मामा का मध्यप्रदेश

परिस्थितियों के अनुरूप चुनावी रणनीति भी बदलती है। इसी साल के अंत तक होने वाले विधान सभा चुनावों में मध्य प्रदेश भी शामिल है। पिछली बार 2018 में राज्य की जनता ने भारतीय जनतापार्टी (भाजपा) को सरकार बनाने लायक बहुमत नहीं दिया था लेकिन कांग्रेस की आंतरिक लड़ाई ने कमल नाथ को अल्पमत में कर दिया। वे परिस्थितियां दूसरी थीं तब भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ गये विधायकों को मंत्री बनाया। सिंधिया को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी गयी लेकिन अब विधान सभा के चुनाव होने हैं तो परिस्थितियां बदल गयी हैं और भाजपा के लोगों को यह आश्वासन दिया जा रहा है कि उनकी उपेक्षा नहीं हो रही। भाजपा ने इस बार परम्परा से हटकर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है और उसी से यह संकेत भी मिला कि सिंधिया समर्थकों को तवज्जो नहीं दी गयी है। सिंधिया के ग्वालियर चंबल क्षेत्र में संबलगढ़ से सरला रावत, चाचैड़ा से प्रियंका मीणा, पिछोर से प्रीतम सिंह लोधी, सुमावली से एदल सिंह कंसाना गोहद से लाल सिंह आर्य और चेदेरी से जगनाथ रधुवंशी को प्रत्याशी बनाया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान का खुश होना स्वाभाविक है। उन्होंने चुनाव के लिए एंथम सांग रिलीज किया है। –
मैं मध्य प्रदेश हूं
मैं देश के दिल में
और पूरा देश मेरे दिल में।
बीजेपी ने इस बार मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। आमतौर पर बीजेपी चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद ही प्रत्याशियों की सूची जारी करती रही है लेकिन कर्नाटक चुनाव के बाद पार्टी को फिडबैक मिला कि प्रत्याशियों के नाम के ऐलान में देरी होने से नुकसान हुआ है। बहरहाल वजह कोई भी हो लेकिन बीजेपी ने 17 अगस्त को जो पहली सूची जारी की है उसमें दोनों राज्यों के तमाम दिग्गज मसलन शिवराज सिंह चैहान, नरोत्तम मिश्रा और रमन सिंह जैसे नेताओं और मंत्रियों के नाम नहीं हैं। पार्टी ने 90 सदस्यीय छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए 21 और मध्य प्रदेश के लिए 39 उम्मीदवारों की घोषणा की है। दोनों राज्यों में तकरीबन तीन महीने बाद ही चुनाव हैं। मध्यप्रदेश गान का वीडियो संस्करण भी सोशल मीडिया पर रिलीज किया गया। इसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने ट्विटर पर रिलीज किया। मध्य प्रदेश के लिए बीजेपी ने 39 प्रत्याशियों के नाम घोषित किए हैं। पहली लिस्ट में ज्यादातर रिजर्व, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की सीटों के लिए प्रत्याशियों के नाम घोषित किए गए हैं। खास बात ये है कि भोपाल उत्तर ध्रुव नारायण सिंह और पूर्व महापौर आलोक शर्मा को भोपाल मध्य विधानसभा सीट पार्टी ने मैदान में उतारा है।
प्रत्याशियों की सूची प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 16 अगस्त को हुई भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद आई है। चुनाव समिति उम्मीदवारों के चयन के लिए पार्टी की ओर से निर्णय लेने वाली सुप्रीम संस्था है। राजनीतिक पंडितों की मानें तो उम्मीदवारों के नामों की पहले से घोषणा करके बीजेपी नेतृत्व पार्टी के भीतर मतभेदों की पहचान करना चाहती है। इसके अलावा विवादों को पहले से ही हल करने की कोशिश करना पार्टी का मकसद हो सकता है। इस साल की शुरुआत में कर्नाटक चुनाव में मिली हार के बाद पार्टी एक और हार झेलने के मूड में नहीं है। मध्य प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर होने की संभावना है।
