लेखक की कलमसम-सामयिक

बांग्लादेश के हिन्दुओं के लिए खामोश है अंतरराष्ट्रीय समुदाय?

 

समूचे बांग्लादेश में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है कट्टरपंथी अराजकता और गुंडई का खूनी खेल खेल रहे हैं। शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश में उपद्रवी हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को निशाना बना रहे हैं। देश में 1 करोड़ 31 लाख के करीब हिंदू हैं,  उनके घरों और दुकानों को आग के हवाले किया जा रहा है। अराजक तत्व हिंदू मंदिरों को भी निशाना बना रहे हैं। हालात इतने खराब हो गए हैं कि वहां रहने वाले करीब 7 प्रतिशत हिंदू इन दिनों बेहद बुरे हालात में भय और आतंक के साये में हैं। वैसे तो बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले कोई नई बात नहीं है। पहले भी हिंदुओं को यहां निशाना बनाया जाता रहा है लेकिन इस बार हालात और भी अलग हैं। शेख हसीना सत्ता छोड़ चुकी हैं। ऐसे में भारतीय नागरिकों का क्यो होगा, यही चिंता बनी है। बांग्लादेश में जारी अनिश्चितता और अराजकता के माहौल के बीच वहां हिंदुओं और अल्पसंख्यकों को टारगेट किया जा रहा है। हिन्दुओं के मंदिर,  घर और  दुकानें प्रदर्शनकारी कुछ भी नहीं छोड़ रहे हैं। आतातायी कट्टरपंथी भीड़ ने यहां पर 64 जिलों में 44 हिन्दू मंदिरों में समेत हिंदुओं के घरों के साथ ही उनके व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया है। इतना ही नहीं अराजक तत्व उनका कीमती सामान भी लूट ले गए। वहां पर मंदिरों और गुरुद्वारों में तोड़फोड़ की जा रही है। शेख हसीना के सत्ता और देश छोड़ने के बाद से वहां हालात बदतर हो गए हैं। इतना ही नहीं हिन्दू परिवारों की महिलाओं लड़कियों के साथ भी बेहद घिनौना दुव्र्यवहार किया जा रहा है।

बांग्लादेश के पंचगढ़, दिनाजपुर, बोगुरा, रंगपुर, शेरपुर किशोरगंज, सिराजगंज, मुगरा, नरैल, पश्चिम जशोर, पटुआखली, दक्षिण-पश्चिम खुलना,

मध्य नरसिंगड़ी, सतखीरा, तंगैल, फेनी चटगांव, उत्तर-पश्चिम लक्खीपुर और हबीगंज जैसी जगहों पर कट्टरपंथिओं का आतंक जारी है। वह यहां रहने वाले हिंदुओं पर न सिर्फ हमले कर रहे हैं बल्कि उनकी संपत्तियों को भी लूट कर ले जा रहे। बांग्लादेश के कट्टरपंथी हिंदुओं की संपत्तियों को चुन-चुन कर नुकसान पहुंचा रहे हैं। मंदिर हो या गुरुद्वारा किसी को भी बख्शा नहीं जा रहा है। शहरों में हिंदू नेताओं पर हमले किए जा रहे हैं। इस बीच सोशल मीडिया पर कई हिंदू परिवारों के वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसमें उन पर किए जा रहे अत्याचार का अंदाजा लगाया जा सकता है।

सैकड़ों हिन्दू परिवार घर-बार छोड़कर भारतीय सीमा की ओर निकल पड़े हैं, लेकिन सीमा सील होने के कारण वह सीमा पार नहीं कर पा रहे। बांग्लादेश के हिन्दुओं का सब्र टूट रहा है। पलायन के सिवा उनके पास कोई विकल्प नहीं है। अपनी महिलाओं और लड़कियों को दंगाइयों से बचाने के लिए हिन्दू स्वयं ही अपने घरों को आग लगा रहे हैं। यह घटनाएं भारत विभाजन की याद ताजा कर देती हैं। उस समय भी सीमा के आर-पार जब इंसान शैतान बन गया था तो इन शैतानों से औरतों की सुरक्षा हेतु लोग अपने मकानों को आग लगाने के साथ-साथ महिला सदस्यों की स्वयं ही हत्या करने को मजबूर हो गए थे। बांग्लादेश के हिन्दू परिवार आज वैसी ही स्थिति का सामना कर रहे हैं।

