लेखक की कलम

केजरीवाल गोवा में जमा रहे कदम

आम आदमी पार्टी (आप) के संस्थापक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल अपनी पार्टी का लगातार विस्तार कर रहे हैं। उन्हांेने सबसे पहले दिल्ली मंे सरकार बनायी। लगातार तीन बार मुख्यमंत्री बने। इस बार भाजपा ने उनसे सत्ता छीन ली लेकिन बिजली, पानी और स्वास्थ्य के मुद्दे उन्हांेने नहीं छोड़े। दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक खोले थे। इसके बाद पंजाब मंे आप की सरकार बनने के बाद वहां भी आम आदमी मोहल्ला क्लीनिक खोले गये। आम जनता ने इसे पसंद भी किया। अब केजरीवाल ने गोवा मंे अपना यह प्रयोग दोहराया है। गोवा मंे स्वास्थ्य सेवाएं हर घर तक नहीं पहुंच पाती थीं, इसे केजरीवाल ने महसूस किया। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली व पंजाब वाला फार्मूला यहां भी लागू कर दिया है। बताया जाता है कि आम आदमी पार्टी के सौजन्य से गोवा मंे 800 से ज्यदा हेल्थ कैम्प आयोजित किये गये और 20 हजार से अधिक मरीजों का मुफ्त में अथवा बेहद कम दाम पर इलाज उपलब्ध कराया गया है। पार्टी की यह स्वास्थ्य सेवा राजनीति में बहुत काम आ सकती है। गोवा में सभी 50 जिला पंचायत के चुनाव 20 दिसम्बर को होने हैं।
गोवा की राजनीति में लंबे समय से एक कमी महसूस होती रही है, स्वास्थ्य सेवाएँ हर घर तक नहीं पहुंच पाती थीं। लोगों को छोटी-सी बीमारी के लिए भी शहर के बड़े अस्पतालों तक जाना पड़ता था। टाइम, पैसा, और ऊपर से महंगी दवाएं, आम लोगों के लिए इलाज एक तनाव बन चुका था। अब वहां आम आदमी पार्टी ने एक अलग और जमीन से जुड़ा कदम उठाया। अरविन्द केजरीवाल ने कहा इलाज जनता तक पहुंचना चाहिए, जनता को अस्पताल न जाना पड़े। इसी सोच के साथ गोवा में बड़े पैमाने पर हेल्थ कैंप लगाए गए, जहां इलाज सीधे लोगों तक पहुंचा। आज तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। गोवा में 800 से ज्यादा हेल्थ कैंप आयोजित हुए, और 20,000 से अधिक मरीजों का फ्री या बेहद सस्ते में इलाज हुआ। किसी बुजुर्ग को दरवाजे के पास दवा मिली, किसी बच्चे की जांच तुरंत हो गई, किसी महिला का ब्लड प्रेशर बिना शुल्क मापा गया।
आम आदमी पार्टी ने प्रचार नहीं, काम किया, और यह काम अब हर मोहल्ले और गांव में महसूस किया जा सकता है। लोग बताते हैं कि हेल्थ कैंप कब होते हैं, कौन-सा इलाज मिलता है, कौन-सी दवा फ्री में उपलब्ध है। जो चीज पहले कल्पना जैसी थी, आज वह हकीकत है। गोवा में अब राजनीति नारों पर नहीं, सीधे अनुभव पर चल रही है। पहले इलाज के लिए सोच-समझ कर कदम निकलते थे, अब घर से कुछ कदम दूर राहत मिलती है। सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था में भरोसा टूटा था, लेकिन हेल्थ कैंप ने वह भरोसा फिर से जिंदा किया है। यही वजह है कि पंचायत चुनाव से पहले हवा बदली हुई दिख रही है, लोग पहली बार कह रहे हैं कि बदलाव सिर्फ कागज पर नहीं, उनके जीवन में उतरा है।
गोवा धीरे-धीरे समझने लगा है कि असली राजनीति वही है जो जिंदगी आसान करे। जब इलाज पास मिले, टेस्ट फ्री हों, दवा हाथ में आए, और बीमारी बोझ न बने तभी सरकार का महत्व दिखता है। आम आदमी पार्टी विकल्प बन चुकी है। आज हजारों परिवार यही बदलाव महसूस कर रहे हैं। पंचायत चुनाव करीब हैं, और चर्चा अब भाषणों-पोस्टरों नहीं बल्कि काम पर हो रही है। लोग कह रहे हैं, जिसने इलाज घर तक पहुँचाया, भरोसा उसी पर है। यही भरोसा आज आम आदमी पार्टी की सबसे बड़ी ताकत बन गया है। गोवा में स्वास्थ्य सुधार सिर्फ शुरू नहीं हुआ मजबूती से चल रहा है, और इसे आगे बढ़ाने का काम आम आदमी पार्टी कर रही है।
