एनडीए में मांझी करेंगे समन्वय

उपराष्ट्रपति चुनाव में एकजुटता दिखाने के बाद अब भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) बिहार की चुनावी तैयारी में जुट गया है। यहां अभी सीट बंटवारे को अंतिम रूप नहीं दिया गया। हालांकि इससे पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एनडीए. के सभी घटक दलों की भूमिका को लेकर तस्वीर साफ कर दी है। हालांकि एनडीए में सीट बंटवारे पर सहमति अभी नहीं बन पाई है। माना जा रहा है कि हफ्ता भर में ये काम भी हो जाएगा। बीजेपी और जेडीयू के बीच बंटवारे का फॉर्मूला लगभग तय है, लेकिन चिराग पासवान सहित अन्य सहयोगी अलग अलग तरीके से दबाव बनाने की कोशिश कर रहे थे। चुनावों में किसी भी गठबंधन के लिए सबसे बड़ी चुनौती सीट शेयरिंग होती है। बिहार चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा दोनों गठबंधनों के लिए एक जैसी चुनौती बन गया है। एनडीए के लिए भी। और इंडिया ब्लॉक, जो बिहार में महागठबंधन के तौर पर भी जाना जाता है, उसके लिए भी। जन सुराज पार्टी के साथ प्रशांत किशोर की एंट्री, चैलेंज तो दोनों ही गठबंधनों के लिए हैं लेकिन एनडीए के सामने ऐसी एक और चुनौती है। चिराग पासवान अब भी एनडीए की सीट शेयरिंग में चुनौती बने हुए हैं। चिराग पासवान के जीजा और एलजेपी-आर के बिहार प्रभारी अरुण भारती कह रहे हैं कि उनकी पार्टी सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की क्षमता रखती है। अपनी दलील को मजबूत करने के लिए वो 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव की याद दिला रहे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने सियासी हलचल तेज कर दी है। सवाल ये है कि जेएसपी सत्ता पक्ष एनडीए का खेल बिगाड़ेगी या विपक्षी इंडिया ब्लॉक को कमजोर करेगी या फिर दोनों के लिए मुसीबत बनेगी। शुरुआती सर्वे बताते हैं कि किशोर की पार्टी वोट-कटर की भूमिका निभा सकती है, जिससे बड़े गठबंधनों के समीकरण बदल जाएंगे। यह पार्टी बिहार की सियासत में 2020 की एलजेपी की तरह तीसरा ध्रुव बन सकती है।
केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने हाल ही में एक बड़ा बयान देकर कहा कि गठबंधन में 8 सीटों का विवाद सुलझ चुका है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी दबाव की राजनीति नहीं करती है। बल्कि सहमति से आगे बढ़ती है। जीतन राम मांझी ने पटना में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हम दबाव की राजनीति नहीं करते हैं। प्रेशर पॉलिटिक्स करने वाले दूसरे लोग हैं, वो कर रहे हैं। हम लोग कोई दबाव की राजनीति नहीं करते हैं। उनका यह बयान अन्य सहयोगी दलों की आक्रामक मांगों के जवाब में आया है। मांझी ने जोर देकर कहा कि एनडीए एक परिवार की तरह है, जहां सबकी बात सुनी जाती है, लेकिन अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व लेगा। उन्होंने चिराग पासवान पर अप्रत्यक्ष निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग 35-40 सीटों की मांग कर रहे हैं, लेकिन गठबंधन में संतुलन जरूरी है। मांझी का यह रवैया एनडीए में शांति बनाए रखने का संकेत देता है। मांझी ने सीट शेयरिंग पर किया, “जब एनडीए की बैठक होगी, एनडीए की बैठक में हम लोग बात करेंगे। बिहार चुनाव से पहले होने वाली इस बैठक में सभी घटक दल अपनी बात रखेंगे। सूत्रों के अनुसार, यह बैठक अगले कुछ दिनों में हो सकती है। जहां जेडीयू, बीजेपी, एलजेपी(आरवी), हम और अन्य छोटे दलों के बीच सीटों का बंटवारा फाइनल होगा। मांझी ने कहा कि 2020 के चुनाव की तरह इस बार भी एनडीए मजबूत रहेगा। उन्होंने एनडीए के नेतृत्व, खासकर नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की तारीफ की, जो गठबंधन को एकजुट रखने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
