मिड-डे-मील व भूखंड घोटाले में फंसे नेता

राजस्थान में गृह राज्यमंत्री राजेन्द्र यादव पर मिड-डे-मील घोटाले का आरोप लगा है और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनके आवास और ठिकानों पर छापे मारे। उधर, पंजाब में भगवंतमान की सरकार ने भाजपा नेता मनप्रीत बादल पर व्यावसायिक भूखंड को आवासीय भूखंड में बदलवाने का आरोप लगाया है। मनप्रीत बादल पहले कांग्रेस सरकार में मंत्री हुआ करते थे। पूर्व विधायक सरूप सिंह सिंगला ने 2021 में इस मामले में शिकायत दर्ज करायी थी।
राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव से पहले कांग्रेस सरकार के मंत्री के ठिकानों पर छापामारी से सियासी गलियारों में हड़कंप मचा है। राजस्थान में पिछले बरसों में जब-जब ईडी की कार्रवाई हुई है तब-तब सीएम अशोक गहलोत समेत कांग्रेस सरकार के मंत्रियों और पार्टी पदाधिकारियों ने केन्द्र सरकार पर ईडी के बेजा दुरुपयोग का आरोप लगाया था। सीएम गहलोत कई मंचों से केन्द्र सरकार पर ईडी के दुरुपयोग का आरोप लगा चुके हैं। बहरहाल ईडी मिड डे मिल घोटालों से जुड़े दस्तावेजों को खंगाल कर कड़ी से कड़ी जोड़ने का प्रयास कर रही है।बच्चों के निवालों में घोटाला करने वालों पर ईडी ने राजस्थान में अपना शिकंजा कस दिया है। ईडी ने इस मामले को लेकर 26 सितम्बर को राजस्थान सरकार के गृह राज्यमंत्री राजेंद्र यादव के दस ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। ईडी ने यह कार्रवाई मिड डे मिल में घोटाले को लेकर की है। इसको लेकर ईडी ने सूबे के गृह राज्यमंत्री यादव के जयपुर, बहरोड़ और विराटनगर सहित 10 ठिकानों पर दबिश दी है। बताया जा रहा है कि ईडी घोटाले से जुड़े दस्तावेजों को खंगाल रही है। ईडी की कार्रवाई सियासी गलियारों में हड़कंप मच गया है। सूत्रों के अनुसार छापामारी के लिए प्रवर्तन निदेशालय की टीम सुबह ही राजस्थान पहुंची थी। उसके बाद गृह राज्यमंत्री यादव के कोटपूतली समेत अन्य ठिकानों पर एक साथ छापामारी कार्रवाई शुरू की गई। इस मामले में सालभर पहले आयकर विभाग की टीम ने राजस्थान में कई जगह छापामारी की थी। उस समय गृह राज्यमंत्री के ठिकानों पर भी छापे मारे गए थे।
उसके बाद अब ईडी ने इस मामले आज अपना शिकंजा कस दिया है। ईडी सूत्रों के मुताबिक मिड डे मिल में बच्चों के लिए पोषाहार निर्धारित दरों से काफी ऊंची दरों पर खरीदा गया था। इसमें गृह राज्यमंत्री यादव की कंपनियां शामिल बताई जा रही हैं। घोटाले के तार गृह राज्यमंत्री राजेन्द्र यादव से जुड़े होने के कारण यह मामला काफी चर्चा में आ गया था। इसको लेकर उस समय भी सियासत काफी गरमाई थी। उसके बाद अब एक बार फिर से राजस्थान में सियासत गरमाने के आसार बन गए हैं। इसी साल 7 अगस्त को पेपर लीक मामले में ईडी ने शिकंजा कसा था। इस प्रकरण से जुड़े माफियाओं तक पहुंचने के लिए एजेंसी ने सीकर के कलाम कोचिंग पर छापा मारा था। जिले के नवलगढ़ रोड स्थित कलाम कोचिंग का संबंध कांग्रेस के एक शीर्ष नेता से जुड़ा बताया गया था। हालांकि रजिस्ट्रेशन में कहीं भी उनका नाम नही है। कलाम कोचिंग का नाम पहले भी कई बार सामने आ चुका है। जिसके बाद से ही यह कोचिंग ईडी के निशाने पर थी। बता दें कि यह पूरा मामला रीट भर्ती परीक्षा से जुड़ा है। जिसके चलते रीट और आरएएस भर्ती परीक्षा की तैयारी करवाने वाली इस कोचिंग की जांच की गई।
उधर, पंजाब में पूर्व मंत्री मनप्रीत बादल पर शिकंजा कसा जा रहा है। मनप्रीत बादल अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में हैं। वह पहले कांग्रेस में और उससे पहले शिरोमणि अकाली दल के सदस्य थे। सतर्कता ब्यूरो के एक प्रवक्ता ने बताया कि बादल और बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर छापेमारी की जा रही है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बादल पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग कभी ईमानदारी का दम भरा करते थे, आज खुद को बचाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सच बोलने और सच के साथ खड़े रहने में बहुत अंतर होता है। उन्होंने कहा कि ये नेता पहले कहते थे कि उनके खिलाफ जो भी कार्रवाई होगी, वे उसका इंतजार करेंगे, लेकिन अब गिरफ्तारी से बचने के लिए कानूनी सुरक्षा मांग रहे हैं।
