लेखक की कलम

दिल्ली में केजरीवाल एकला चलो

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
जिस तरह पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने भाजपा को अकेले दम पर सत्ता की तरफ बढ़ने से रोका है, उसी तरह दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल भी एकला चलो की रणनीति अपनाएंगे। आम आदमी पार्टी (आप) ने काफी पहले से इस बात का मन बना लिया था। इसीलिए विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया से बगैर कोई विचार-विमर्श किये केजरीवाल ने दिल्ली के लिए उम्मीदवारों की दो सूचियां भी जारी कर दी हैंं। अब गत 11 दिसम्बर को उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उनकी पार्टी अकेले दम पर राजधानी दिल्ली का चुनाव लड़ेगी। पिछले दो विधानसभा चुनाव में यह साफ भी हो चुका है कि दिल्ली में थोड़ा-बहुत मुकाबला अगर कोई कर सकता है तो वह भाजपा ही है। आश्चर्य की बात यह जरूर है कि दिल्ली की जनता जहां लोकसभा चुनाव में भाजपा को अपना पूरा समर्थन देती है, उसी प्रकार विधानसभा में आम आदमी पार्टी (आप) को भारी बहुमत से कुर्सी पर बैठालती है। दिल्ली में फरवरी 2025 में विधानसभा चुनाव संभावित हैं। अरविन्द केजरीवाल ने विधानसभा चुनाव को लेकर पहले भी संकेत दिया था कि दिल्ली में वह किसी से साझा नहीं करेंगे। अब ममता बनर्जी और राहुल गांधी के बीच नेतृत्व को लेकर जिस तरह विवाद छिड़ा है उसके मद्देनजर केजरीवाल का फैसला
उचित ही प्रतीत होता है। दिल्ली में कांग्रेस भी दावा करती है लेकिन उसका जनाधार लगातार कमजोर हो रहा है। केजरीवाल ने भी विपक्षी दलों के
नेतृत्व पर ममता बनर्जी का ही समर्थन किया है।
विधानसभा चुनाव अब ज्यादा दूर नहीं है, ऐसे में सियासी हलचल भी बढ़ने लगी है। इस बीच दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी अकेले दम पर राजधानी का चुनाव लड़ेंगी। अरविंद केजरीवाल के बयान से साफ हो गया कि आगामी दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी किसी दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी। आम आदमी पार्टी चुनाव को लेकर पूरी तरह कमर कस चुकी है, इसी का नतीजा है कि आप अपने उम्मीदवारों की दो लिस्ट भी जारी कर चुकी है।
अरविंद केजरीवाल ने पहले ही ये घोषणा कर दी थी कि आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए उनकी पार्टी कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेगी। अब उन्होंने किसी और दल के साथ गठबंधन की अटकलों को भी पूरी तरह खारिज कर दिया है। इससे पहले लोकसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने समझौता किया था लेकिन यह समझौता उतना कारगर नहीं हुआ, जितना दोनों दलों ने सोचा था। आम आदमी पार्टी दिल्ली में लगातार तीन बार से सरकार चला रही है। वहीं कांग्रेस, फिर से दिल्ली की सत्ता में लौटने की राह देख रही है। दिल्ली विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां बढ़ीं हुई हैं। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेता लगातार समझौते की संभावना से इनकार कर रहे थे। अरविंद केजरीवाल ने इस पर पहले ही मुहर लगा दी है। वहीं कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद भी दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा था कि उनकी पार्टी सभी सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ेगी। उन्होंने लोकसभा चुनाव में हुए समझौते को गलती बताया था। उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी फिर ब्लंडर नहीं करेगी। वहीं आप के प्रवक्ताओं ने कहा था कि उनकी पार्टी अकेले ही बीजेपी और कांग्रेस से निपटने में सक्षम है।
