यह होगी पोप को सच्ची श्रद्धांजलि

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
धार्मिक गुरु का पद बहुत ऊंचा होता है । हमारे भारतीय समाज में गुरु को गोविन्द से भी बड़ा बताया गया है। रोमन कैथोलिक चर्च के सबसे बड़े गुरु पोप फ्रांसिस के निधन पर मानवता को राह दिखाने वाले एक मसीहा का अभाव तो महसूस ही होगा। दुनिया भर में पोप को श्रद्धा सुमन अर्पित किए जा रहे हैं । उनको सबसे सच्ची श्रद्धांजलि तो यही होगी कि परमाणु हथियारों और मृत्यु दंड पर उन्होंने चर्च की जो नीति बदली है। उसको विश्व भर में कार्य रूप में परिणित किया जाए। फ्रांसिस पोप पहले पोप थे जिन्होंने अरब प्रायद्वीप और इराक का दौरा किया था। पोप की यह शिक्षा गाजापट्टी में बमों की दहशत और बच्चों महिलाओं का चीत्कार रोक सकती है। पोप की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतार कर ही हम उन्हें वास्तव में श्रद्धा अर्पित कर सकते हैं।
रोमन कैथोलिक चर्च के पहले गैर-यूरोपीय पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की उम्र में 21 अप्रैल को निधन हो गया। अर्जेंटीना में जन्मे फ्रांसिस अपनी उदार सोच, सादगी और समलैंगिकता पर नरम रुख के लिए पहचाने गए।पादरी बनने से पहले वे बाउंसर भी रहे थे। रोमन कैथोलिक चर्च के प्रमुख और अर्जेंटीना से पहले गैर-यूरोपीय पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। 13 शताब्दियों में पहली बार गैर-यूरोपीय पोप चुने गए फ्रांसिस अपने उदारवादी, राजनीतिक और विवादास्पद दृष्टिकोण के लिए जाने गए। उनके बचपन का नाम जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो था। उनका जन्म 1936 में ब्यूनस आयर्स में इतालवी प्रवासी परिवार में हुआ था। 12 साल की उम्र में उन्हें अमालिया नाम की लड़की से प्यार हो गया था। अमालिया के मुताबिक दोनों के ही माता-पिता अपने बच्चों के इतने कम उम्र में प्यार के लिए राजी नहीं थे, लेकिन फिर भी जॉर्ज ने अमालिया से शादी का प्रस्ताव रखा।
द डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक अमालिया ने हंसते हुए याद किया, ‘उन्होंने कहा कि अगर मैं हां नहीं कहूंगी तो उन्हें पादरी बनना पड़ेगा। मैंने मना कर दिया और यह उनके लिए सौभाग्य था। ’ इसे इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण रिजेक्शन के तौर पर देखा जा सकता है।क्योंकि जॉर्ज सिर्फ पादरी ही नहीं बने, बल्कि वे रोमन कैथोलिक चर्च के प्रमुख भी बने। सन 2013 में पोप चुने गए फ्रांसिस ने अपनी सादगी और अनौपचारिक शैली से दुनिया भर में प्रशंसक बनाए। उन्होंने समलैंगिकता पर उदार रुख अपनाते हुए कहा, ‘अगर कोई समलैंगिक है और भगवान को खोजता है, तो मैं उसे जज करने वाला कौन हूँ?’ फ्रांसिस ने अपने पूर्ववर्तियों, जॉन पॉल द्वितीय और बेनेडिक्ट 16 वें, की रूढ़िगत नीतियों से हटकर वामपंथी मुद्दों का भी समर्थन किया। सन 2022 में, उन्होंने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की सीधे तौर पर निंदा करने से इनकार कर दिया, जिससे विवाद हुआ। उनकी टिप्पणियां कूटनीतिक और तटस्थ थीं। उन्होंने युद्ध को क्रूर कहा था। उन्होंने चीन के साथ सुलहकारी रवैया अपनाया, जिसके कारण उन पर चीन के अंडरग्राउंड चर्चों को कम्युनिस्ट उत्पीड़न के हवाले करने का आरोप लगा।
