उत्तराखण्ड में थम गया पलायन

उत्तराखण्ड पलायन रिपोर्ट 2023 के अनुसार 2018 से 2023 के बीच 3 लाख से अधिक लोगों ने राज्य से पलायन किया। राज्य में रोजगार के अवसरों की कमी, शिक्षा सुविधाओं का अभाव, स्वास्थ्य सेवाओं में कमी और बेहतर जीवन की तलाश में यहां के युवा बड़ी संख्या में पलायन कर रहे थे। जुलाई 2021 में जब पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली तो राज्य से पलायन की समस्या को दूर करने पर ही उन्होंने सबसे ज्यादा जोर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं ने नजदीक के क्षेत्रों में ही रोजगार की तलाश प्रारंभ कर दी। इससे राज्य से बाहर पलायन करने वालों की संख्या में जबर्दस्त कमी दर्ज की गयी। आंकड़े बताते हैं कि पिछले पांच साल में दूसरे प्रदेशों में रोजगार के लिए स्थायी तौर पर पलायन करने वालों की संख्या में लगभग 7 फीसद की कमी आ गयी। यह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की नीतियों का नतीजा माना जा रहा है। युवा ग्रामीण क्षेत्र से शहर की तरफ भागे हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है। पलायन आयोग की रिपोर्ट बताती है कि 16 प्रतिशत ग्रामीण युवा नजदीकी कस्बों में पहुंचे और रोजगार कर रहे हैं।
पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 2018 में ग्रामीण क्षेत्रों में 28.72 प्रतिशत लोगों ने दूसरे प्रदेशों में पलायन किया था। इसी आयोग की 2023 की रिपोर्ट बताती है कि पलायन करने वालों की संख्या घटकर 21.80 फीसद रह गयी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य की अर्थ व्यवस्था का आकार 26 गुणा बढ़ा दिया है। इससे प्रति व्यक्ति आय 17 गुनी बढ़़ी है। राज्य गठन के समय वर्ष 2000 में अर्थ व्यवस्था का आकार 14501 करोड़ था जो 2024-25 में बढ़कर 378240 करोड़ हो गया है। धामी सरकार ने राज्य में आयोजित ग्लोबल इंवेस्टर समिट में 3.56 लाख करोड़ के मेमोरेन्डम आफ अंडर स्टैंडिंग (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये और राज्य में 1 लाख करोड़ से अधिक का निवेश भी हो चुका है। इससे युवाओं को रोजगार मिला और पलायन रुका है। अब युवा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से स्वरोजगार को विकल्प बना रहे हैं। स्थानीय संसाधनों के माध्यम से युवा स्वरोजगार प्रारंभ कर रहे हैं।
उत्तराखंड के ग्रामीण विकास और पलायन निवारण आयोग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि पिछले पांच वर्षों में उत्तराखंड के गांवों से स्थायी पलायन की दर में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। राज्य सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में आयोग ने कहा है कि 2008 से 2018 तक की दस वर्षों की अवधि में 1,18,981 लोगों ने अपने गांवों से स्थायी रूप से पलायन किया था जबकि जनवरी 2018 से सितंबर 2022 के बीच स्थायी पलायन करने वालों की संख्या घटकर 28,531 रह गई।
आयोग के उपाध्यक्ष एस.एस. नेगी ने स्थायी पलायन में दर्ज की गयी इस गिरावट का श्रेय राज्य के बाहर जाकर जीवन यापन करने की बजाय घर पर उपलब्ध स्व-रोजगार के साधनों का लाभ उठाने के प्रति स्थानीय लोगों के बढ़ते रुझान को दिया। नेगी ने कहा, ‘‘पारंपरिक कृषि परिदृश्य अभी भी पांच साल पहले जितना ही निराशाजनक है लेकिन लोग अपना घर छोड़ने की बजाय मत्स्य पालन, मुर्गीपालन और डेयरी फार्मिंग क्षेत्रों में उपलब्ध अवसरों से जीवनयापन करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना जैसी योजनाओं ने भी उन्हें घर पर स्वरोजगार के सर्वश्रेष्ठ मौकों का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अल्मोड़ा, टिहरी और पौड़ी स्थायी पलायन का दंश झेलने वाले सर्वाधिक प्रभावित जिलों में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि अस्थायी पलायन का भी एक सकारात्मक पहलू है क्योंकि यह राज्य से बाहर नहीं बल्कि इसकी सीमा के भीतर ही हुआ है। उत्तराखंड पलायन रिपोर्ट 2023 के अनुसार, 2018 से 2022 के बीच 3.3 लाख से अधिक लोगों ने राज्य से पलायन किया, हालाँकि पलायन की दर में गिरावट दर्ज की गई है। पलायन के मुख्य कारणों में रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, और बेहतर जीवन स्तर की तलाश शामिल है।
