लेखक की कलम

मायावती की चैंकाने वाली सियासत

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख और उत्तर प्रदेश की तीन बार मुख्यमंत्री रह चुकी मायावती ने स्व. कांशीराम के निर्वाण दिवस (9 अक्टूबर) पर आयोजित रैली में जिस राजनीति का परिचय दिया, उससे राजनीति के पंडित भी भौंचक रह गये। बसपा प्रमुख मायावती अर्से से एकला चलो की राह पर थीं लेकिन अब वह अपनी पार्टी को मजबूती देने के लिए भाजपा से निकटता दर्शा रही हैं। लखनऊ में कांशीराम के निर्वाण दिवस पर आयोजित महारैली में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने यूपी के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ की। उन्होंने कहा योगी आदित्यनाथ ने कांशीराम की विरासत को संवारने का कार्य किया है। इतना ही नहीं उन्होंने इस कार्य के लिए योगी सरकार का आभार जताया। इसके विपरीत 2019 में समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ लोकसभा का चुनाव लड़कर और 16 सांसद जुटाने के बावजूद सपा की जमकर आलोचना की। मायावती ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव की इस घोषणा कि कांशीराम के निर्वाण दिवस पर सपा प्रदेश भर में गोष्ठियां करेगी इसे अवसरवादी घोषणा बताया। मायावती ने कहा कि मौजूदा सरकार (योगी आदित्यनाथ की सरकार) के हम आभारी हैं क्योंकि उन्होंने हमारे बनवाए स्मारक स्थलों के रख-रखाव के लिए टिकटों से मिली धनराशि का सही उपयोग किया है। उन्होंने पूर्ववर्ती सपा सरकार पर अप्रत्यक्ष रूप से उस धनराशि को हड़पने का भी आरोप लगाया। बसपा प्रमुख ने कहा भाजपा सरकार ने पैसा दबाया नहीं है सपा जैसी नहीं है यह पार्टी। उन्हांेने अखिलेश यादव की खिंचाई करते हुए कहा कि जब ये सत्ता में होते हैं तो पीडीए (पिछड़ा, दलित व अल्पसंख्यक) भूल जाते हैं। राजनीतिक जानकारों के अनुसार बसपा प्रमुख ने योगी सरकार की तारीफ सोची-समझी रणनीति के तहत की है। यह दलित समुदाय को स्पष्ट संदेश दिया गया है।
यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बसपा संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि पर लखनऊ में बड़ी रैली की। रैली को संबोधित करते हुए मायावती ने कांशीराम के बहाने सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ और सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर जमकर निशाना साधा। मायावती ने अखिलेश से कई तीखे सवाल भी पूछे थे। बाद मंे सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बिना नाम लिए मायावती के सवालों का जवाब दिया और बसपा पर बीजेपी से सांठगांठ करने का आरोप लगाया। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर ट्वीट कर कहा कि क्योंकि ‘उनकी’ अंदरूनी सांठगांठ है जारी, इसीलिए वो हैं जुल्मकरनेवालों के आभारी। अखिलेश ने आरोप लगाया कि बसपा और मायावती ने बीजेपी से सांठगांठ की है। इसलिए मायावती योगी सरकार का आभार जता रही हैं। एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने मायावती पर कहा कि अगर जुल्म करने वालो की आभारी हैं तो ये सांठगांठ नहीं है तो क्या है? सपा प्रमुख ने कहा कि सपा सरकार आई तो रिवरफ्रंट पर कांशीराम की प्रतिमा लगायेंगे और पार्क बनायेंगे। पूर्व सीएम अखिलेश ने कहा कि कांशीराम को इटावा से सांसद बनाने में सपा का, मुलायम सिंह यादव का सहयोग रहा। मायावती की प्रतिमा उनके अलावा किसी ने लगाई तो मैंने लगाई। सपा सरकार में स्मारकों का पूरा रखरखाव हुआ। एक बार मैं एयरपोर्ट जा रहा था तो मैंने देखा स्मारक में खजूर के पेड़ सूख रहे थे तो मैंने अच्छे पिंक फूल के पेड़ लगवाए। पत्थरों का रंग काला नहीं होता अगर बीजेपी ने सही रखरखाव किया होता। हो सकता है कि बीजेपी स्मारक भी बेच दे।
अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया तब आयी जबलखनऊ में रैली को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा था कि मैं राज्य सरकार की आभारी हूं क्योंकि सरकार ने कांशीराम स्मारक की मरम्मत कराई। टिकट के पैसे अपने पास नहीं रखा। टिकट के पैसे से मरम्मत कराई। भाजपा सरकार के पहले जब सपा सरकार थी तो सपा सरकार ने पैसा दबा कर रखा था। सभी स्मारकों का बुरा हाल था। सब पैसा दबा कर रखा। तब सपा सरकार में मुख्यमंत्री को चिट्ठी भी लिखी थी कि टिकट के पैसे से स्मारक के रखरखाव करे लेकिन कुछ नहीं किया। अब सत्ता के बाहर हैं तो काशीराम के नाम पर गोष्ठी करेंगे। जब सरकार में रहते है तो पीडीए नहीं याद आता।
मायावती ने कहा कि अखिलेश यादव से पूछना चाहती हूं कि जब उनकी सरकार थी तो कांशीराम के नाम पर नगर, यूनिवर्सिटी के नाम क्यों बदले? सत्ता में नहीं रहते तो महापुरुष और पीडीए याद आता है। ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है। कांशीराम स्मारक की मरम्मत नहीं होने के वजह से यहां पुष्प नहीं अर्पित कर पा रहे थे लेकिन अब मरम्मत हो गई। पहले से ज्यादा भीड़ आई है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले दलित वोटरों में पैठ बनाने की होड़ शुरू हो गई हैं। इसीलिए 9 अक्टूबर को कांशीराम महापरिनिर्वाण दिवस के बहाने बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच रेस शुरू हो गई हैं। बसपा ने इस अवसर पर लखनऊ में एक बड़ी जनसभा की तो वहीं दलित वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए समाजवादी पार्टी ने राजधानी समेत प्रदेश के सभी जिलों में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया।
बहुजन समाज पार्टी ने अपने वोट बैंक में हुए बिखराव को रोकने के लिए लखनऊ में बड़ी जनसभा की है। बसपा सुप्रीमो मायावती खुद इस कार्यक्रम में शामिल हुईं और पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस दौरान बसपा मुखिया आकाश आनंद को आगे बढ़ाया ताकि उनके बीच युवा नेतृत्व का संदेश जा सके। बसपा की इस रैली में भारी भीड़ जुटी। इसके लिए पार्टी की ओर से कई दिनों से तैयारियां की जा रही थीं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मायावती इस रैली के जरिए अपने वोट बैंक को फिर से समेटने की कोशिश करेंगी।
वहीं, दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी की नजर भी दलितों पर टिकी है। सपा के पीडीए में डी से दलित वर्ग आता है। अखिलेश यादव लगातार बाबा साहब अंबेडकर और संविधान के नाम पर दलितों को पार्टी के साथ जोड़ने के लिए पसीना बहा रहे हैं। इसका असर 2024 लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला था, जब सपा को सबसे ज्यादा 37 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल हुई। सपा अब इसी पीडीए के सहारे 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारी भी कर रही है। इसी रणनीति के तहत सपा ने अंबेडकर जयंती पर पूरे प्रदेश में सात दिन का आयोजन किया था और अब कांशीराम के महापरिनिर्वाण दिवस पर सभाएं आयोजित कीं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव लखनऊ में पार्टी दफ्तर में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए।
लखनऊ के अलावा अन्य जिलों में भी सपा के सभी वरिष्ठ नेताओं को अपने-अपने क्षेत्र में आयोजित कार्यक्रमों में शामिल होने के निर्देश दिए गए हैं। सपा इन श्रद्धांजलि सभाओं के सहारे बहुजन समाज पार्टी के समानांतर आकर खड़े होने की कोशिश कर रही है। सपा को यह अंदाजा नहीं था कि बसपा प्रमुख योगी सरकार की तारीफ करके दलितों को एक ऐसा संदेश देंगी जिससे वे सपा से दूर हो जाएं। कहने की जरूरत नहीं कि मायावती ने अखिलेश यादव के पीडीए का खेल बिगाड़ दिया है। (अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button