ब्रिक्स में जिनपिंग व जयशंकर का समान रुख

दुनिया की कई बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) ने को एक वर्चुअल ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लिया। इस बैठक में चीन और ब्राजील ने अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी और व्यपारिक दबाव को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी। वहीं, भारत ने निष्पक्ष और पारदर्शी आर्थिक व्यवस्था की अहम जरूरतों पर जोर दिया। ब्रिक्सशिखर सम्मेलन के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि अमेरिका द्वारा शुरू किए गए इस टैरिफ वॉर ने विश्व की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचाया है। इसके अलावा अपनी नीतियों से अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों को भी कमजोर किया है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया इस समय बेहद नाजुक मोड़ गुजर रही है, इसलिए ब्रिक्स देशों को अमेरिका के ट्रेड वॉर के खिलाफ एकजुट होकर काम करना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि ब्रिक्स देशों को ट्रेड, फाइनेंस, साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी आपकी सहयोग बढ़ाना चाहिए, ताकि बाहरी चुनौतियों का मजबूती से सामना किया जा सके। जिनपिंग ने बैठक में इस बात पर जोर दिया, जिसका मकसद अमेरिका के दबाव के खिलाफ एक संतुलित और न्यायपूर्ण अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था कायम करना है। वहीं, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला ने अमेरिका के टैरिफ ब्लैकमेल का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा विभिन्न देशों पर लगाया जाने वाला अत्यधिक टैरिफ अंतरराष्ट्रीय बाजार और राजनीति पर दबाव डालता है, जो कि एक गलत प्रवृत्ति है। इसके अलावा, उन्होंने अगले साल होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए भारत की अध्यक्षता का समर्थन किया।
इस साल ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत का नेतृत्व विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने किया। उन्होंने सम्मेलन के दौरान कहा कि विश्व में मौजूदा अनिश्चितता के बीच जरूरी है कि आर्थिक व्यवहार निष्पक्ष, पारदर्शी और सभी के हित में हों। उन्होंने फ्लेक्सिबल सप्लाई चेन बनाने और मैन्युफैक्चरिंग के लोकतंत्रीकरण की जरूरत पर भी जोर दिया।