया है सब को उसको सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संघ मणिपुर मे जमीन पर कार्य कर रहा है। वहां गलत तरीके से धर्मांतरण नहीं हो, इस पर संघ ध्यान दे रहा है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि वायनाड के लैंड स्लाइड के दौरान संघ के 1000 कार्यकर्ताओं ने हिंदू और मुस्लिम परिवारों के लिए सेवा कार्य समान रूप से किया। मुस्लिमों के अंतिम संस्कार में उनके परिवारों की सहायता की। होसबोले ने कहा कि समाज को एकता बनाये रखने के लिए, सुरक्षा बनाये रखने के लिए अपनी भूमिका निभानी चाहिए। ऐसे मामलों में शासन भी संवेदनशील हो, वो अपना काम करें. लेकिन केवल शासन ही करे ऐसा नही है। परिवारों को संस्कार देना चाहिए। हम चाहते है बांग्लादेश से हिन्दू पलायन न करें। दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि जाने वालों को बचाना है. जो चले गए हैं, उन्हें वापस लाना है। धर्मांतरण के बारे में महात्मा गांधी और विवेकानंद ने कहा है। बाबा साहब ने भी कहा है। धर्मांतरण रोकना एक बात है और घर वापसी एक बात है। दोनों चलते हैं। होसबोले ने कहा कि वक्फ कानून में 2013 में जो संशोधन किया गया, उसमें असंवैधानिक तरीके से बहुत सारे अधिकार वक्फ बोर्ड को दे दिए गये। अब देश की भावना और आवाज के अनुरूप संशोधन करना है। इस तरह एकता का संदेश दिया जा रहा है। (हिफी)