दिल्ली का वोटर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अलग-अलग वोट करता है। इस ट्रेंड को पिछले कई चुनावों में देखा जा रहा है। यकीनन दिल्ली के इस चुनावी गणित को आम आदमी पार्टी भी अच्छे से समझती है। दिल्ली की जनता पिछले तीन बार से दिल्ली की सभी लोकसभा सीटें बीजेपी को दे रही है, जिसका नतीजा ये है कि आप का लोकसभा में बेहद निराशाजनक प्रदर्शन रहा। वहीं इसके उलट विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का अभी तक का प्रदर्शन शानदार रहा है। जैसे-जैसे दिल्ली में आप ने अपनी साख जमाई है, वैसे-वैसे ही कांग्रेस लगातार कमजोर होती चली गई।
अगले साल 2025 के फरवरी में दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव कई मायनों में दिलचस्प होने वाले हैं। यह चुनाव जहां राजनीतिक पार्टियों के लिए बेहद खास होगा, वहीं मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के कार्यकाल का भी यह अंतिम चुनाव होगा। वह अगले साल 18 फरवरी को रिटायर होने वाले हैं। इसे देखते हुए सूत्रों का कहना है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव 18 फरवरी से पहले ही कराए जा सकते हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि 12-13 फरवरी या इसके आसपास को दिल्ली में मतदान का दिन निर्धारित कर दिया जाए। हालांकि, इसका खुलासा चुनाव आयोग द्वारा की जाने वाली घोषणा से ही हो सकेगा। सूत्रों का कहना है कि इस बात की भी काफी उम्मीद है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव ना केवल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के रिटायरमेंट से पहले ही करा दिए जाएं, बल्कि वोटों की गिनती भी 18 फरवरी या इससे पहले हो जाए। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि इस बात का अंतिम फैसला चुनाव आयोग की घोषणा के बाद ही होगा। अगले साल दिल्ली के अलावा बिहार में चुनाव होने हैं।उम्मीद है कि इस महीने के अंत तक मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और दोनों चुनाव आयुक्त दिल्ली में चुनाव कराने से पहले यहां तमाम राजनीतिक पार्टियों और फिर दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी, पुलिस कमिश्नर और चीफ सेक्रेटरी समेत अन्य संबंधित विभागों के चीफ के साथ रिव्यू मीटिंग करेंगे।
इंडिया’ गठबंधन में लीडरशिप को लेकर रार बढ़ती जा रही है। ‘इंडिया’ गठबंधन की कमान को लेकर कांग्रेस और टीएमसी आमने-सामने है। कांग्रेस के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन को मिल रही करारी हार से ममता बनर्जी को मौका मिल गया है। विपक्षी गठबंधन के नेतृत्व को लेकर ममता बनर्जी ने खुद इच्छा जाहिर कर दी है। अब अलग-अलग लोगों और दलों की ओर से ममता बनर्जी के लिए बैटिंग होने लगी है। लालू यादव और शरद यादव ने भी ममता के नाम पर अपनी हामी भर दी है। इसमें कोई शक नहीं कि ममता बनर्जी के लिए जबरदस्त बैटिंग हो रही है। ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन की कमान दी जाए, इसकी कवायद बहुत तेज हो गई है। टीएमसी वाले तो ममता बनर्जी की सीवी दिखा रहे हैं। टीएमसी का कहना है कि ममता बनर्जी सात बार एमपी, चार दफा केंद्रीय मंत्री और तीन बार की सीएम हैं। ऐसे में इंडिया गठबंधन को लीड करने के लिए उनकी दावेदारी राहुल गांधी से अधिक मजबूत है। टीएमसी सांसद सुष्मिता देव का कहना है कि ममता बनर्जी सात बार सांसद रह चुकी हैं, चार बार केंद्रीय मंत्री रहीं और तीन बार मुख्यमंत्री रहते हुए चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की कगार पर हैं। इन उपलब्धियों के साथ उन्हें अपना बायोडाटा बताने की जरूरत नहीं है। सुशासन का उनका रिकॉर्ड शानदार रहा है और उन्होंने भाजपा को चुनावी तौर पर पूरी तरह हराया है। इसके चलते केजरीवाल समेत कई नेता उन्हें एक बड़ी भूमिका में देख रहे हैं। साथ ही, सबको साथ लेकर चलने की उनकी क्षमता की भी सराहना करते हैं। ममता बनर्जी के लिए राजद सुप्रीम लालू प्रसाद भी अपनी हरी झंडी दिखा चुके हैं। (हिफी)

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