मध्यप्रदेश गान वीडियो के संगीत में भारत के हृदय प्रदेश की मिट्टी की सोंधी सुगंध के साथ प्रदेश के हर हिस्से का इतिहास, संस्कृति, भाषा-बोलियों के माधुर्य का सामंजस्य किया गया है। वीडियो में प्रदेश के हर हिस्से के प्राकृतिक सौंदर्य की झलकियां, बुंदेली, मालवी, निमाड़ी एवं हर हिस्से के लोकसंगीत के साथ ही युवाओं को पसंद आने वाली रैप विधा का भी प्रयोजन किया गया है। गान में प्रदेश की फ्लैगशिप योजनाओं का भी परिचय मधुर लयों के साथ दिया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने अपने ट्विटर हैंडल पर मैं मध्य प्रदेश हूं कैप्शन के साथ इस एंथम सॉन्ग को लांच किया. उनके साथ ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी इसे ट्वीट किया, इसके अलावा सरकार के सभी मंत्रियों एवं विधायकों ने भी अपने-अपने सोशल मीडिया पर पर पोस्ट किया।
आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर बीजेपी अब फुल स्पीड में जुट गई है। पार्टी ने अपनी परंपरा तोड़ते हुए चुनाव की घोषणा से पहले 39 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है। इनमें से ज्यादातर वे सीटें हैं जहां वर्तमान में कांग्रेस के विधायक हैं। अहम ये भी है कि इस सूची से सिंधिया समर्थकों की नींद उड़ी हुई है। इसकी वजह से कमलनाथ सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व विधायक का पत्ता साफ होना है। गोहद सीट पर बीजेपी ने अपने अजा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य का नाम घोषित कर सिंधिया समर्थकों की नींद उड़ा दी है। बीजेपी ने अपने प्रत्याशियों की जो पहली सूची जारी की है उसमें अभी सिर्फ 39 नाम है। यह सभी वे सीटें हैं जिन पर अभी कांग्रेस का कब्जा है। इनमे ग्वालियर चम्बल अंचल की 34 में से छह सीटें शामिल है और अधिकांश पर पहले चुनाव हार चुके उम्मीदवारों पर ही पार्टी ने दांव लगाया है। जिनके नाम घोषित किए गए हैं वे सभी 2018 में चुनाव हार गए थे। पहली सूची में पहला झटका कांग्रेस की सरकार गिराकर बीजेपी की ताजपोशी कराने वाले सिंधिया समर्थकों को लगना शुरू हुआ। गोहद सुरक्षित सीट से रणवीर जाटव का टिकट काटकर बीजेपी ने अपने नेता लाल सिंह आर्य को ही मैदान में उतारने का ऐलान किया। 2018 में यहां से आर्य को ही हराकर कांग्रेस के रणवीर जाटव जीते थे लेकिन जब ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में विद्रोह हुआ तो विधायक पद से इस्तीफा देने वालों में रणवीर जाटव भी शामिल थे। उप चुनाव में वे बीजेपी के टिकट पर लड़े लेकिन हार गए। इसके बावजूद सरकार ने उन्हें हस्त शिल्प विकास निगम का चेयरमैन बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया लेकिन अब उनका टिकट काट दिया।
रणवीर जाटव का टिकट कटते ही सिंधिया समर्थक नेताओं में हड़कंप मच गया है। इसकी वजह सिर्फ रणवीर का टिकट काटना ही नही है बल्कि बाकी लोगों के नाम घोषित होना भी है। पार्टी ने उप चुनाव हार चुके एदल सिंह का नाम तो घोषित कर दिया लेकिन उनके साथ ही उप चुनाव हार चुके ग्वालियर पूर्व से मुन्नालाल गोयल, डबरा से पूर्व मंत्री इमरती देवी ,मुरेना से रघुराज कंसाना, दिमनी से गिर्राज दंडोतिया और करेरा से जसवंत जाटव के नाम घोषित न कर होल्ड कर दिए। ये सब विधायक पद छोड़कर सिन्धिया के साथ बीजेपी में आये लेकिन उप चुनाव हार गए। अब इन सबको भी रणवीर की तरह अपना टिकट कटने की तलवार लटकते दिख रही है। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)