केजरीवाल की मुसीबत और बढ़ी

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
शराब घोटाले को लेकर धन शोधन मामले मंे जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की मुसीबत और बढ़ गयी है। अभी कुछ दिन पहले ही निचली अदालत ने उनको जमानत दी थी लेकिन प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अनुरोध पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल को जेल से बाहर नहीं आने दिया। वे लगातार जेल से बाहर आने का प्रयास कर रहे हैं। इसी बीच दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर (एलजी) ने एक नई मुसीबत खड़ी कर दी है। लोकनायक अस्पताल के निर्माण मंे गड़बड़ी का आरोप केजरीवाल सरकार पर लगा है। एलजी ने सवाल उठाया है कि अस्पताल के निर्माण मंे इतनी ज्यादा लागत कैसे लगी। दरअसल, दिल्ली में बन रहे 22 मंजिलें लोकनायक अस्पताल के निर्माण की तिथि 31 दिसम्बर तय थी। अब समय बढ़ने के साथ उसकी लागत बढ़ना भी स्वाभाविक है। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इसी बात पर केजरीवाल की सरकार को कठघरे मंे खड़ा कर दिया है। एलजी ने सीबीसी को जांच सौंप दी है। अभी तो दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ही सीधे निशाने पर हैं लेकिन आंच तो केजरीवाल तक पहुंचेगी। माना जाता है कि केजरीवाल की मंत्री आतिशी के धरना देने से, उपराज्यपाल ज्यादा नाराज हो गये। उधर, मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कथित आबकारी घोटाले मामले में सीबीआई द्वारा दर्ज केस मंे जमानत के लिए 3 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए कहा कि मुझे प्रताड़ित किया गया है और ये मेरी रिहाई रोकने की साजिश है। सीबीआई ने 26 जून को उन्हंे तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था। इस प्रकार ईडी और सीबीआई ने उनको शिकंजे मंे पहले से कसा हुआ है।
अरविंद केजरीवाल सरकार को एक और झटका देते हुए दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने लोक नायक अस्पताल में हुए निर्माण की जांच का आदेश दिया है। अस्पताल में एक नए ब्लॉक का निर्माण हो रहा था, जिसमें 670 करोड़ रुपये ज्यादा खर्च हो गए। अब एलजी ने सीवीसी को जांच सौंपते हुए पूछा है कि इतने ज्यादा पैसे आखिर क्यों लग गए? इस पर स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज का भी जवाब आया है। उन्होंने कहा, एलजी साहब तो यही काम है। एलजी ने अस्पताल के निर्माण में हुई खामियों की जांच के लिए भी एक समिति बनाई है। अधिकारियों ने बताया कि यह समिति दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इतना ही नहीं, दिल्ली सरकार के विभिन्न अस्पतालों में चल रही ऐसी सभी परियोजनाओं की भी जांच करेगी। एलजी की ओर से जारी आदेश में कहा गया कि लोक नायक अस्पताल में एक अतिरिक्त ब्लॉक के निर्माण के लिए 465 करोड़ रुपये का टेंडर बढ़कर 1,135 करोड़ रुपये हो गया है। इससे दिल्ली सरकार पर लगभग 670 करोड़ रुपये का भार बढ़ा है। अधिकारियों ने बताया कि एलजी ने सतर्कता निदेशालय से केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) से मामले में विस्तृत तकनीकी जांच करने के लिए मुख्य तकनीकी परीक्षकों की एक विशेष टीम गठित करने का अनुरोध करने को कहा है।
एलजी ने आदेश में कहा, यह समझ से परे है कि विभाग के इंजीनियरों ने इतना पैसा खर्च कर दिया, जबकि इसे वित्त विभाग और कैबिनेट के पास जाना चाहिए था। लोक नायक अस्पताल में नए ब्लॉक पर काम 4 नवंबर, 2020 को शुरू हुआ था और 30 महीने के भीतर इसे पूरा किया जाना था लेकिन अधिकारियों का कहना है कि साढ़े तीन साल बाद भी सिर्फ 64 प्रतिशत काम हो पाया है, जबकि लागत 243 प्रतिशत बढ़ गई है। केजरीवाल सरकार ने पहले इसके निर्माण की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी को सौंपी थी। मूल रूप से 465 करोड़ रुपये टेंडर हुआ। बाद में काम के दायरे का विस्तार किया गया और 1135 करोड़ रुपये खर्च हो गए। एलजी के निर्देश के बारे में जब दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज से पूछा गया, तो उन्होंने कहा, एलजी का काम दिन-रात जांच का आदेश देना है। उन्होंने दिल्ली के लिए और क्या काम किया है? सतर्कता विभाग उनके अधीन है। वह ऐसा इसलिए करते हैं ताकि मीडिया सवाल पूछे। हालांकि, दिल्ली सरकार के सूत्रों ने जांच और किसी तरह की गड़बड़ी पाए जाने पर सख्त सजा देने का स्वागत किया है।
