राजनीति

बारूद के ढेर पर मिजोरम

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच संघर्ष के दुष्प्रभाव पड़ोसी राज्य मिजोरम पर भी पड़ने लगे है। मिजोरम में इसी साल के अंत तक विधान सभा चुनाव होने हैं। यहां पर 2018 में 40 सदस्यीय विधान सभा के लिए चुनाव हुए थे। पूर्व में सत्तारूढ़ रही कांग्रेस को सिर्फ 5 विधायक मिल पाये थे। क्षेत्रीय मोर्चा मिजो नेशनल फ्रंट एमएनएफ, को 26 विधायक मिले और उसने सरकार बनायी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सिर्फ 1 विधायक मिला था लेकिन वह सरकार में शामिल है। निर्दलीय व अन्य 8 विधायक हैं। इस प्रकार क्षेत्रीय दलों की सरकार वाले राज्य मणिपुर में जब 3 मई को जातीय संघर्ष हुआ था, तभी 12 हजार से अधिक कुकी जोमी लोगों को मिजोरम के मुख्य निवासी मिजो लोगों ने आश्रय दिया था। मिजोरम में लगभग 1500 मैतेई परिवार रहते है। मणिपुर में कुकी समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सामूहिक दुराचार के वीडियों प्रदर्शन के बाद मिजोरम में आग भड़कने लगी है। मिजोरम के पूर्व विद्रोहियों ने सार्वजनिक आह्वान किया कि मैतेई समुदाय के लोग अपना आश्रय कहीं और खोज लें। इसी के बाद सैकड़ांे मैतेई समुदाय के लोगों के मिजोरम छोड़ने की खबरें आ रही हैं। हालांकि सरकार और प्रभावशाली सिविल सोसायटी ग्रुप सेंट्रल यंग मिजो एसोसिएशन ने मैतेई लोगों को सुरक्षा का आश्वासन दिया है लेकिन मैतेई समुदाय में दहशत कम नहीं हो रही है। इस प्रकार मुख्यमंत्री जोराम थंगा का दायित्व बढ़ गया है।
मिजोरम में पूर्व विद्रोहियों के सार्वजनिक आह्वान के बाद दक्षिणी असम और मणिपुर के सैकड़ों मैतेई समुदाय के लोगों के मिजोरम छोड़ने की रिपोर्ट आई। इस पर मिजोरम सरकार ने तुरंत राज्य में निवास कर रहे मैतेई समुदाय के लोगों को सुरक्षा का आश्वासन दिया। मिजोरम में एक पूर्व उग्रवादी संगठन की सलाह के कारण मैतेई समुदाय के लोग पलायन की तैयारी करने लगे। इस पर सरकार का मैतेई समुदाय को सुरक्षा देने का संकल्प सामने आया। यह सलाह मणिपुर में भीड़ द्वारा दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाने की घटना का एक वीडियो वायरल होने के बाद बढ़े तनाव के जवाब में थी।
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, राज्य के गृह आयुक्त एवं सचिव एच लालेंगमाविया ने मैतेई समुदाय के नेताओं के साथ बैठक की और उन्हें उनकी सुरक्षा का आश्वासन दिया. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, मिजोरम में लगभग 1,500 मैतेई परिवार रहते हैं और वे राज्य में कई स्थानों पर काम करते हैं। मैतेई लोगों के परिवहन के विभिन्न साधनों का इस्तेमाल करके प्रदेश की राजधानी आइजोल छोड़ने की कई रिपोर्टें आई हैं।
प्रभावशाली सिविल सोसायटी ग्रुप सेंट्रल यंग मिजो एसोसिएशन ने भी मैतेई लोगों को शांति से रहने के लिए प्रोत्साहित किया है। मिजो छात्र संघ ने राज्य सरकार के साथ चर्चा के बाद मिजोरम में मैतेई के बारे में डेटा एकत्र करने के अपने प्रस्तावित अभियान को रोकने का फैसला किया है। मणिपुर में दो कुकी महिलाओं के यौन उत्पीड़न की घटना का वीडियो वायरल होने के बाद मिजोरम में आक्रोश फैल गया। इससे मिजोरम में रहने वाले मैतेई के छोटे समुदाय में दहशत फैल गई।
मणिपुर सरकार ने हालात बिगड़ने पर चार्टर्ड फ्लाइट के जरिए उन्हें राज्य से निकालने की इच्छा जताई है। हालांकि अभी तक मैतेई समुदाय पर किसी हमले की सूचना नहीं मिली है।
