जयशंकर ने भारत-चीन संबंध सामान्य होने पर दिया जोर

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से भारत-चीन संबंधों के लगातार सामान्य होने की जरूरत पर जोर दिया है। एस. जयशंकर की ये यात्रा विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि यह 2020 में पूर्वी लद्दाख में नियंत्रण रेखा पर हुए सैन्य गतिरोध के बाद उनकी पहली चीन यात्रा है। विदेश मंत्री जयशंकर चीन में शंघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गनाइजेश के विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए चीन गए हुए हैं। उन्होंने यहां दिए गए बयान में कहा है कि मौजूदा परिस्थितियों में भारत और चीन के बीच रिश्तों का सामान्य होना जरूरी है। शंघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गनाइजेशन के 9 सदस्य देश हैं, जिनमें भारत, कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, तजाकिस्तान, ईरान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं।
बीजिंग पहुंचने के बाद विदेश मंत्री ने चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की और इस पर खुशी जाहिर की। उन्होंने चीन के शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की अध्यक्षता के लिए भारत के समर्थन की पुष्टि की। विदेश मंत्री ने कहा है कि जब दोनों देशों के बीच मुलाकात हो रही है, तो इस समय अंतरराष्ट्रीय स्थिति अत्यंत जटिल है। ऐसे में पड़ोसी देशों और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के रूप में भारत और चीन के बीच विचारों और दृष्टिकोणों का खुला आदान-प्रदान बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारत, चीन की एससीओ अध्यक्षता की सफलता का समर्थन करता है और माना कि पिछले अक्टूबर में कजान में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद से हमारे द्विपक्षीय संबंधों में निरंतर सुधार हो रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली भारत में बेहद सकारात्मक रूप से सराही जा रही है। यह दोनों देशों के लोगों के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को मजबूत करने का अवसर है। उन्होंने द्विपक्षीय संवाद को आगे बढ़ाने की जरूरत पर भी बल दिया और उम्मीद जताई कि सभी मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जाएगा।
विदेश मंत्री ने चीन के उपराष्ट्रपति से मुलाकात के बाद शंघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गनाइजेशन के एसजी नर्लेन यर्मेकबायेव से भी मुलाकात की।