लोकनायक अस्पताल के नाम पर 22 मंजिला बन रही दिल्ली के सरकारी अस्पतालों की सबसे ऊंची इमारत की डेडलाइन गत 31 दिसंबर को गुजर चुकी है। देरी से चल रही इस परियोजना की नई डेडलाइन 31 मार्च 2024 निर्धारित की गई थी। विभाग की दलील है कि कोरोना महामारी के चलते निर्माण कार्य में देरी हुई है। इमारत का अभी 70 प्रतिशत काम पूरा हो सका है। इसमें से एक टावर 18 मंजिल और दूसरा टावर 19 मंजिल तक बन सका है। लोक निर्माण विभाग का कहना है कि इस इमारत के बेसमेंट से लगातार पानी आ रहा है, इसे लगातार पंप चलाकर बाहर निकाला जा रहा है। अभी तक सबसे ज्यादा बिस्तर सफदरजंग अस्पताल में है, जहां बिस्तरों की संख्या करीब तीन हजार बताई जा रही है।दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि लोकनायक काफी पुराना अस्पताल है। यहां हर दिन सात से आठ हजार मरीजों का उपचार किया जाता है। अस्पताल की ओपीडी सफदरजंग और डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल (आरएमएल) के बराबर है। ऐसे में सरकार ने नए प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है। इसमें मातृ शिशु के अलावा एडवांस बाल रोग और आइसीयू केयर होगा। दिल्ली सरकार द्वारा तैयार किए गए माडल के अनुसार दो मंजिला भूमिगत पार्किंग के बाद 22 मंजिल की इमारत होगी। एक हिस्सा जीबी पंत सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल की ओर बन रहा है जबकि दूसरा दिल्ली गेट मेट्रो स्टेशन की ओर है, मगर दोनें टावर आपस में जुड़े हुए हैं।
दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने गत दिनों आम आदमी पार्टी सरकार (आप पार्टी) पर हमला बोला। उन्होंने पार्टी और मंत्रियों पर राजधानी के ‘जल संकट’ लिए पड़ोसी राज्यों पर दोष मढ़ने के ‘अवसर’ में बदलने का आरोप लगाया। एएनआई के हवाले से सक्सेना ने कहा, ‘पिछले कुछ हफ्तों में दिल्ली सरकार के मंत्रियों का तीखा भाषण परेशान करने वाला और संदिग्ध रहा है। राष्ट्रीय राजधानी में पेयजल आपूर्ति एक चुनौती बन गई है। नेताओं ने राजनीतिक लाभ के लिए पड़ोसी राज्यों पर दोष मढ़ने के लिए संकट को अवसर में बदल दिया है।’ सक्सेना ने ये बताते हुए हुए कहा कि दिल्ली उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे पड़ोसी राज्यों से पेयजल आपूर्ति पर निर्भर है। उन्होंने कहा, ‘अंतरराज्यीय जल-बंटवारे की व्यवस्था भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के नियमों के तहत तय की जाती है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है। राज्यों को इस ढांचे के तहत हस्ताक्षरित समझौतों के अनुसार पानी छोड़ना होता है। साथ ही, दिल्ली सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है कि जल संसाधन का कुशलतापूर्वक उपयोग किया जाए ताकि पूरे शहर में समान आपूर्ति सुनिश्चित हो सके।’ सक्सेना का यह बयान राजधानी में पानी की गंभीर समस्या को लेकर दिल्ली और हरियाणा सरकारों के बीच तीखी नोकझोंक के बीच आया था। दिल्ली की जल संसाधन मंत्री आतिशी इसी बात को लेकर अनिश्चितकालीन उपवास पर थी।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को दो घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था। तब से वह हिरासत में थे। सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए सीएम केजरीवाल को 21 दिन की अंतरिम जमानत दी थी, जो एक जून को समाप्त हो गयी है। इसके बाद दो जून को उन्हें सरेंडर करना पड़ा था। (हिफी)