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भारत का इस्पात का शुद्ध आयातक होना चिंता का विषय

टाटा स्टील के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक टी वी नरेंद्रन ने मंगलवार को कहा कि भारत का इस्पात का शुद्ध आयातक होना चिंता का विषय है।
नरेंद्रन ने राष्ट्रीय राजधानी में भारतीय इस्पात संघ के सम्मेलन में कहा, ‘‘सरकार ने भरोसा दिलाया है कि अगर आयात बढ़ता रहा, तो वह हस्तक्षेप करेगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह थोड़ी चिंता की बात है क्योंकि चीन की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस्पात की कीमतें अभी भी थोड़ी नरम हैं… आपने (वाणिज्य) मंत्री पीयूष गोयल को यह कहते हुए सुना है कि अगर आयात बढ़ता है, तो सरकार इसपर विचार करेगी कि वह मदद के लिए क्या कर सकती है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने घरेलू उद्योग को भरोसा दिलाया कि भारत यूरोपीय संघ के कॉर्बन कर को स्वीकार नहीं करेगा, क्योंकि यह अनुचित है। गोयल ने कहा कि भारत पहले ही यूरोपीय संघ और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में कार्बन कर पर अपनी चिंता जता चुका है।
कॉर्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) या कार्बन कर (एक तरह का आयात शुल्क) एक जनवरी, 2026 से लागू होगा। लेकिन सात कॉर्बन गहन क्षेत्रों मसलन इस्पात, सीमेंट, उर्वरक, एल्युमीनियम और हाइड्रोकॉर्बन उत्पाद से जुड़ी घरेलू कंपनियों को इस साल एक अक्टूबर से ही कॉर्बन उत्सर्जन के आंकड़ों को यूरोपीय संघ के साथ साझा करना है। गोयल ने कहा, ‘‘मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि हम सीबीएएम को लेकर अत्यंत चिंतित हैं। हम डब्ल्यूटीओ के साथ इसे काफी गंभीरता से उठा रहे हैं। हम भारतीय उत्पादकों तथा निर्यातकों के लिए इसे उचित बनाने के लिए संघर्ष करेंगे। सीबीएएम को लेकर कोई कोताही नहीं होगी।’’ स्टीलमिंट इंडिया के अनुसार, अक्टूबर में भारत का इस्पात आयात 4.6 लाख टन रहा है, जबकि निर्यात इसकी तुलना में कम यानी 2.4 लाख टन है।

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