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लखनऊ रेलवे क्वार्टर हादसा: 5 मौतों के बाद भी जर्जर मकान में आखिर क्यों रहने को मजबूर हैं लोग

लखनऊ। राजधानी लखनऊ में फतेह अली तालाब के पास स्थित रेलवे कालोनी में बड़ा हादसा हो गया। रेलवे क्वार्टर में सो रहे पांच लोगों की छत गिरने से दर्दनाक मौत हो गई। मरने वालों में तीन बच्चे और उनके माता पिता शामिल हैं। हालांकि इतना बड़ा हादसा होने के बाद भी कई ऐसे परिवार हैं जो उन जर्जर मकानों में रह रहे हैं। उन परिवारों की आखिर क्या मजबूरी है जो अपने साथ अपने नौनिहालों की जान भी दांव पर लगाये हुये हैं। अमृत विचार टीम ने जर्जर मकानों में रह रहे लोगों से बात कर हकीकत जानी है। हादसे में पांच लोगों की मौत के रेलवे कॉलोनी में पहुँचने पर हर तरफ उदासी ही नजर आ रही थी। किसी भी सवाल के जवाब में नम आंखों के सिवाय यदि कुछ सुनाई और दिखाई पड़ रहा था तो वह था आरोप और सिर्फ आरोप।
जिस मकान में यह हादसा हुआ है। ठीक उसके सामने स्थित मकान में रहने वाली हिना बताती हैं कि हम लोग यहां काफी समय से रह रहे हैं और हम ही नहीं बल्कि बहुत से ऐसे परिवार है कि जो हमारी तरह इन जर्जर मकानों में रहने को मजबूर हैं। यहां रहने की मजबूरी यह है कि हमारे पास दूसरा कोई ठिकाना नहीं है। इसके अलावा मेरे परिवार के पास इतने पैसे भी नहीं हैं कि हम दूसरी जगह मकान लेकर रह सकें। हमलोग दूसरे के घरों में बर्तन धुल कर अपने घर का खर्च चलाते हैं। गरीब इंसान कहां जाये। पारो बताती हैं कि इतने बड़े हादसे के बाद हम सभी कहीं और रहने के बारे में सोच रहे हैं, लेकिन पैसे की कमी हमें दूसरी जगह जाने नहीं दे रही है। उन्होंने यह भी बताया की इससे पहले कई बार सरकारी योजनाओं के तहत मकान पाने की कोशिश की,लेकिन वहां भी मायूसी हाथ लगी। अब दूसरी जगह जाने के लिए पैसे भी पास होने चाहिए। साथ ही उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि जब मकान जर्जर हो गये थे और बुल्डोजर लगाकर कई मकान तोड़े गये। तो हम लोगों से क्यों नहीं खाली कराया गया।
कालोनी में रहने वाली सुनैना बताती हैं कि हम लोग मजबूरी में रह रहे हैं। शौक नहीं हैं खतरे में रहने का,लेकिन कहां जायें। कोशिश कई बार की दूसरी जगह पर जाने की, लेकिन पांच से 6 हजार रूपये महीने में कमा पाते हैं। इसलिए इसी जगह पर गुजारा कर रहे हैं। युसुफ अंसारी ने बताया कि हम लोग रेलवे के कर्मचारी हैं। इस हादसे के बाद से ही दूसरा मकान लेने के लिए जानकारी कर रहे हैं, लेकिन मकान मिलना इतना आसान नहीं है, जो मकान रेलवे की तरफ से दिये जा रहे हैं। उनकी भी हालत अच्छी नहीं है। स्थानीय लोग इस घटना के लिए रेलवे के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। हर किसी के जबान पर एक ही बात सुनाई पड़ रही थी कि जब इससे पहले मकान खाली कराये गये थे। तो बाकी बचे मकानों को क्यों नहीं खाली कराया। इतना ही नहीं लोग सवाल उठाते भी नजर आ रहे थे कि सालों पहले जर्जर हो चुकी कालोनी में अभी भी कैसे लोग रह रहे हैं। जो लोग रह रहे हैं उनमें से 70 फीसदी लोग यहां पर अवैध रूप से रहने आ गये।

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