राजनीति

यूपी का विभाजन करेंगी मायावती!

 

चुनाव के समय राजनीतिक दल तरह-तरह के वादे करते हैं। चुनाव आयोग ने मतदाताओं को लालच देने पर आचार संहिता का उल्लंघन बताया है, इसलिए अब उपहार बांटने की घोषणा नहीं की जाती है लेकिन सामूहिक रूप से लोगों को आकर्षित करने का प्रयास किया जाता है। किसानों को कर्ज माफ करने का आश्वासन दिया जाता है तो युवाओं को रोजगार देने की गारंटी दी जाती है। इस बार 18वीं लोकसभा के चुनाव मंे भी इस तरह के वादे किये जा रहे हैं। देश को सबसे ज्यादा सांसद देने वाले राज्य उत्तर प्रदेश मंे भाजपा ने जहां अपने कुछ पुराने और नये सहयोगियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का गठबंधन किया तो प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस और कुछ छोटे दलों को एक मंच पर खड़ा किया है। उधर, प्रदेश मंे पांच बार सरकार बना चुकी बसपा ने अकेले दम पर चुनाव की रणनीति बनायी और भाजपा के साथ सपा, कांग्रेस पर भी हमला बोल रही हैं। बसपा प्रमुख मायावती ने केन्द्र में अपनी सरकार बनने पर यूपी का विभाजन करने का भी आश्वासन दिया है। बसपा सुप्रीमों मायावती ने गत 14 मई को जालौन सीट पर बसपा प्रत्याशी सुरेश चंद्र गौतम के पक्ष मंे प्रचार करते हुए जनसभा को संबोधित किया था। इसी जनसभा में उन्हांेने कहा केन्द्र मंे उनकी पार्टी बसपा की सरकार बनी तो बुंदेलखंड को अलग राज्य का दर्जा दिया जाएगा। इससे पहले बसपा प्रमुख अवध प्रदेश की बात भी कर चुकी हैं। अभी पिछले दिनों उन्हांेने अपने भतीजे आकाश आनंद को जिस तरह सभी पदों से हटाया है, उससे उनके कड़क फैसले लेने की क्षमता का एहसास सभी को हो चुका है। अब यूपी का विभाजन कर अलग राज्य बनाने के आश्वासन का उत्तर प्रदेश के मतदाताओं पर क्या प्रभाव पड़ता है, यह तो 4 जून के बाद ही पता चल सकेगा।

बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने गत 14 मई लोकसभा चुनावों में बसपा को प्रदेश में तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश करते हुए सत्तापक्ष व विपक्षी गठबंधन पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि इस बार बसपा के बगैर केंद्र में किसी की सरकार नहीं बन पाएगी। मायावती ने अपने पुराने गढ़ में वापसी की राह बनाते हुए एक बार फिर बुंदेलखंड राज्य बनाने का समर्थन किया। जालौन और झांसी लोकसभा क्षेत्र के बसपा प्रत्याशियों के समर्थन में संयुक्त चुनावी सभा को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा कि केंद्र की सत्ता में भाजपा इस बार आसानी से नहीं आ पाएगी। गरीबों व मध्यम वर्गीय लोगों के लिए सरकार ने कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा कि बसपा को केंद्र में आने से रोकने के लिए सभी दल मिल चुके हैं। केंद्र सरकार द्वारा दिए जा रहे राशन पर उन्होंने कहा कि राशन आरएसएस और भाजपा का नहीं है। बसपा अध्यक्ष ने अलग बुंदेलखंड राज्य का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार वादा कर रही है, लेकिन बुंदेलखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाने के लिए बहुजन समाज पार्टी आज भी कटिबद्ध है।

बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने इससे पूर्व सहारनपुर से चुनावी सभा की शुरुआत करते हुए पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाने का वादा किया था। बहुजन समाज पार्टी अकेले लोकसभा चुनाव लड़ रही है और यूपी में चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत लगा दी है। बीएसपी प्रमुख मायावती ने अपनी पहली चुनावी सभा में उत्तर प्रदेश के विभाजन का कार्ड खेला। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद सरकार बनने पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाया जाएगा। मायावती केवल पश्चिम उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने तक ही नहीं रूकीं। उन्होंने घोषणा की कि केवल पश्चिम उत्तर प्रदेश अलग राज्य ही नहीं बनेंगे, बल्कि यहां हाईकोर्ट बैंच भी बनाया जाएगा।

