समुद्र की रक्षा कर रहा ‘महाकाल’

हमारा देश अब जमीन से लेकर आसमान तक न सिर्फ अपनी सुरक्षा में आत्मनिर्भर हो चुका है बल्कि दुश्मन को चैलेंज भी कर रहा है। नभ सेना, सेना और नैवी में अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं। अब 24 नवम्बर को भारतीय नौ सेना ने समुद्र में महाकाल को खड़ा कर दिया है। भारतीय नौ सेना ने एंटी सबमरीन बाॅरफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट आईएनएम मोह को अपने बेड़े में शामिल कर लिया है। इससे हमारी नौ सेना की ताकत में काफी बढ़त मिली है। आईएनएस माहे को दुश्मन देशों की पनडुब्बियों का पीछा करके उन्हें नष्ट करने की अचूक क्षमता है। भारतीय नौ सेना की ताकत देखकर अब बड़े-बड़े दुश्मन देश भी थर्रा रहे हैं। युद्धपोत माहे को एएमडब्ल्यू अर्थात एंटी सब मरीन वारफेयर के लिए विकसित किया गया है। यह जहाज लगातार पानी के भीतर होने वाली गतिविधियों का पता लगा सकता है। सोनार इसकी प्राथमिक शक्ति है। आधुनिक सोनार सिस्टर दुश्मन देश की पनडुब्बी की स्थिति, दूरी और गति की सटीक जानकारी उपलब्ध करा देता है। हमारे डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) अर्थात रक्षा अनुसंधान संगठन की यह भारतीय नौ सेना के लिए एक बड़ी उपलब्घि मानी जा रही है।
भारतीय नौसेना ने एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट आईएनएस-माहे को अपने बेड़े में शामिल कर लिया है। नौसेना में आईएनएस माहे की कमीशनिंग आर्मी चीफ उपेंद्र द्विवेदी की मौजूदगी में हुई। आईएनएस माहे को बेड़े में शामिल करने के बाद भारतीय नौसेना की ताकत में बड़ा इजाफा हो गया है। बता दें कि आईएनएस माहे को दुश्मन की पनडुब्बियों का काल कहा जाता है। माहे के कमीशन होने से कम पानी में लड़ने वाले देसी जहाजों की एक नई पीढ़ी का आगमन हुआ है – जो फुर्तीले, तेज और पक्के इरादे वाले भारतीय जहाज होंगे। 80 फीसद से ज्यादा स्वदेशी सामग्री के साथ, माहे-क्लास युद्धपोत के डिजाइन, निर्माण और एकीकरण में भारत की बढ़ती महारत को दिखाता है। यह पश्चिमी समुद्र तट पर एक साइलेंट हंटर के तौर पर काम करेगा – जो आत्मनिर्भरता से चलेगा और भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए समर्पित होगा। माहे-क्लास के पहले एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट आईएनएस-माहे को मुंबई के नेवल डॉकयार्ड में कमीशन किया गया है। इस युद्धपोत को दुश्मन की पनडुब्बियों का दुश्मन माना जा रहा है। लगभग 78 मीटर लंबा ये जंगी बेड़ा मॉडर्न सोनार सिस्टम से लैस है और दुश्मन की पनडुब्बियों का पीछा करके उन्हें बर्बाद करने में इसे महारथ हासिल है। ये युद्धपोत आत्मनिर्भर भारत की मिसाल है। आईएनएस माहे एंटी-सबमरीन वॉरफेयर-शैलो वॉटर क्राफ्ट कैटेगिरी का पहला युद्धपोत है। इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड में किया गया है। ये जहाज उथले समुद्री इलाकों में दुश्मन की पनडुब्बियों को खोजकर उनकी निगरानी और हमले के लिए डिजाइन किया गया है। ये एक साथ कई मिशन को अंजाम दे सकता है। आईएनएस माहे के कमीशनिंग पर, जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने कहा यह न केवल युद्ध के समुद्री क्रम में एक शक्तिशाली नए मंच को शामिल करने का प्रतीक है, बल्कि स्वदेशी प्रौद्योगिकी के साथ जटिल लड़ाकू विमानों को डिजाइन करने, निर्माण करने और तैनात करने की हमारे देश की बढ़ती क्षमता की भी पुष्टि करता है, जिसका नाम भारत की समुद्री विरासत के प्रतीक ऐतिहासिक तटीय शहर माहे के नाम पर रखा गया है, यह जहाज नवाचार और सेवा की भावना का प्रतीक है।
जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने कहा-माहे के कमीशन होने से समुद्र के निकट प्रभुत्व सुनिश्चित करने, तटीय सुरक्षा ग्रिड को मजबूत करने और हमारे तटीय क्षेत्रों के विशाल विस्तार में हमारे समुद्री हितों की रक्षा करने की भारतीय नौसेना की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। आईएनएस माहे की कमीशनिंग नेवी के बिल्डर्स नेवी में दृढ़ परिवर्तन की पुष्टि करती है, जो अपने स्वयं के लड़ाकू प्लेटफार्मों को डिजाइन, निर्माण और रखरखाव करती है। आज, नौसेना के पूंजी अधिग्रहण के 75 फीसद से
अधिक प्लेटफॉर्म स्वदेशी रूप से
प्राप्त किए जाते हैं। युद्धपोतों और पनडुब्बियों से लेकर उच्च सोनार
और हथियार प्रणालियों तक, भारतीय शिपयार्ड, सार्वजनिक और निजी,
हमारे देश के औद्योगिक और तकनीकी प्रभुत्व के जीवित प्रमाण के रूप में
खड़े हैं।
एसडब्ल्यूआरएसडब्ल्यूसी यह माहे-क्लास का पहला युद्धपोत है-और देश में बन रहे 8 से भी पहला है। आईएनएस माहे को कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत तैयार किया है, और इसकी खासियत है कि इसमें इस्तेमाल हुआ 80 फीसद से ज्यादा उपकरण स्वदेशी हैं। उथले समुद्री क्षेत्रों में दुश्मन पनडुब्बियों का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने जैसे महत्वपूर्ण अभियानों के लिए यह जहाज विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। यह एक मल्टी- पर्पज युद्धपोत है। यानी एक जहाज, कई मिशन। जैसे एंटी-सबमरीन ऑपरेशन, कोस्टल डिफेंस और सुरक्षा, पानी के भीतर निगरानी, सर्च एंड रेस्क्यू मिशन, माइन-बिछाने की क्षमता, उथले पानी में उच्च दक्षता से काम करने की क्षमता। माहे’ एक एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट है, जो तटीय क्षेत्रों में गश्त, निगरानी और पनडुब्बी रोधी अभियानों में सक्षम है। इसका लो-अकॉस्टिक सिग्नेचर इसे पानी में बेहद शांत रखता है, जिससे दुश्मन पनडुब्बियों को इसका पता लगाना मुश्किल होता है।युद्धपोत अधिकतम 25 नॉट (लगभग 46 कि.मी.) की गति से दौड़ सकता है, जो तेज प्रतिक्रिया अभियानों में अत्यंत उपयोगी है। यह जहाज 1,800 समुद्री मील की दूरी 14 नॉट की क्रूजिंग स्पीड पर आसानी से तय कर सकता है। सहायक नावें ‘माहे’ पर 2 तैनात रहती हैं, जो त्वरित कार्रवाई और खोज-बचाव अभियानों में उपयोगी हैं। इस जहाज पर कुल 57 सदस्य तैनात होते हैं, जिनमें 7 अधिकारी और 50 नाविक शामिल हैं। युद्धपोत ‘माहे’ में लगी सोनार प्रणाली इसकी सबसे महत्वपूर्ण और अत्याधुनिक क्षमताओं में से एक है। यह समुद्र की गहराइयों में छिपी दुश्मन पनडुब्बियों, माइन, और अन्य खतरों का पता लगाने में नौसेना की आँख और कान की तरह काम करती है।
अत्याधुनिक एडवांस सोनार सिस्टम की मदद से यह बिना शोर किए..पानी के भीतर निगरानी रख सकता है। दुश्मन पनडुब्बियों की तलाश कर सकता है और लो वेव सिग्नेचर के साथ उन्हें सटीकता से ट्रैक कर सकता है। उथले पानी में भी यह बहुत प्रभावी है, जो इस वर्ग के युद्धपोत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। (हिफी)