सतर्कता ब्यूरो ने पूर्व विधायक सरूप चंद सिंगला द्वारा 2021 में की गई शिकायत के आधार पर मामले की जांच शुरू की थी। शिकायत में भाजपा नेता सिंगला ने बठिंडा में एक प्रमुख स्थान पर संपत्ति की खरीद में अनियमितता का आरोप लगाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में बादल ने मंत्री पद का दुरुपयोग करते हुए वाणिज्यिक भूखंडों को खुद के लिए आवासीय भूखंड में बदल दिया था। सतर्कता ब्यूरो ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 468 (जालसाजी) के अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। जांच के सिलसिले में सतर्कता ब्यूरो ने जुलाई में बादल से पूछताछ की थी। कुछ दिन पहले ही बादल ने बठिंडा की एक अदालत में गिरफ्तारी पूर्व जमानत याचिका दाखिल की थी, जिसे 26 सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। बादल इस साल जनवरी में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे।
पूर्व वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद बताया। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को भेजे अपने इस्तीफे में बादल ने कहा कि कांग्रेस से उनका मोहभंग हो गया है। बादल ने अपना इस्तीफा ट्विटर पर भी साझा किया। मनप्रीत बादल ने इस्तीफे में कहा, ‘‘पार्टी और सरकार में मुझे जो भी जिम्मेदारी दी गई, उसे निभाने में मैंने अपना सब कुछ झोंक दिया। मुझे यह मौका देने और सम्मान देने के लिए आपका शुक्रिया अदा करता हूं। उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्य ये पार्टी के भीतर जारी मौजूदा संस्कृति और उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण मैं अब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का हिस्सा नहीं बना रहना चाहता। बादल ने कहा, ‘‘सात साल पहले, मैंने पीपल्स पार्टी ऑफ पंजाब का आपकी पार्टी के साथ विलय किया था। मैंने बड़ी उम्मीदों व आकांक्षाओं के साथ यह कदम उठाया था कि इससे मुझे अपनी क्षमता के हिसाब से पंजाब के लोगों और उनके हितों की सेवा करने के पूर्ण अवसर मिलेंगे। सतर्कता ब्यूरो की जांच से सच्चाई सामने आ रही है।
पंजाब बीजेपी के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने राज्य की आर्थिक स्थिति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि राज्य की आम आदमी पार्टी सरकार भारी कर्ज में है। राज्य के भविष्य को लेकर भयभीत होते हुए पूर्व कांग्रेस नेता ने कहा कि राज्य पर 2,42,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। जाखड़ ने दावा किया कि राज्य में सार्वजनिक उपक्रम भी कर्ज में डूबे हुए हैं, उन्होंने कहा कि भगवंत मान सरकार लोगों को गुमराह कर रही है।
जाखड़ ने कहा, मुझे आगे केवल अंधकार ही दिखाई दे रहा है। एक तरफ 2,42,000 करोड़ रुपये का कर्ज है, और दूसरी तरफ, पंजाब पावर कॉर्पोरेशन और अन्य उपक्रमों सहित पंजाब के सार्वजनिक उपक्रम 3,50,000 करोड़ रुपये के संयुक्त कर्ज के साथ राजकोषीय तनाव में भी हैं। पंजाब सरकार ने इन उपक्रमों को संकट से बाहर निकालने की गारंटी ली है, लेकिन पैसे का भुगतान सरकारी खजाने से किया जाएगा। जाखड़ ने कहा, हर व्यक्ति पर 12,000 रुपये का कर्ज होगा। आज जन्म लेने वाले बच्चे को भी राज्य के कर्ज का बोझ उठाना होगा। आप सरकार की हर महीने प्रति व्यक्ति 1,000 रुपये की सहायता, राज्य के राजकोषीय स्थिति के बारे में लोगों को गुमराह करने की एक चाल है जबकि एक परिवार को हर महीने केवल 1,000 रुपये मिलेंगे, पंजाब सरकार ने इस उद्देश्य के लिए 50,000 करोड़ रुपये का ऋण लिया है। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)