यूपी को चार राज्यों में विभाजित करने की मांग की जाती रही है। ऐसे में काफी दिनों से मेरठ या पश्चिमी यूपी में किसी जिले में हाईकोर्ट बनाने की मांग भी की जा रही है। मायावती ने फिर से लोकसभा चुनाव के पहले फिर से इन दो मुद्दों को उछाल दिया है। मायावती ने सत्तारूढ़ भाजपा पर भी अपनी सभा से जमकर हमला बोला। मायावती ने कहा कि बीजेपी की सत्ता में वापसी आसान नहीं होगी, क्योंकि उनकी कथनी और करनी में अंतर है। मायावती पश्चिम यूपी पर फोकस किया है। मायावती ने लोकसभा चुनाव के टिकट के बंटवारे में सोशल इंजीनियरिंग को ध्यान में रखा है। बिजनौर में जाट और कैराना में राजपूत और मुजफ्फरनगर में प्रजापति, सहारनपुर में मुस्लिम को टिकट दिया गया है। मीरापुर के पूर्व विधायक मौलाना जमील को उत्तराखंड के हरिद्वार से उम्मीदवार बनाया गया है। बता दें कि उत्तर प्रदेश से लोकसभा की 80 सीटें हैं। यह देश में किसी भी राज्य में सर्वाधिक हैं। यूपी की राजनीति मूलतः चार हिस्सों में बंटी हुई हैं। पश्चिमी यूपी, पूर्वांचल, बुंदेलखंड और अवध। राज्य के सभी क्षेत्रों के अपने मुद्दे और अपने समीकरण हैं और हर क्षेत्र हिस्सों में अपनी तरह की राजनीति और सियासत होती है। पश्चिमी यूपी की सियासत मुस्लिम, जाट और दलित समाज के जाटव समुदाय के आसपास घूमती है। पश्चिमी यूपी में इन जातियों का बहुत ही बोलबाला है। राज्य के स्तर से सबसे ज्यादा जाति को लेकर सियासत इसी क्षेत्र में होती है। पूरे यूपी में 20 फीसदी के करीब मुस्लिम मतदाता हैं। वहीं, पश्चिमी यूपी में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 32 फीसदी है। इसी तरह पूरे यूपी में जाट समाज 4 प्रतिशत के करीब है, वहीं पश्चिम यूपी में यह करीब 17 फीसदी है। इसी तरह से पूरे राज्य में दलित वर्ग 21 फीसदी है, लेकिन पश्चिम यूपी में 26 प्रतिशत पर है। इस इलाके में करीब 80 फीसदी जाटव समुदाय के लोग हैं। ऐसे में बीजेपी आरएलडी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है और कांग्रेस और समाजवादी एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं। बसपा अकेले चुनाव लड़ रही है। बसपा की पूरी कोशिश होगी कि वह फिर अपने पुराने प्रदर्शन को दुहराए जो साल 2019 के चुनाव के दौरान उसने हासिल किए थे। इसलिए बसपा सुप्रीमो ने अपनी पहली चुनावी सभा में ही यूपी विभाजन का कार्ड खेल दिया क्योंकि पश्चिम यूपी की पांच सीटों पर पहले चरण में चुनाव है और ऐसा माना जाता है कि पश्चिम यूपी जिसकी होती है, उसकी यूपी में जीत होती है।

बीएसपी प्रमुख मायावती ने पिछले दिनों एक चैकाने वाला फैसला लेते हुए अपनी पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर और उनके उत्तराधिकारी आकाश आनंद को सभी पदों से हटा दिया था। मायावती ने लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान इतना बड़ा कदम उठाया है। इस पर आकाश आनंद ने रिएक्ट करते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया है। आकाश ने लिखा, आदरणीय बहन मायावती जी आप पूरे बहुजन समाज के लिए एक आदर्श हैं, करोड़ों देशवासी आपको पूजते हैं। आपके संघर्षों की वजह से ही आज हमारे समाज को एक ऐसी राजनैतिक ताकत मिली है, जिसके कारण बहुजन समाज आज सम्मान से जीना सीख पाया है। आप हमारी सर्वमान्य नेता हैं। आपका आदेश सिर माथे पर। भीम मिशन और अपने समाज के लिए मैं अपनी अंतिम सांस तक लड़ता रहूंगा। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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