लेखक की कलम

चुनाव की भूमिका बनेगा काशी-तमिल संगमम

?बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी के नमोघाट पर 2 दिसम्बर 2025 से काशी-तमिल संगमम शुरू हो रहा है। अगले साल तमिलनाडु मंे भी विधानसभा चुनाव होने हैं। दक्षिण भारत के इस राज्य में भाजपा अपने पैर अब तक नहीं जमा पायी है। इस बार भी उसने स्वर्गीय जयललिता की पार्टी अन्ना द्रमुक के साथ गठबंधन कर रखा है। गठबंधन के नेता पलानी स्वामी ही हांेगे। भाजपा पिछले कुछ वर्षों से काशी मंे काशी-तमिल संगमम के नाम से बड़ा आयोजन करवा रही है। काशी-तमिल संगमम तमिलनाडु और वाराणसी के बीच प्राचीन सांस्कृतिक और अन्य मंत्रालयों के सहयोग से आयोजित किया जाता है। इस बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम मंे भी काशी-तमिल संगमम के चैथे संस्करण का जिक्र किया। इस बार कार्यक्रम की थीम है लर्न तमिल-तमिल करकलम्। इसमंे दो राय नहीं कि यह कार्यक्रम तमिल भाषा और संस्कृति से प्रेम करने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बन चुका है। भाजपा के लिए तमिलनाडु की राजनीति में पैर जमाने का यह माध्यम भी बनता जा रहा है। काशी-तमिल संगमम-4 की तैयारी बहुत पहले से चल रही थी। मेंहदी और नुक्कड़ नाटक से काशीवासियों के बीच प्रचार किया गया। माना जा रहा है कि तमिलनाडु से संघ के हजारों कार्यकर्ता काशी आए हुए हैं।
काशी-तमिल संगमम् के चैथे संस्करण की शुरुआत दो दिसंबर को नमो घाट पर होने जा रही है। दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी और दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल का सदियों पुराना नाता है। इन संबंधों को नई ऊर्जा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काशी-तमिल संगमम् की परिकल्पना की थी। इसकी परिणति वर्ष 2022 में हुई जब तमिलनाडु से 10 हजार प्रतिनिधि काशी पहुंचे। काशी-तमिल संगमम् के पहले संस्करण की शुरुआत 17 नवंबर 2022 को हुई लेकिन प्रधानमंत्री ने 19 नवंबर को इसका औपचारिक शुभारंभ किया।
उस समय उन्होंने कहा था कि तमिल दुनिया की प्राचीन भाषा है। दुनिया इस पर आश्चर्य करती है पर हम गौरव गान में पीछे रह जाते हैं। अब 130 करोड़ देशवासियों की जिम्मेदारी
है कि इस विरासत को बचाना, समृद्ध करना। मोदी ने कहा कि अगर हम तमिल को भुलाएंगे तो देश का नुकसान होगा और तमिल को बंधनों में बांधकर रखेंगे तो इसका नुकसान है। हमें याद रखना है कि हम भाषा भेद को दूर करें। भावनात्मक एकता कायम करें। यह आयोजन भाषा-भेद को मिटाने की ऊर्जा देगा।
इस बार तो काशी-तमिल संगमम् की थीम बहुत ही रोचक है-लर्न तमिल, तमिल करकलम्। काशी-तमिल संगमम् उन सभी लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बनेगा जिन्हें तमिल भाषा से लगाव है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उस समय सुब्रह्मण्य स्वामी की धरोहर को संजोने की घोषणा की। इसका आयोजन भारत सरकार का शिक्षा मंत्रालय और बीएचयू करता है।
इस पूरे आयोजन की देखरेख के लिए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान स्वयं यहां डेरा डाले रहते हैं। पहले वर्ष आयोजन में 11 केंद्रीय मंत्री आए। इसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री एस जयशंकर, संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी, शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी, डा। एल मुरुगन, तमिलनाडु के तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई, आइआइटी मद्रास के निदेशक वी कामकोटी प्रमुख थे। साथ ही उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और तमिलनाडु के राज्यपाल रवींद्र नारायण रवि भी रहे।
संगमम् के दौरान तमिलनाडु से आए लोगों ने न केवल गंगा स्नान किया बल्कि अपने साथ जल लेकर गए और रामेश्वररम् में अभिषेक किया। प्रतिभागियों ने श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में दर्शन, गंगा आरती, सारनाथ आदि स्थानों का भ्रमण किया। रेलवे ने विशेष ट्रेन की व्यवस्था की थी। इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम चलते रहे। बीएचयू में प्रदर्शनी लगाई गई। काशी-तमिल संगमम् में काशी को काशी तमिल संगमम् एक्सप्रेस मिली। यह ट्रेन उत्तर और दक्षिण को जोड़े है।काशी-तमिल संगमम् इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि काशी में बाबा विश्वनाथ हैं तो तमिलनाडु में भगवान रामेश्वरम का आशीर्वाद है। काशी और तमिलनाडु दोनों शिवमय और शक्तिमय हैं। एक स्वयं काशी तो तमिलनाडु में दक्षिण काशी है। काशी-कांची के रूप में दोनों की सप्तपुरियों में अपनी महत्ता है। काशी और तमिलनाडु दोनों ही संगीत, साहित्य और कला के अद्भुत स्रोत हैं। काशी में बनारसी साड़ी तो तमिलनाडु का कांजीवरम सिल्क विश्व प्रसिद्ध है। दोनों संस्कृतियों का काशी में चार वर्ष से संगम हो रहा है। 12 विशेष दल पहुंचे थे काशी संगमम के पहले सत्र में तमिलनाडु से 12 दल यहां आए थे। इसमें छात्र, व्यापारी, किसान, प्रबुद्धजन, डाक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, धर्माचार्य आदि थे। संगीतकार इलैया राजा, अभिनेत्री खुशबू आदि आकर्षण के केंद्र रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ संस्करण में काशी तमिल संगमम् के चैथे संस्करण के महत्व पर विस्तार से चर्चा की। पीएम ने कहा कि काशी तमिल संगमम् भाषा और संस्कृति का अद्भुत संगम है। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि दुनिया की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक तमिल और दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में से एक काशी जब एक मंच पर आते हैं तो वह दृश्य अद्भुत होता है। उन्होंने बताया कि 2 दिसंबर से काशी के नमो घाट पर चैथा काशी तमिल संगमम् शुरू हो रहा है।
तमिलनाडु के 234 निर्वाचन क्षेत्रों के प्रतिनिधियों का चुनाव भी होगा। इससे पूर्व 6 अप्रैल 2021 को सोलहवीं तमिलनाडु विधानसभा का चुनाव हुआ। द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) ने इस चुनाव में जीत हासिल की और अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्नाद्रमुक) के एक दशक लंबे शासन का अंत कर दिया।
भाजपा 2026 का विधानसभा चुनाव अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कझगम (एआईएडीएमके) के नेतृत्व में लड़ेगी। चेन्नई में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था नरेन्द्र मोदी सरकार ने तमिल युवाओं को संघ लोक सेवा आयोग-यूपीएससी परीक्षा तमिल भाषा में देने की अनुमति दी थी। उन्होंने द्रविड़ मुनेत्र कझगम सरकार पर छात्रों को तमिल भाषा में चिकित्सा और इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने की अनुमति नहीं देने और तीन भाषा शिक्षा में दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि डीएमके और कांग्रेस पार्टी लोगों की आवश्यकताओं के बारे में नहीं जानते हैं और उनका ध्यान अपने एजेंडे पर है। इस प्रकार तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव की रणनीति भी बनायी जा रही है। (अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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