राजनीति

चकनाचूर हुआ केजरीवाल का गुरूर

 

पांच राज्यों के चुनाव नतीजों ने सभी राजनेताओं को कुछ न कुछ संदेश दिया है। आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का तो गुरूर ही चकनाचूर हो गया है। दिल्ली के बाद पंजाब मंे अपनी पार्टी की सरकार बनाने के बाद वह अपने को कांग्रेस का विकल्प समझने लगे थे। विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया के प्रमुख घटक होते हुए भी उन्हांेने कांगेस के प्रभाव वाले तीन राज्यांे- मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ मंे गठबंधन को किनारे कर दिया था। वह सोच रहे थे कि यहां की जनता कांग्रेस की जगह आम आदमी पार्टी को सत्ता सौंप देगी। इसलिए मध्य प्रदेश में 70 से ज्यादा सीटों पर उन्होंने प्रत्याशी खड़े किये थे। इसके साथ ही राजस्थान में 88 और छत्तीसगढ़ मंे 57 उम्मीदवार मैदान मंे उतारे थे। मुफ्त बिजली, पानी और शिक्षा का प्रलोभन जनता ने ठकुरा दिया। आपके ज्यादातर उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गयी। उनकी पार्टी को छत्तीसगढ़ मंे 0.97 प्रतिशत, मध्य प्रदेश मंे 0.42 प्रतिशत और राजस्थान में 0.37 प्रतिशत मत मिले हैं। राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बरकरार रखने में उनको मदद मिलेगी लेकिन अब गुजरात में उनको झटका लगा है।

अपने दावे के अनुसार मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में केजरीाल की पार्टी आम आदमी पार्टी उतना अच्छे परिणाम नहीं ला सकी। पार्टी की तरफ से दावा किया जा रहा था कि वह सरकार बनाने मंे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। तीन राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को नोटा से भी कम वोट मिले हैं। आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनावों की तैयारी कर रही थी कि गुजरात से पार्टी के लिए एक बुरी खबर आ गई। यहां पार्टी एक साथ 40 से ज्यादा पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया है। ये इस्तीफे गुजरात के भरूच जिले से आए हैं। आम आदमी पार्टी के गुजरात प्रमुख इशुदान गढ़वी और आप अल्पसंख्यक विंग के अध्यक्ष अमजद खान पठान ने बताया है कि भरूच जिले के 33 पार्टी कार्यकर्ताओं और आम आदमी पार्टी के 10 पदाधिकारियों ने इस्तीफा सौंप दिया। गुजरात में विधानसभा चुनाव भले ही अभी दूर हैं लेकिन इससे गुजरात में आम आदमी पार्टी की लोकसभा में उम्मीद की रोशनी तो कम हो ही गयी है। भरूच में आम आदमी पार्टी के जिला अध्यक्ष पीयूष पटेल ने कहा कि इस्तीफा देने वाले कार्यकर्ता विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी में निष्क्रिय थे। नतीजतन, उन्हें नए संगठनात्मक ढांचे में समायोजित नहीं किया गया। यह तो ठीक वैसे ही है जैसे लोमड़ी ने कहा था अंगूर खट्टे हैं।

ध्यान देने की बात है कि गुजरात में आम आदमी पार्टी के विधायक भूपेंद्र भयानी ने 13 दिसम्बर को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफ के बाद उन्होंने कहा था कि लोगों की सेवा करने के लिए सही मंच नहीं था। भयानी राज्य विधानसभा में जूनागढ़ के विसावडर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। गुजरात विधानसभा के सचिव डी एम पटेल ने बताया था कि विधानसभा अध्यक्ष ने भयानी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। इस्तीफा देने के बाद भयानी ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाले आप से भी इस्तीफा दे दिया है और वह जल्द ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होंगे। भयानी पिछले साल विधानसभा चुनाव में निर्वाचित हुए आम आदमी पार्टी (आप) के पांच विधायकों में शामिल थे। गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा ने 156 सीटें जीतकर भारी बहुमत हासिल किया था और यह पहली बार था जब आम आदमी पार्टी ने राज्य विधानसभा चुनाव में कोई सीट हासिल की थी। इसी के साथ आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी मिल गया था।

इस्तीफा देने वाले आप के विधायक कहते हैं कि मैं एक राष्ट्रवादी व्यक्ति हूं जो विकास और लोगों की सेवा में विश्वास करता है। आम आदमी पार्टी क्षेत्र के लोगों की सेवा करने के लिए सही मंच नहीं था। इस प्रकार उम्मीद नहीं की जा सकती। बात सिर्फ सत्ता की नहीं, विधायक भयानी ने आरोप भी लगाया और कहा कोई भी राष्ट्रवादी आप में अधिक समय तक नहीं रह सकता। वह पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले आप में शामिल हुए थे। जूनागढ़ के भेसन गांव के सरपंच रहे भयानी कहते हैं कि उनको प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विरोध करना पसंद नहीं था, जो हमारे गौरव हैं और जिन्होंने दुनिया भर में भारत को गौरवान्वित किया लेकिन केजरीवाल की रणनीति का यह प्रमुख हिस्सा है कि मोदी का हर बात मंे विरोध किया जाए।

इस बार मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में जबर्दस्त उलटफेर देखने को मिला है। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस को भाजपा ने करारी शिकस्त दी है। मध्य प्रदेश में भी भाजपा ने बड़े अंतर से जीत हासिल की है। वहीं तेलंगाना में कांग्रेस ने सत्तारूढ़ बीआरएस को पटखनी दी। इन चुनावों में आम आदमी पार्टी भी दमखम से मैदान में उतरी, लेकिन हर जगह उसे हार का सामना करना पड़ा है।
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में उसे एक भी सीट नहीं मिली। छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी को 0.93 फीसदी वोट से संतोष करना पड़ा। मध्य प्रदेश में उसे मात्र 0.54 फीसदी वोट और राजस्थान में 0.38 फीसदी वोट मिले। राजस्थान में अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप ने 88, छत्तीसगढ़ में 57 और मध्य प्रदेश में 70 से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे।
विधानसभा चुनाव के नतीजो आने पर आप ने कहा कि वह जनादेश को स्वीकार करती है और उसने तीन राज्यों में जीत के लिए बीजेपी को बधाई दी। पार्टी ने कहा, भाजपा अपने वादे पर खरी उतरेगी व लाडली बहना आवास योजना के तहत घर उपलब्ध कराएगी। वादे के अनुसार 450 रुपये में घरेलू गैस उपलब्ध कराएगी।

छत्तीसगढ़ में बीजेपी 54, कांग्रेस 35 और जीजीपी एक सीट पर जीती है। यहां सरकार बनाने के लिए 46 सीटों की जरूरत होती है। मध्य प्रदेश में बीजेपी 162 सीटें जीती है वहीं कांग्रेस 66 सीटें जीती है। भारत आदिवासी पार्टी एक सीट जीती है।
राजस्थान में बीजेपी को 115, कांग्रेस को 69, बीएसपी को दो और अन्य को 13 सीटें मिली है। तीनों ही राज्य में बीजेपी सरकार बनाने जा रही है। तेलंगाना में पहली बार कांग्रेस ने सरकार बनायी। यहां कांग्रेस को 64 और बीआरएस को 39 सीटें मिली हैं। भाजपा ने 8, एआईएमआईएम ने 7 और सीपीआई ने एक सीट पर जीत दर्ज की है। इन सभी राज्यों मंे आम आदमी पार्टी कहीं दिखाई ही नहीं पड़ती। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

 

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