धामी सरकार की रोजगार योजनाओं में युवाओं के लिए सरकारी नौकरी के अवसर और कौशल विकास पर जोर दिया गया है, जिसमें मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन एवं वैश्विक रोजगार योजना के तहत जापान जैसे देशों में रोजगार, तथा मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के माध्यम से उद्यमिता को बढ़ावा देना शामिल है। इसके अलावा, भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता लाने के लिए सख्त नकल विरोधी कानून लागू किया गया है।
मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन एवं वैश्विक रोजगार योजना के तहत युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देकर विदेश में रोजगार के अवसर प्रदान किए जाते हैं। 9 नवंबर 2022 को शुरू हुई इस योजना के तहत कई युवाओं को जापान
जैसे देशों में नौकरी मिली। धामी सरकार का दावा है कि पिछले चार वर्षों में 25,000 से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी मिली है। पेपर लीक को
रोकने और भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता लाने के लिए एक सख्त नकल विरोधी कानून लागू किया गया है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना राज्य के उद्यमियों, प्रवासियों, कारीगरों और बेरोजगारों को अपना उद्यम स्थापित करने के लिए प्रेरित करती है। इस योजना में परियोजना लागत का 15 फीसद या 30 फीसद
तक मार्जिन मनी सहायता प्रदान की जाती है।
धामी सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा दिया। पर्यटन को 365 दिन चलने वाला उद्योग बनाने के प्रयास से भी रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं। चार जुलाई 2021 को कार्यभार ग्रहण करने के बाद धामी सरकार ने युवाओं को रोजगार और स्किल प्रदान करने पर विशेष तौर पर फोकस किया। इस दौरान रिकॉर्ड 25 हजार युवाओं का चयन सरकारी सेवा में हुआ है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के चार साल के कार्यकाल में युवा वर्ग सबसे बड़ा लाभार्थी बनकर उभरा है। इस दौरान रिकॉर्ड 25 हजार युवाओं का चयन सरकारी सेवा में हुआ है। इसी क्रम में जनजाति कल्याण विभाग के राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालयों में चयनित 15 सहायक अध्यापकों को नियुक्ति पत्र प्रदान किए गए। इस दौरान लोक सेवा आयोग, उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, चिकित्सा सेवा चयन आयोग के जरिए 25 हजार से अधिक युवाओं को सरकारी सेवाओं में स्थायी रोजगार प्रदान किया जा चुका है। उत्तराखंड लोकसेवा आयोग, अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड के स्तर पर अभी कई विभागों की भर्ती प्रक्रिया जारी है। कुछ मामलों में जल्द ही अंतिम चयन संस्तुति की जाने वाली है, इस कारण कुल स्थायी नौकरियों का यह आंकड़ा अभी और बढ़ने वाला है।
मौजूदा सरकार ने 9 नवंबर 2022 से मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन एवं वैश्विक रोजगार योजना शुरु की है, इसके लिए युवाओं को आतिथ्य, नर्सिंग, ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में प्रशिक्षण प्रदान करते हुए जर्मनी और जापान में रोजगार प्रदान किया जा रहा है। योजना के तहत अब तक 154 युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है, जिसमें से 37 को जापान में रोजगार प्रदान किया जा चुका है। धामी सरकार ने 2024 में सख्त नकल विरोध कानून लागू करते हुए, नकल माफिया की कमर तोड़ने का
काम किया है। इसके बाद से एक भी परीक्षा में पेपरलीक नहीं हुआ है, यही नहीं धामी सरकार पेपर लीक में शामिल 100 से अधिक माफिया का जेल भी भेज चुकी है। (अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)



