कारोबार

भारत ने आईएमएफ की बैठक में अपनाया था पाकिस्तान के कर्ज अनुरोध से दूर रहने का रुख

वित्त मंत्रालय के मुताबिक इस साल की शुरुआत में हुई अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अधिकारियों के बोर्ड की बैठक के दौरान भारत ने पाकिस्तान के अस्थायी व्यवस्था के तहत (एसबीए) ऋण के अनुरोध से दूर रहने का रुख अपनाया था।
एसबीए के तहत ऐसे देशों को कम अवधि के लिए वित्तीय सहायता मिलती है, जो भुगतान संतुलन की समस्या का सामना कर रहे होते हैं। इस साल 12 जुलाई को आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड ने पाकिस्तान के लिए 9 महीने के एसबीए ऋण को मंजूरी दी थी, जिसके तहत देश के आर्थिक स्थिरीकरण कार्यक्रम के तहत 3 अरब डॉलर के करीब राशि का समर्थन मिलना था।
वित्त मंत्रालय ने कैबिनेट के लिए तैयार मासिक सारांश में कहा है, ‘भारत ने 12 जुलाई, 2023 को कार्यकारी बोर्ड की बैठक के माध्यम से आईएमएफ में पाकिस्तान के एसबीए अनुरोध से दूर रहने के अपने रुख से अवगत कराया।’
आईएमएफ ने कहा था कि पाकिस्तान के लिए कर्ज की व्यवस्था कठिन बाहरी वातावरण, विनाशकारी बाढ़, गलत नीतिगत कदमों जैसे चुनौतीपूर्ण आर्थिक मोड़ को देखते हुए की गई है, जिसके कारण बड़ा राजकोषीय और बाहरी घाटा है, महंगाई बढ़ रही है और वित्त वर्ष 23 में भंडार का बफर खत्म हो गया है। कार्यकारी बोर्ड की मंजूरी के बाद पाकिस्तान को 1.2 अरब डॉलर का कर्ज तत्काल दिया जाना था। शेष राशि पूरे कार्यक्रम की अवधि के दौरान मिलेगी, जो 2 तिमाही समीक्षा पर निर्भर होगी। आईएमएफ की पहली तिमाही समीक्षा इस महीने होनी है। आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड में 24 सदस्य हैं। हर सदस्य एक देश या देशों के समूह द्वारा नियुक्त किया गया है। आईएमएफ सार्वजनिक रूप से यह खुलासा नहीं करता है कि एसबीए मंजूरी में कितने देशों ने मतदान किया है। इसकी वजह यह है कि आईएमएफ का कार्यकारी बोर्ड गोपनीय संस्था है और इसके विचार सार्वजनिक नहीं किए जाते हैं। मतदान के 3.5 प्रतिशत अधिकार के साथ भारत के आईएमएफ में कार्यकारी निदेशक केवी सुब्रमण्यन बांग्लादेश, भूटान और श्रीलंका का भी आईएमएफ बोर्ड में प्रतिनिधित्व करते हैं। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर बीरबाइसेप्स (रणवीर अल्लाहबाडिया) के साथ साक्षात्कार में पिछले महीने सुब्रमण्यन ने कहा था कि जवाबदेही के बगैर अधिकार होना पाकिस्तान की आर्थिक समस्याओं की मूल वजह है। उन्होंने कहा, ‘बेहतरीन नीति, बेहतरीन प्रशासन का परिणाम होती है। इसी तरह से खराब नीति खराब प्रशासन का परिणाम है। जब आप बगैर दायित्वों के अधिकार पाते हैं तो इसका परिणाम बुरा प्रशासन होता है। आपके पास तमाम फैसले करने का अधिकार होता है, लेकिन उन फैसलों के परिणामों के लिए आप जवाबदेह नहीं होते। इस तरह से आपके पास अधिकार होते हैं, लेकिन जवाबदेही नहीं होती है। यह आपदा की वजह बनती है।’ पाकिस्तान के साथ भारत का संबंध पिछले 5 साल में बहुत खराब रहा है। अगस्त 2019 में भारत द्वारा जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने और अनुच्छेद 370 खत्म करने के बाद इमरान खान सरकार ने भारत के साथ हर तरह के व्यापारिक संबंध खत्म कर दिया था। पुलुवामा हमले के बाद भारत ने फरवरी 2019 में पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन) का दर्जा वापस ले लिया था और पाकिस्तान से सभी आयातों पर 200 प्रतिशत कर लगा दिया था। हालांकि भारत ने आयात या निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया था।
व्यवधानों के पहले वित्त वर्ष 19 में भारत और पाकिस्तान के बीच कुल कारोबार 2.6 अरब डॉलर था, जो वित्त वर्ष 23 में घटकर 60.7 करोड़ डॉलर रह गया है। पाकिस्तान से भारत में बहुत मामूली आयात होता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button