Uncategorizedअध्यात्मधर्म-अध्यात्म

रुद्राभिषेक में अलग-अलग दृव्यों का महत्व

(पं. मनोज शुक्ल-हिफी फीचर)

किस द्रव्य से शिव का अभिषेक करने से क्या फल मिलता है अर्थात आप जिस उद्देश्य की पूर्ति हेतु रुद्राभिषेक करा रहे है उसके लिए किस द्रव्य का इस्तेमाल करना चाहिए का उल्लेख शिव पुराण में किया गया है। उसका विवरण प्रस्तुत कर रहा हू और आप से अनुरोध है की आप इसी के अनुरूप रुद्राभिषेक कराये तो आपको पूर्ण लाभ मिलेगा। रुद्राभिषेक अनेक पदार्थों से किया जाता है और हर पदार्थ से किया गया रुद्राभिषेक अलग फल देने में सक्षम है।
जल से रुद्राभिषेक करने पर वृष्टि होती है। कुशा जल से अभिषेक करने पर रोग, दुःख से छुटकारा मिलती है। दही से अभिषेक करने पर पशु, भवन तथा वाहन की प्राप्ति होती है। गन्ने के रस से अभिषेक करने पर लक्ष्मी प्राप्ति होती है। मधु युक्त जल से अभिषेक करने पर धन वृद्धि होती है। तीर्थ जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है। इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है। दूध से अभिषेक करने से पुत्र प्राप्ति, प्रमेह रोग की शान्ति तथा मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। गंगाजल से अभिषेक करने से ज्वर ठीक हो जाता है और दूध शर्करा मिश्रित अभिषेक करने से सद्बुद्धि प्राप्ति होती है।
घी से अभिषेक करने से वंश विस्तार होती है। सरसों के तेल से अभिषेक करने से रोग तथा शत्रु का नाश होता है। शुद्ध शहद से रुद्राभिषेक करने से पाप क्षय होता है।
इस प्रकार शिव के रूद्र रूप के पूजन और अभिषेक करने से जाने-अनजाने होने वाले पापाचरण से भक्तों को शीघ्र ही छुटकारा मिल जाता है और साधक में शिवत्व रूप सत्यं शिवम सुन्दरम् का उदय हो जाता है।
माना जाता है कि हर तरह के दुखों से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव का जल से अभिषेक करें। सर्वप्रथम भगवान शिव के बाल स्वरूप का मानसिक ध्यान करें तत्पश्चात तांबे को छोड़ अन्य किसी भी पात्र विशेषकर चांदी के पात्र में ‘शुद्ध जल’ भर कर पात्र पर कुमकुम का तिलक करें, ऊँ इन्द्राय नमः का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें, पंचाक्षरी मंत्र ऊँ नमः शिवाय” का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें, शिवलिंग पर जल की पतली धार बनाते हुए रुद्राभिषेक करें, अभिषेक करेत हुए ऊँ तं त्रिलोकीनाथाय स्वाहा मंत्र का जाप करें, शिवलिंग को वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें।
इसी प्रकार शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए दूध से अभिषेक करें। भगवान शिव के ‘प्रकाशमय’ स्वरूप का मानसिक
ध्यान करें। अभिषेक के लिए तांबे के बर्तन को छोड़कर किसी अन्य धातु के बर्तन का उपयोग करना चाहिए। खासकर तांबे के बरतन में दूध, दही या पंचामृत आदि नहीं डालना चाहिए। इससे ये सब मदिरा समान हो जाते हैं। तांबे के पात्र में जल का तो अभिषेक हो सकता है लेकिन तांबे के साथ दूध का संपर्क उसे विष बना देता है इसलिए तांबे के पात्र में दूध का अभिषेक बिल्कुल वर्जित होता है। क्योंकि तांबे के पात्र में दूध अर्पित या उससे भगवान शंकर को अभिषेक कर उन्हें अनजाने में आप विष अर्पित करते हैं। पात्र में ‘दूध’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें, ऊँ श्री कामधेनवे नमः का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें, पंचाक्षरी मंत्र ऊँ नमः शिवाय’ का
जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें, शिवलिंग पर दूध की
पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें, अभिषेक करते हुए ऊँ सकल
लोकैक गुरुर्वै नमः मंत्र का जाप करें, शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें
अखंड धन लाभ व हर तरह के कर्ज से मुक्ति के लिए भगवान शिव का फलों के रस से अभिषेक करें। भगवान शिव के ‘नील कंठ’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें, ताम्बे के पात्र में ‘गन्ने का रस’ भर कर पात्र को चारों ओर से कुमकुम का तिलक करें, ऊँ कुबेराय नमः का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें, पंचाक्षरी मंत्र ऊँ नमः शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें, शिवलिंग पर फलों का रस की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें, अभिषेक करते हुए- ऊँ हृुं नीलकंठाय स्वाहा मंत्र का जाप करें, शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें।
ग्रहबाधा नाश हेतु भगवान शिव का सरसों के तेल से अभिषेक करें। भगवान शिव के ‘प्रलयंकर’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें फिर ताम्बे के पात्र में ‘सरसों का तेल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें ऊँ भं भैरवाय नमः का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें पंचाक्षरी मंत्र ऊँ नमः शिवाय” का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें, शिवलिंग पर सरसों के तेल की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें, अभिषेक करते हुए ऊँ नाथ नाथाय नाथाय स्वाहा मंत्र का जाप करें, शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें।
संतान प्राप्ति व पारिवारिक सुख-शांति हेतु शहद मिश्रित गंगा जल से अभिषेक करें। सबसे पहले भगवान शिव के ‘चंद्रमौलेश्वर’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें, ताम्बे के पात्र में ” शहद मिश्रित गंगा जल” भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें, ऊँ चन्द्रमसे नमः का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें, पंचाक्षरी मंत्र ऊँ नमः शिवाय’ का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें, शिवलिंग पर शहद मिश्रित गंगा जल की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें अभिषेक करते हुए-ऊँ वं चन्द्रमौलेश्वराय स्वाहा का जाप करें शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें।
रोगों के नाश व लम्बी आयु के लिए घी व शहद से अभिषेक करें। इसके लिये सर्वप्रथम भगवान शिव के ‘त्रयम्बक’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें, ताम्बे के पात्र में ‘घी व शहद’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें फिर ऊँ धन्वन्तरयै नमः का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें पंचाक्षरी मंत्र ऊँ नमः शिवाय” का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें शिवलिंग पर घी व शहद की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें। (हिफी)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button