पोप फ्रांसिस प्रथम 13 मार्च 2013 को पोंटिफ के रूप में चुने गये। वो सोसाइटी ऑफ जीसस (जेसुइट ऑर्डर) के पहले पोप थे, दक्षिणी अमेरिका से पहले पोप थे तथा 8वीं शताब्दी के सीरियाई पोप ग्रेगरी 16 के बाद यूरोप के बाहर जन्मे या पले-बढ़े दूसरे पोप थे।पोप की मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी को लेकर भी चर्चाएं तेज हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोप फ्रांसिस के निधन पर गहरा दुख जताया। पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘हिस होलिनेस पोप फ्रांसिस के निधन से गहरा दुख हुआ। इस दुख और स्मरण के समय में, वैश्विक कैथोलिक समुदाय के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं। पोप फ्रांसिस को दुनिया भर के लाखों लोग हमेशा करुणा, विनम्रता और आध्यात्मिक साहस के प्रतीक के रूप में याद रखेंगे। कम उम्र से ही उन्होंने प्रभु यीशु के आदर्शों को साकार करने के लिए खुद को समर्पित कर दिया। उन्होंने गरीबों और वंचितों की निष्ठापूर्वक सेवा की।जो लोग पीड़ित थे, उनके लिए उन्होंने आशा की भावना जगाई।मैं उनकी मुलाकातों को स्नेहपूर्वक याद करता हूँ और उनके समावेशी एवं सर्वांगीण विकास के प्रति समर्पण से बहुत प्रेरित हुआ। भारत के लोगों के प्रति उनका स्नेह हमेशा संजोया जाएगा। उनकी आत्मा को ईश्वर के आलिंगन में शाश्वत शांति प्राप्त हो। ईसाइयों के नए धर्मगुरू की रेस में लुइस एंटोनियो टैंगल फिलहाल सबसे आगे नजर आ रहे हैं। लुइस एंटोनियो की उम्र 67 वर्ष है और उन्हें सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है।वह फ्रांसिस के सबसे करीबी और विश्वसनीय लोगों में से एक हैं। पोप की गद्दी को संभालने के लिए उन्हें पर्याप्त अनुभवी समझा जाता है।
70 साल के पिएट्रो पारोलिन का नाम भी वेटिकन के शीर्ष अधिकारियों में शुमार है। 2013 से वेटिकन के विदेश मंत्री के रूप में उन्होंने कूटनीतिक मामलों में प्रमुख भूमिका निभाई है।इसमें चीन और मिडिल-ईस्ट की सरकारों के साथ संवेदनशील वार्ताएं शामिल हैं।पारोलिन फ्रांसिस के कुछ विशेष कार्यों को ध्यान में रखते हुए स्थिरता प्रदान कर सकते हैं। वेटिकन ब्यूरोक्रेसी पर उनकी मजबूत पकड़ उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाती है। 76 साल के पीटर तुर्कसन चर्च के सोशल जस्टिस सर्किल में एक जाना-माना नाम है। उन्होंने कई सामाजिक मुद्दों के खिलाफ आवाज उठाई है, जिनमें जलवायु परिवर्तन, गरीबी और आर्थिक न्याय जैसे मुद्दे शामिल हैं।तुर्कसन अगर पोप के रूप में चुने जाते हैं तो यह एक ऐतिहासिक क्षण होगा।पहले अफ्रीकी पोप गेलैसियस थे, जो 492 से 496 तक पोप के पद पर थे।रोम में अफ्रीकी माता-पिता के घर जन्मे गेलैसियस अपने धार्मिक लेखन और गरीबों के लिए दान और न्याय की मजबूत वकालत के लिए जाने जाते थे। 82 वर्षीय कार्डिनल एंजेलो स्कोला लंबे समय से पोप पद के दावेदार हैं। वे 2013 के कॉन्क्लेव में पसंदीदा लोगों में से एक थे, जिन्होंने पोप फ्रांसिस को चुना था।मिलान के पूर्व आर्कबिशप स्कोला की गहरी धार्मिक जड़ें हैं और वे उन लोगों को आकर्षित करते हैं जो अधिक केंद्रीकृत और पदानुक्रमित चर्च का समर्थन करते हैं। पोप फ्रांसिस के निधन की खबर से दुनिया भर के लाखों ईसाइयों में शोक की लहर है। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी। वेंस, जिन्होंने 20 अप्रैल 2025 को वेटिकन में उनसे मुलाकात की थी, ने गहरा दुख जताया।वेंस ने कहा, ‘कल पोप से मिला, वे बीमार थे, लेकिन उनकी कोविड के शुरुआती दिनों की वह प्रेरक उपदेश हमेशा याद रहेगी.’ वेटिकन के अनुसार, ईस्टर पर वेंस के साथ संक्षिप्त मुलाकात में पोप ने शुभकामनाएं साझा कीं। (हिफी)