विश्व-लोक

ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल में नौकरियों का अकाल

अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने के बाद 7 महीनों में नौकरी बाजार की हालत कमजोर हो गई है। नई नौकरियों का पैदा होना लगभग रुक सा गया है और महंगाई फिर से सिर उठाने लगी है। अगस्त महीने की जॉब्स रिपोर्ट ने दिखाया कि केवल 22,000 नई नौकरियां पैदा हुईं, जो उम्मीद से बहुत कम है। इसके साथ ही बेरोजगारी दर 4.3 फीसद तक पहुंच गई, जो पिछले 4 साल में सबसे ज्यादा है। बता दें कि ट्रंप द्वारा भारत समेत तमाम देशों पर टैरिफ लगाने की रणनीति अपनाने के बाद ये खबरें सामने आई हैं।रिपोर्ट के मुताबिक, जून में अमेरिका में 13000 नौकरियां गायब हुईं, जो दिसंबर 2020 के बाद पहली मासिक गिरावट है। फैक्ट्रियों और निर्माण क्षेत्र में नौकरियों में कमी देखी गई है। अप्रैल में ट्रंप ने कहा था कि उनकी टैरिफ पॉलिसी नौकरियों और फैक्ट्रियों को वापस लाएगी, लेकिन इसके बाद से मैन्युफैक्चरिंग में 42000 और कंस्ट्रक्शन में 8000 नौकरियां कम हो चुकी हैं। ट्रंप ने 2024 में वादा किया था कि उनकी नीतियां अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगी लेकिन हकीकत में अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ रही है। ट्रंप ने तेल को लिक्विड गोल्ड बताते हुए दावा किया था कि इससे देश अमीर होगा, लेकिन तेल और गैस क्षेत्र में भी 12000 नौकरियां कम हो चुकी हैं।
ट्रंप ने अपने पहले दिन से महंगाई खत्म करने और बिजली की कीमतें आधी करने का वादा किया था लेकिन अप्रैल में 2.3 फीसदी की वार्षिक महंगाई दर जुलाई में बढ़कर 2.7 फीसदी हो गई। बिजली की कीमतें भी इस साल 4.6 फीसदी बढ़ चुकी हैं। ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी ने कई कंपनियों, जैसे वॉलमार्ट और प्रॉक्टर एंड गैंबल, को कीमतें बढ़ाने के लिए मजबूर किया है। खराब आर्थिक आंकड़ों के लिए ट्रंप ने फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना है कि अगर ब्याज दरें कम की जातीं, तो नौकरियां बढ़तीं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी जल्दी ब्याज दरें कम करने से महंगाई और बढ़ सकती है। व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार केविन हैसेट ने कहा कि अगस्त का डेटा एक अपवाद है और अर्थव्यवस्था जल्द ही रफ्तार पकड़ेगी।

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