हम अभी राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त पार्टी नहीं है। मांझी ने कहा कि हमारी वैसी कोई मांग नहीं है अभी। हम रजिस्टर्ड पार्टी हैं, और हमें इतनी सीटें मिलें, जिससे हमारी पार्टी मान्यता प्राप्त हो जाए। उसके लिए 8 सीट जीतकर आना चाहिए, चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, किसी पार्टी को राष्ट्रीय मान्यता के लिए कम से कम 6 विधानसभा सीटें जीतनी पड़ती हैं। मांझी ने 8 सीटों का जिक्र करते हुए कहा कि अगर इतनी सीटें मिलीं, तो वे सभी जीत लेंगे। क्योंकि 2020 में हम को 7 सीटें मिली थीं, जिनमें से 4 पर जीत हुई थी। मांझी का यह बयान उनकी पार्टी के लिए न्यूनतम है, लेकिन व्यावहारिक मांग को दर्शाता है। मांझी ने उत्साह से कहा कि 8 सीट मिलेगी तो आठ सीट जीतेंगे। ज्यादा सीट मिलेगी तो हम ज्यादा सीट जीतेंगे। यह बयान उनकी पार्टी के मजबूत आधार को रेखांकित करता है। हम मुख्य रूप से महादलित और पिछड़े वर्गों में लोकप्रिय है। मांझी ने दावा किया कि अगर ज्यादा जिम्मेदारी दी गई, तो वे एनडीए की जीत में बड़ा योगदान देंगे। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे तैयार रहें, क्योंकि गठबंधन की जीत सबकी जीत होगी। यह बयान एनडीए के अन्य दलों को आश्वस्त करने वाला है, जो सीट बंटवारे में संतुलन बनाए रखना चाहते हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सहयोगी दल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) ने सीट बंटवारे को लेकर अपनी मांग को और मजबूत कर दिया है। केंद्रीय मंत्री और हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने दावा किया है कि उनकी पार्टी को 20 से 40 सीटें मिलनी चाहिए, ताकि पार्टी कम से कम आठ सीटें जीतकर
उनकी पार्टी हम कोराष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता प्राप्त पार्टी का दर्जा हासिल कर सके।
उधर, जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं। इसके लिए उन्होंने दो विधानसभा सीटों का भी नाम लिया है, लेकिन सवाल यही है कि उनके लिए सियासी मुफीद कौन सीट होगी?बिहार विधानसभा चुनाव की लड़ाई एनडीए और महागठबंधन के बीच सिमटती जा रही है, जिसे जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं। प्रशांत किशोर ने बिहार तक कॉन्क्लेव के कार्यक्रम में अपने चुनाव लड़ने के पत्ते खोलकर सियासी तपिश बढ़ा दी है। उन्होंने कहा कि अगर पार्टी तय करती है कि मुझे चुनाव लड़ना है तो लड़ेंगे। जब से राजनीति में आए हैं, उसके बाद से ही सवाल उठ रहे हैं कि 2025 में बिहार की किस सीट से वो किस्मत आजमाने उतरेंगे। पीके ने कहा है कि अगर वो चुनाव लड़ेंगे तो अपनी जन्मभूमि या फिर कर्मभूमि से। पीके ने कहा कि मैं खुद लोगों से कहता हूं कि दो जगह से चुनाव लड़ना चाहिए। अगर चुनाव लड़ना पड़ेगा तो मैं अपनी जन्मभूमि या कर्मभूमि से चुनाव लडूंगा।
पीके ने कहा कि जन्मभूमि के हिसाब से देखें तो मुझे सासाराम की करगहर सीट से लड़ना चाहिए। अगर कर्मभूमि के हिसाब से देखें तो बिहार की कर्मभूमि तो वैशाली जिले की राघोपुर ही होना चाहिए। इसके अलावा बाकी जगह से चुनाव लड़ने का कोई मतलब नहीं। ऐसे में सवाल उठता है कि प्रशांत किशोर के लिए कौन सी सीट मुफीद रहेगी?बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं। पीके अभी तक खुद के चुनाव लड़ने पर किसी तरह का बयान देने से बचते रहे हैं, लेकिन अब को साफ कर दिया कि यदि पार्टी कहेगी तो चुनाव लड़ेंगे। करगहर विधानसभा सीट ब्राह्मण, राजपूत और ओबीसी बहुल सीट है। यहां 2020 के चुनाव में कांग्रेस से संतोष मिश्रा विधायक बने थे और जेडीयू के वशिष्ठ सिंह दूसरे नंबर पर रहे थे। कांग्रेस से एक बार फिर संतोष मिश्रा के चुनाव लड़ने की पूरी संभावना है, लेकिन विपक्ष ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। जेडीयू से नीतीश कुमार के करीबी दिनेश राय के चुनाव लड़ने की चर्चा है। कुल मिलाकर चुनाव दिलचस्प होने जा रहे हैं।(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)