आपको पता है कि प्रधानमंत्री शेख हसीना पिछले 15 साल से बांग्लादेश की सत्ता पर काबिज थीं और उनके शासन के दौरान दोनों देशों के संबंधों में काफी मजबूती आयी है। लेकिन तख्तापलट के साथ ही बांग्लादेश में सब कुछ बदल गया है, क्योंकि देश की सत्ता सेना के हाथ में चली गयी है। बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने आदेश दिया कि जेल में बंद बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की प्रमुख खालिदा जिया को रिहा किया जाए। इस कदम से यह अटकलें लगाई जाने लगीं कि क्या बीएनपी बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बनाएगी। खालिदा जिया भारत विरोधी मानी जाती है और संभवतः यही कारण है कि बांग्लादेश में तख्तापलट के साथ ही हिंदू अल्पसंख्यों पर हमले शुरू हो गए हैं। हिंदू देवी-देवताओं की मंदिरों पर हमले हो रहे हैं और हिंदुओं के घरों में लूटपाट की जा ही है। बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल और शेख हसीना के इस्तीफे के बाद भारत आने से भारत बेहद मुश्किल स्थिति में खड़ा दिखाई दे रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट कमेटी की बैठक कर पूरी जानकारी ली है। इसके बाद मंगलवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ढाका की स्थिति पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक की। उन्होंने बताया कि नई दिल्ली रणनीतिक स्तर पर बांग्लादेश के घटनाक्रम पर नजर रख रही है। चूंकि शेख हसीना के साथ भारत के लंबे और घनिष्ठ रिश्ते रहे हैं। इस संकट में भारत को यह तय करना है कि क्या वह अपने पुराने मित्र का साथ दे सकता है या नहीं। दिल्ली के पास शेख हसीना के रूप में बांग्लादेश में एक दोस्त था, और 2009 से उनके निरंतर कार्यकाल ने नई दिल्ली-ढाका संबंधों में एक बड़ा बढ़ावा देखा। सड़क और रेल संपर्क से लेकर सीमा प्रबंधन और रक्षा सहयोग तक, भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध इस समय के दौरान मजबूत हुए। जब हसीना के खिलाफ बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन बढ़ने लगे, तो भारत की प्रतिक्रिया थी कि यह एक आंतरिक मामला है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक बंगाल की खाड़ी रणनीतिक रूप से स्थित एक क्षेत्र है, जो अफ्रीका से इंडोनेशिया तक हिंद महासागर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह बांग्लादेश, म्यांमार और भारत के बीच स्थित क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह क्षेत्र मलक्का जलडमरूमध्य के निकट होने के कारण महत्वपूर्ण है, जो दुनिया के प्रमुख समुद्री अवरोधों में से एक है, जो हिंद महासागर को दक्षिण चीन सागर से जोड़ता है। भारत के लिए बांग्लादेश अपने भौगोलिक रूप से अलग-थलग उत्तर-पूर्वी राज्यों को बंगाल की खाड़ी से जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण है। पांच भारतीय राज्य हैं जो बांग्लादेश के साथ अपनी सीमा साझा करते हैं, पश्चिम बंगाल, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा और असम साफ है कि बांग्लादेश में उथल-पुथल और सत्ता परिवर्तन भारत के लिए बड़े खतरे की घंटी है। विशेषज्ञों की मानें तो यह भारत के लिए चिंता का विषय इसलिए है कि जिस देश को पाकिस्तान के दो टुकड़े कर भारत ने बनाया, अगर वहां पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी, आतंकी संगठन और चीन की अन्य ताकतें मिलकर इस देश को चलाने लगेंगी तो भारत के लिए खतरा ज्यादा बढ़ जाएगा। बांग्लादेश की तीन तरफ की सीमाएं हमारे देश से लगती हैं, वहां से भारत में प्रवेश भी आसान है, ऐसे में भारत में यही ताकतें आकर भारत को भी अस्थिर करने की कोशिश कर सकती हैं। हालांकि देखा जाए तो वर्तमान में भारत के लिए करने को कुछ ज्यादा है। भारत जल्द ही बांग्लादेश की सेना से संपर्क करके उसे अपनी चिंताओं से अवगत करा सकता है।

बांग्लादेश में हिन्दुओं और दूसरे सिख बौद्ध ईसाई अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे अत्याचार को दुनिया चुपचाप देख रही है इनमें विश्व के वो तमाम देश और एमनेस्टी इंटरनेशनल सरीखे अंतरराष्ट्रीय संगठन भी शामिल हैं जो भारत में किसी अल्पसंख्यक के साथ होने वाली मामूली वारदात पर भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर हो हल्ला शुरू कर देते हैं लेकिन दुनिया के किसी भी मुल्क में हिन्दुओं व भारतीय मूल के समुदाय के साथ होने वाली अमानवीयता दमन और अत्याचार पर सभी को सांप सूंघ जाता है जाहिर है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी मौकापरस्तों के सरपरस्ती में है। (हिफी)

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button