मिजोरम के मिजो लोगों के मणिपुर के कुकी-जोसी के साथ गहरे जातीय संबंध हैं। तीन मई को हिंसा भड़कने के बाद मणिपुर से भागे 12,000 से
अधिक कुकी-जोमी लोगों को उन्होंने आश्रय दिया है और उनकी देखभाल कर रहे हैं। पीस एकॉर्ड एमएनएफ रिटर्नीज एसोसिएशन ने एक बयान जारी किया, जिसमें सुझाव दिया गया कि मैतेई को अपनी सुरक्षा के लिए मिजोरम छोड़ देना चाहिए।
संगठन पीएएमआरए ने पड़ोसी राज्य में दो महिलाओं से जुड़ी घटना पर मिजो युवाओं के बीच गुस्से को इसका कारण बताया। उन्होंने कहा कि मिजोरम में मैतेई लोगों के खिलाफ किसी भी संभावित हिंसा की जिम्मेदारी पूरी तरह से उनकी होगी। पीएएमआरए के अनुसार, मिजोरम में स्थिति तनावपूर्ण हो गई है और मणिपुर के मैतेई लोगों के लिए मिजोरम में रहना अब सुरक्षित नहीं है। उन्होंने सुरक्षा उपाय के तौर पर मिजोरम के सभी मैतेई लोगों से अपने गृह राज्य लौटने की अपील की। मणिपुर में जातीय झड़पों के चलते कम से कम 125 लोगों की मौत हो गई है और तीन मई को हिंसा भड़कने के बाद से 40,000 से अधिक लोग अपने घर छोड़कर भाग गए हैं। आर्थिक लाभ और जनजातियों को आवंटित कोटा को लेकर विवाद के कारण कुकी आदिवासी समूह और गैर-आदिवासी जातीय बहुसंख्यक मैतेई के बीच संघर्ष की घटनाएं हुई हैं।
हालांकि शुरुआत में केंद्र सरकार ने 32 लाख लोगों वाले राज्य में हजारों अर्धसैनिक बल के जवानों और सेना की टुकड़ियों को तैनात करके हिंसा को रोक दिया गया था, हथियार भी जमा कराए गये लेकिन इसके बाद भी छिटपुट हिंसा फिर से शुरू हो गई। राज्य में तनाव बना हुआ है। मिजोरम विधानसभा चुनावों में बड़ी जीत दर्ज करने वाले मिजो नैशनल फ्रंट (एमएनएफ) के जोरामथांगा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। जोरामथांगा इससे पहले दो बार मिजोरम के मुख्यमंत्री रहे हैं।
राज्य में इससे पहले कांग्रेस की सरकार थी और पी. लालथनहवला लगातार दो बार मुख्यमंत्री रहे। हालांकि इस बार चुनाव में वह दो सीट से चुनाव लड़ रहे थे और दोनों से हार गए। राज्यपाल के. राजशेखरन ने राजधानी आइजॉल में राजभवन में एक समारोह के दौरान जोरामथांगा को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। जोरामथांगा ने मिजो भाषा में शपथ ली। पूर्वोत्तर राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर यह उनका तीसरा कार्यकाल है। उन्होंने साल 1998 और 2003 में मिजोरम में एमएनएफ सरकार का नेतृत्व किया था। तॉनलुइया राज्य के उपमुख्यमंत्री बने हैं। जोरामथांगा के साथ 11 अन्य मंत्रियों ने भी शपथ ली। इनमें पांच कैबिनेट मंत्री और छह राज्यमंत्री शामिल हैं।
पांच कैबिनेट मंत्रियों के नाम हैं- तॉनलुइया, आर लालथंगलियाना, लालचमलियाना, लालजिरलियाना और लालरिनसांगा। छह राज्य मंत्री हैं- के लालरिनलियाना, लालचंदामा राल्टे, लालरुआतकिमा, डॉ. के बेइचुआ, टी जे लालनुंत्लुआंगा और रॉबर्ट रोमाविया राल्टे। राज्य में 16 प्रमुख गिरिजाघरों के समूह एमकेएचसी के अध्यक्ष रेव आर लालमिंगथांगा ने समारोह के दौरान बाइबल पढ़ी और प्रार्थना की।
विधानसभा चुनाव में एमएनएफ ने 26, कांग्रेस ने 5, बीजेपी ने 1 और निर्दलीय प्रत्याशियों ने 8 सीटों पर जीत दर्ज की। बता दें कि मिजोरम पूर्वोत्तर का इकलौता राज्य था जहां चुनाव से पहले कांग्रेस की सरकार थी। (हिफी)

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