योगी के राम राज्य का न्याय

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
लोकतंत्र में न्याय का दायित्व न्यायपालिका को सौंपा गया है लेकिन कल्याणकारी राज्य का भी यह धर्म है कि सभी के साथ न्याय हो। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2017 में जबसे सत्ता संभाली है, तभी से वह कहते हैं कि हमारी सरकार राम राज्य मंे विश्वास रखती है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जब अयोध्या की गद्दी पर बैठे थे, तब सब नर करहिं परसपर प्रीति अर्थात् किसी को किसी के प्रति शिकायत ही नहीं थी। उस राम राज्य में न्याय सिर्फ होता ही नहीं था बल्कि न्याय दिखाई पड़ता था। अभी गत 17 अप्रैल को प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जनता दर्शन कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ ने अपने रामराज्य में न्याय कैसा होना चाहिए, इसका उदाहरण पेश किया। उनके सामने चंदौली से आए एक दिव्यांग ने पेंशन जारी न होने की शिकायत की। मुख्यमंत्री ने उसको त्वरित न्याय दिलाते हुए अधिकारियों को तलब किया। मुख्यमंत्री ने अफसरों को निर्देश दिया कि वे सुबह 10 बजे से अपने कार्यालय मंे बैठें, जनता की समस्याएं सुनें और उनका तत्काल ही निराकरण भी कराएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय शिकायतों का समाधान जनपद स्तर पर कराया जाए और जो समस्याएं शासन से निस्तारित होनी है, उन्हें लखनऊ भेजा जाए। इस प्रकार योगी आदित्यनाथ ने राज्य सरकार के जनता के प्रति दायित्व का महत्व बताया है। योगी के मॉडल को अब दूसरे राज्यों मंे भी पसंद किया जा रहा है।
लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनता दर्शन में 125 लोगों की समस्याएं सुनीं। उन्होंने अधिकारियों को सुबह 10 बजे से जनता की समस्याएं सुनने के निर्देश दिए और दिव्यांगों की पेंशन तुरंत जारी करने के आदेश दिया।
दिव्यांग गोपाल और श्यामपाल पेंशन की उम्मीद लेकर 17 अप्रैल को मुख्यमंत्री आवास के जनता दर्शन में पहुंचे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिव्यांग के पास आकर पूछा आपको क्या कष्ट है? दिव्यांग ने कहा वह कई दिनों से अपने जिले में चक्कर अफसरों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन दिव्यांग पेंशन नहीं मिल रही। मुख्यमंत्री ने पूछा आप किस जिले से आए हैं? दिव्यांग ने उत्तर दिया महाराज जी चंदौली से। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव से कहा कि चंदौली के जिलाधिकारी या दिव्यांग कल्याण अधिकारी से पूछिए कि पेंशन क्यों नहीं मिल रही। लापरवाही मिले तो तुरंत दंडित कर पेंशन जारी करवाएं। कुछ देर में ही चंदौली के दिव्यांग कल्याण अधिकारी का फोन मुख्यमंत्री के ओएसडी एके चौहान के पास आता है। अधिकारी ने बताया कि केवाईसी न होने के कारण पेंशन नहीं मिल पा रही थी। केवाईसी अपडेट करा दी गई है, शाम तक दोनों की पेंशन जारी हो जाएगी।
लंबे अंतराल के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुवार को जनता की समस्याएं सुनने के लिए जनता दर्शन कार्यक्रम में उपस्थित हुए। विभिन्न जिलों से 112 नागरिकों ने 88 प्रार्थना पत्र दिए। मुख्यमंत्री ने सभी की समस्याएं सुनीं और संबंधित अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने राजेश और चंद्रशेखर को इलेक्ट्रानिक छड़ी दी और उसका उपयोग करना भी सिखाया। अपने माता-पिता के साथ आए बच्चों को टाफी व चाकलेट भी बांटी। जनता दर्शन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने वरासत, कब्जा, पैमाइश से संबंधित 23 आवेदन राजस्व परिषद के अध्यक्ष को सौंपा। पुलिस से जुड़े 23 प्रकरणों को पुलिस महानिदेशक को दिया। विवेकाधीन कोष, शादी अनुदान आदि से संबंधित 17 आवेदन अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री को सौंपे। इसी प्रकार, विभिन्न प्रकरणों के 25 मामले मुख्य सचिव को तत्काल कार्रवाई के लिए दिए गए। एक प्रकरण बिजली बिल अधिक आने का था और एक अन्य प्रकरण राजधानी में गृहकर से संबंधित भी था। मुख्यमंत्री ने दोनों प्रकरणों के समाधान कराने के भी निर्देश दिए। साथ ही भविष्य में विभाग के अधिकारियों को सुनियोजित व्यवस्था बनाने के लिए कहा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इससे पूर्व गोरखनाथ मंदिर में जनता दर्शन आयोजित कर लगभग 150 लोगों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं को सुना। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सभी समस्याओं का समाधान तुरंत और संतोषजनक तरीके से किया जाए। खासतौर पर जो लोग इलाज के लिए आर्थिक सहायता की गुहार लेकर आए थे, उन्हें मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया कि सरकार हरसंभव मदद करेगी। साथ ही, राजस्व और पुलिस से जुड़े मामलों के समाधान में पारदर्शिता बनाए रखने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि किसी को भी अपनी जमीन या संपत्ति पर कब्जा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी
और ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सूबे में बेहतर कानून व्यवस्था और माफियागिरी को खत्म करने के लिए कितने तत्पर रहते हैं, ये आए दिन उनके फैसले और दिशा-निर्देशों से पता चल जाता है। यूपी में ना तो अब किसी समुदाय के लोग दूसरे समुदायों को प्रताड़ित करते हैं और ना ही कोई माफिया अब किसी गरीब को सताता है। अगर कहीं कुछ गलत होता है और कोई गलत काम करता है, तो उसके दरवाजे पर तुरंत बुलडोजर पहुंच जाता है। सीएम योगी के इस बुलडोजर मॉडल को दूसरे राज्यों के लोग भी पसंद करते हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कई बार इस मॉडल को लेकर योगी सरकार की आलोचना भी की है और जवाब भी कई बार मांगे हैं लेकिन जनता इस मॉडल को सराहती है और केवल यूपी ही नहीं बल्कि देश के अधिकांश राज्यों में इस मॉडल को लोग अपना समर्थन देते हैं और जहां गलत होता है। इसी कड़ी में दिल्ली के सीलमपुर में हिंदू युवक की हत्या के बाद से बवाल मचा हुआ था। इलाके में पलायन के पोस्टर लगे हुए थे और साथ ही सीएम योगी से भी गुहार लगाई गई थी। स्थानीय लोग सड़क पर उतरे हुए हैं और योगी मॉडल यानी कि बुलडोजर एक्नश की डिमांड कर रहे थे। राजस्थान के अजमेर कांड में भी योगी मॉडल की लोग मांग कर रहे थे। एक दशक पहले तक देशभर में योगी आदित्यनाथ की छवि एक फायरब्रांड हिंदुत्ववादी नेता के तौर पर रही है। हालांकि पिछले 7-8 वर्षों में सूबे की मुखिया के तौर उनके किए कामों ने उनकी छवि को बहुआयामी बना दिया है। सीएम योगी की पहचान अब एक कुशल प्रशासक के तौर पर पूरे भारत में हैं। कानून व्यवस्था के साथ-साथ विकास, निवेश, इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और लोक कल्याणकारी योजनाओं को उत्तर प्रदेश में धरातल पर उतारकर उन्होंने सुशासन के यूपी मॉडल को देशभर के सामने रख दिया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ स्थित केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) की न्यायपीठ के नवनिर्मित कार्यालय भवन का उद्घाटन किया। कार्यक्रम का आयोजन बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के दिन किया गया, जिसे मुख्यमंत्री ने सामाजिक न्याय के प्रतीक दिवस के रूप में मनाया। उन्होंने कहा कि इस नवनिर्मित भवन से केंद्र सरकार के अधीन कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों की समस्याओं का समय पर समाधान संभव हो सकेगा।
सीएम योगी ने इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया कि उनकी मंशा के अनुरूप 16 जनपदों के केंद्रीय कार्मिकों को लखनऊ पीठ के माध्यम से न्याय मिलेगा। उन्होंने कहा, बीते 10 वर्षों में लखनऊ स्थित कैट पीठ में 6,708 मामलों में से लगभग 6,000 मामलों का निपटारा किया गया है। इसे और तेज करने की जरूरत है। जल्द न्याय देना ही सुशासन की असली पहचान है। न्याय की प्रक्रिया सहज, सरल और समयबद्ध होनी चाहिए ताकि आम कर्मचारी को भी बिना देरी के समाधान मिल सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में राजस्व संबंधी मामलों के त्वरित निस्तारण के लिए समयसीमा निर्धारित कर दी गई है। पहले प्रदेश में राजस्व से जुड़े 33 लाख मामले लंबित थे, जिनमें पैमाइश, विरासत और नामांतरण जैसे मसले शामिल थे। सरकार ने इन्हें 30, 60 और 90 दिनों की समयसीमा में निपटाने के निर्देश दिए और कहा कि तय समय में निस्तारण न होने पर निर्णय को डीम्ड मान लिया जाएगा। (हिफी)