लेखक की कलम

महाराष्ट्र में कांग्रेसियों को हिदायत

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
हरियाणा की हार को कांग्रेस ने बहुत गंभीरता से लिया है और अब वैसी गलती नहीं दोहराना चाहती। यही कारण है कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने महाराष्ट्र के नेताओं को गठबंधन के संदर्भ में हिदायत भी दी है। इससे पहले कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने 14 अक्टूबर को महाराष्ट्र कांग्रेस नेताओं से मुलाकात की। इस बैठक में उन्होंने विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी की तैयारियों का जायजा लिया। मीटिंग में महाराष्ट्र कांग्रेस चीफ नाना पटोले, विजय वडेट्टीवार, पृथ्वीराज चव्हाण, बालासाहेब थोराट, वर्षा गायकवाड़ और रमेश चेन्नितला शामिल हुए। बैठक में शिवसेना (उद्धव गुट) और एनसीपी (शरद पवार) के साथ सीट-बंटवारे को लेकर हुई चर्चाओं, पार्टी के अभियान और विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों के चयन की समीक्षा की गई।महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटें हैं। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस इनमें से लगभग 100-110 सीटों पर ही चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। हालांकि ऐसी जानकारी सामने आई थी कि कांग्रेस में टिकट पाने के लिए 1800 से ज्यादा एप्लिकेशन आई हैं। इस बार विदर्भ और मराठवाड़ा इलाके से सबसे ज्यादा लोगों ने चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है।
दरअसल, हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस अपने गठबंधन सहयोगियों के निशाने पर आ गई है। यूपी में अखिलेश यादव ने बिना सलाह मशविरा के उपचुनाव के लिए अपने कैंडिडेट घोषित कर दिए। उधर उद्धव ठाकरे और उमर अब्दुल्ला ने आप से गठबंधन नहीं करने के लिए कांग्रेस को आड़े हाथ लिया। संजय राउत ने इस हार के लिए कांग्रेस के ओवर कॉन्फिडेंस को जिम्मेदार ठहराया। इसके बाद से कयास लगने लगे कि अब कांग्रेस महाराष्ट्र में सहयोगी दलों से तोलमोल नहीं कर पाएगी। मगर महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने हार के बाद भी बड़े भाई की हैसियत छोड़ने से इनकार कर दिया। उन्होंने साफ किया कि महाराष्ट्र में कांग्रेस अपने सहयोगी शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईएस) राजीव कुमार ने 28 सितंबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उन्होंने कहा था कि महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त हो रहा है। इसके पहले चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और एसएस संधू दो दिन के महाराष्ट्र दौरे पर आए थे। उन्होंने यहां विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा की। डिस्ट्रिक्ट इलेक्शन ऑफिसर, सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस समेत अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इसके अलावा उन्होंने शिवसेना, शिवसेना यूबीटी, मनसे, बसपा, आप समेत 11 पार्टियों से मुलाकात की। सभी पार्टियों ने मांग की थी कि दिवाली, देव दिवाली और छठ पूजा जैसे त्योहारों को ध्यान में रखकर चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जाए। इसलिए महाराष्ट्र में
20 नवम्बर को चुनाव की घोषणा हो गयी है। उधर, राहुल गांधी ने महाराष्ट्र कांग्रेस नेताओं से मुलाकात कर विधानसभा चुनाव के लिए एमवीए दलों के साथ सीट शेयरिंग और पार्टी की तैयारियों का जायजा लिया।
महाराष्ट्र में इस वक्त बीजेपी-शिवसेना (शिंदे गुट) की सरकार है। इसका कार्यकाल नवंबर 2024 को खत्म हो रहा है। राज्य की 288 विधानसभा सीटों पर 2019 में चुनाव हुए थे। बीजेपी 106 विधायकों के साथ राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनी। मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना और बीजेपी गठबंधन में बात नहीं बन पाई और 56 विधायकों वाली शिवसेना ने 44 विधायकों वाली कांग्रेस और 53 विधायकों वाली एनसीपी के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी सरकार बनाई। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने।
मई 2022 में सरकार में नगर विकास मंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने 39 विधायकों के साथ बगावत कर दी। वह बीजेपी के साथ मिल गए और 30 जून 2022 को एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के 20वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। इसके साथ ही शिवसेना पार्टी दो गुटों में बंट गई। एक धड़ा शिंदे गुट और दूसरा उद्धव गुट का बना। विवाद के चलते 17 फरवरी, 2023 को चुनाव आयोग ने आदेश दिया कि पार्टी का नाम शिवसेना और पार्टी का चुनाव चिह्न धनुष और तीर एकनाथ शिंदे गुट के पास रहेगा।
अब महाराष्ट्र में नयी सरकार को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। महाविकास अघाड़ी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार के बारे में पूछे जाने पर शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे कहते हैं कि यह चुनाव एमवीए और महायुति के बीच मुकाबला होगा। पहले महायुति अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार बताए, फिर हम कैंडिडेट बताएंगे। नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी ) प्रमुख शरद पवार कहते हैं कि महाराष्ट्र के लोग बदलाव चाहते हैं और उन्हें भरोसा है कि विधानसभा चुनाव के नतीजों में इसका असर दिखेगा।
उधर, मल्लिकार्जुन खरगे के घर पर 14 अक्टूबर को राहुल गांधी और अन्य केंद्रीय नेताओं ने महाराष्ट्र के नेताओं के साथ बैठक की। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस नेतृत्व ने हरियाणा की हार का जिक्र करते हुए महाराष्ट्र के नेताओं को सीधे निर्देश दिया है कि गुटबाजी किसी भी तरह बर्दाश्त नहीं की जाएगी। महाराष्ट्र को हरियाणा नहीं बनने देना है। मराठा-ओबीसी संघर्ष का असर महाराष्ट्र पर पड़ने की आशंका के चलते कांग्रेस नेतृत्व अलर्ट मोड पर है। कांग्रेस आलाकमान की तरफ से कहा गया है कि यह सुनिश्चित करें कि मराठा और ओबीसी दोनों समुदायों के बीच सद्भाव हो। किसी भी स्थिति में राज्य में महा विकास अघाड़ी की सरकार लानी होगी। इस बैठक में केंद्र के वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने महाराष्ट्र के नेताओं को इन बातों के अलावा मुख्यतः तीन निर्देश दिए हैं। पहला कि सीएम फेस कौन होगा, इस विवाद में नहीं पड़ना है। यह कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा। इसलिए इस बात को लेकर न तो पार्टी के अंदर गुटबाजी करनी है और न ही गठबंधन के अंदर।
दूसरा निर्देश है कि किसी भी तरह गठबंधन में विवाद वाली सीटों पर चर्चा न करें। जिन भी सीटों पर गठबंधन में विवाद है और उद्धव ठाकरे या शरद पवार की पार्टी दावा कर रही है, उन सीटों पर फैसला केंद्रीय नेतृत्व करेगा। इसलिए इन सीटों को लेकर गठबंधन में विवाद की स्थिति नहीं बनानी है।
तीसरा निर्देश कांग्रेस आलाकमान ने महाराष्ट्र के नेताओं को दिया है कि घोषणापत्र को लेकर आप चर्चा न करें। यह केंद्रीय नेता तय करेंगे। जनता से जुड़कर रहें। उनके काम कराएं। जनता के बीच कांग्रेस के किए कामों को याद दिलाएं। सिर्फ सत्तारूढ़ दल की आलोचना के सहारे न रहें। अति आत्मविश्वास का शिकार न हों और जमीन से जुड़े मुद्दों पर फोकस करें। (हिफी)

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