आम आदमी मोहल्ला क्लीनिक दिल्ली और पंजाब में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं, जो मुफ्त में चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करते हैं, जैसे कि दवाइयाँ, परामर्श और लैब टेस्ट। इनका उद्देश्य खासकर गरीबों और उन लोगों को बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराना है, जिनकी पहले स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच नहीं थी। हालांकि, हाल ही में कुछ रिपोर्टों में इन क्लीनिकों में खामियां, जैसे कि डॉक्टरों द्वारा कम समय देना या दवाओं की अनुपलब्धता, बताई गई हैं, जिससे कुछ क्लीनिकों को बंद भी किया गया है। इस पर राजनीति भी हुई और आम आदमी पार्टी दिल्ली विधान सभा चुनाव हार गयी।
मोहल्ला क्लीनिक में मुफ्त इलाज, दवाइयाँ और 212 से ज्यादा प्रकार के लैब टेस्ट उपलब्ध हैं। ये क्लिनिक घनी आबादी वाले क्षेत्रों, झुग्गी-झोपड़ियों और ग्रामीण क्षेत्रों में खोले गए हैं, ताकि लोगों को आसानी से स्वास्थ्य सेवाएँ मिल सकें। यह उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो काम से छुट्टी नहीं ले सकते या दिहाड़ी गँवाना नहीं चाहते, क्योंकि ये क्लीनिक उनके घरों के पास हैं। हालांकि कैग रिपोर्ट में कुछ क्लीनिकों में खामियां पाई गई थीं, जिसमें डॉक्टर मरीजों को बहुत कम समय दे रहे थे और कई जगह दवाइयाँ उपलब्ध
नहीं थीं। राजनीतिक मतभेदों के चलते दिल्ली सरकार द्वारा कई मोहल्ला क्लीनिकों को बंद करने का आदेश दिया गया है।
क्लीनिकों के बंद होने से डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों की नौकरियों पर भी असर पड़ा है। इसके बाद दिल्ली सरकार सरकारी अस्पतालों में मरीजों को ज्यादा से ज्यादा सुविधा देने और बेड्स फेसिलिटी बढ़ाने का काम तेजी से कर रही है।
यही प्रयोग आम आदमी पार्टी ने गोवा में किया है। हालांकि आम आदमी पार्टी ने यह साफ कर दिया है कि वह चुनाव लड़ने नहीं, बल्कि गोवा की राजनीति को एक नया रास्ता दिखाने आई है, वह रास्ता जिसमें जनता, पंचायतें और स्थानीय नेतृत्व केंद्र में हों, न कि सत्ता का एकाधिकार। गोवा में 20 दिसंबर को जिला पंचायतों के चुनाव होने हैं। घोषित उम्मीदवारों की सूची और पार्टी की तैयारी को देखकर यह साफ हो रहा है कि गोवा का यह चुनाव बेहद दिलचस्प होने वाला है। गोवा की राजनीति में आम आदमी पार्टी ने एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। जिला पंचायत चुनावों के लिए पार्टी अब तक 22 उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है और साफ कह दिया है कि इस बार वह सभी 50 सीटों पर पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ेगी। यह ऐलान सिर्फ नामों की सूची भर नहीं है, बल्कि यह उस नई राजनीतिक दिशा का संकेत है जिसमें आप गोवा के गांवों, कस्बों और स्थानीय निकायों को सक्रिय और मजबूत बनाना चाहती है। यह कदम यह भी दिखाता है कि पार्टी ने गोवा में अपनी संगठनात्मक पकड़ को पिछले कुछ वर्षों में न सिर्फ बढ़ाया है, बल्कि उसे चुनाव जीतने की क्षमता वाली ठोस संरचना में बदल दिया है।
आप की यह सूची साफ-सुथरी राजनीति, पारदर्शिता और जनसेवा पर आधारित उसकी पहचान को दोहराती है। जिन चेहरों को टिकट दिया गया है, उनमें युवाओं, महिलाओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और अलग-अलग समुदायों के प्रतिनिधियों का संतुलित और समावेशी मिश्रण है। यह वही मॉडल है जिसके चलते दिल्ली और पंजाब में पार्टी पंचायतों से लेकर सरकार तक बदलाव का प्रतीक बनी। अब यही ऊर्जा गोवा
में भी दिखाई देने लगी है। गांवों में पानी, सड़क, बिजली, स्वास्थ्य और पारदर्शी प्रशासन की मांग को लेकर जनता जिस पार्टी की तरफ देख रही थी, यह घोषणा उसी भरोसे की पुष्टि करती है। (अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर))

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