मोदी मित्र मुस्लिम बुद्धिजीवी

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जब से केन्द्र में सरकार संभाली है, तब से अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों को लेकर भेदभाव का आरोप लगाया जाता है। विपक्षी दलों ने इसे राजनीतिक मुद्दा ही बना लिया है। कुछ कथित मुस्लिम नेता और कथित बुद्धिजीवी भी यहां तक कहने लगे कि मुसलमानों को संदेह की नजर से देखा जा रहा है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को
56 मुस्लिम देशों के संगठन-इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने संयुक्त रष्ट्र संघ में विश्व योग दिवस मनाने के प्रस्ताव पर समर्थन दिया था, जबकि पाकिस्तान विरोध कर रहा था। फिर भी मुसलमानांें को लेकर मोदी सरकार पर जो राजनीतिक आरोप लगाए गये, उनका निवारण करने का प्रयास किया जा रहा है। भाजपा की तरफ से 150 मुस्लिम बुद्धिजीवियों को ‘मोदी मित्र’ का सर्टिफिकेट दिया जाएगा। लगभग एक साल पहले भी जब उत्तर प्रदेश मंे मदरसों के सर्वे का निर्देश योगी आदित्यनाथ की सरकार ने दिया था, तब दारुम उलूम के बुद्धिजीवियों ने सरकार के साथ समर्थन करने का फतवा जारी किया था। भाजपा के इस ताजे फैसले मंे भी राजनीति को देखा जा रहा है। उत्तर प्रदेश की 65 लोकसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 30 फीसदी से ज्यादा है। लगभग सवा तीन लाख मुस्लिम बुद्धिजीवी मोदी मित्र अगर 65 लोकसभा सीटों पर अपना प्रभाव दिखा सके तो भाजपा का यूपी में मिशन-80 सफल हो जाएगा।
उत्तर प्रदेश के देवबंद में भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चे की अहम बैठक 22 जून को हुई। देवबंद में इस्लामिक शिक्षा का बड़ा केंद्र दारुल उलूम है। देवबंद में करीब 150 मुस्लिम बुद्धिजीवियों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित लोगों को मोदी मित्र नाम का सर्टिफिकेट दिया गया। देवबंद विधानसभा सहारनपुर लोकसभा सीट में आती है। पिछले चुनाव में सहारनपुर लोकसभा सीट पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। बताया जाता है कि लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा 3.25 लाख मोदी मित्र बनाएगी। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा उत्तर प्रदेश के 65 लोकसभा क्षेत्रों में मोदी मित्र बना रही है। इन लोकसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 30 फीसदी से ज्यादा है। भाजपा ने इसके लिए हर एक विधानसभा में पांच हजार मोदी मित्र बनाने का लक्ष्य रखा है।
मुस्लिम बुद्धिजीवी भाजपा के समर्थन में जब-तब खड़े होते रहे हैं। लगभग साल भर पहले उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के देवबंद स्थित इस्लामी शिक्षण संस्था दारुल उलूम ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराने के फैसले की तारीफ की थी। साथ ही कहा कि उचित तरीके से काम नहीं कर रहे इक्का-दुक्का मदरसों की कार्यप्रणाली को देखकर पूरे तंत्र पर आरोप नहीं लगाए जाने चाहिए। बैठक में शामिल जमीयत-उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने इस मौके पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा था कि अगर किसी सरकारी जमीन पर कोई मदरसा बना है तो उसे खुद ही हटवा लिया जाए। देवबंद की मशहूर मस्जिद रशीद में आयोजित सम्मेलन में दारुल उलूम ने प्रदेश सरकार द्वारा गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे किये जाने को लेकर अपना रुख स्पष्ट कर दिया था। इस सम्मेलन में उत्तर प्रदेश के विभिन्न मदरसों से आए प्रबंधकों और उलमा ने हिस्सा लिया। सम्मेलन के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए मौलाना अरशद मदनी ने कहा था कि सरकार द्वारा कराए जा रहे सर्वे पर किसी को कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा, “हम सरकार के सर्वे की तारीफ करते हैं और अभी तक इसकी जो तस्वीरें आई हैं, वे सही हैं।”मदनी ने एक सवाल के जबाव में यह भी कहा कि अगर किसी सरकारी जमीन पर कोई मदरसा गैर कानूनी तरीके से बना हुआ है और न्यायालय द्वारा उसे अवैध घोषित किया जाता है तो मुसलमानों को चाहिये कि वे खुद ही उसे हटा लें, क्योंकि शरीयत इसकी इजाजत नहीं देती। मदनी ने मदरसा संचालकों से सर्वे में सहयोग का आह्वान किया और कहा कि मदरसों के अंदर कुछ भी छिपा नहीं है और इनके दरवाजे सबके लिए हमेशा खुले हुए हैं। उन्होंने कहा कि मदरसे देश के संविधान के तहत चलते हैं, इसलिए मदरसा संचालक उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कराये जा रहे सर्वे में सहयोग करते हुए सम्पूर्ण और सही जानकारी दें। जमीयत-उलमा-ए-हिंद के
अध्यक्ष ने कहा कि मदरसों का सर्वे करना सरकार का हक है और इस कार्य में मदरसा प्रबंधकों को सहयोग करना चाहिए लेकिन यदि कोई मदरसा सरकारी जमीन पर हो तो उसे खुद तोडे़। मदरसा देश के संविधान के खिलाफ नहीं है और यदि एक-दो मदरसे उचित तरीके से काम नहीं कर रहे हैं तो उसके लिए पूरे मदरसा तंत्र पर आरोप नहीं लगाए जाने चाहिए। मदरसों के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए सर्वे में सहयोग करने तथा मदरसों के बारे में सही और संपूर्ण जानकारी देने की अपील की गई थी।
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में संचालित हो रहे सभी गैर-मान्यता प्राप्त निजी मदरसों के सर्वेक्षण का 31 अगस्त 2022 को आदेश दिया था। इसके लिए 10 सितंबर तक टीम गठित करने का काम खत्म कर लिया गया है। आदेश के मुताबिक, 15 अक्टूबर तक सर्वे पूरा करके 25 अक्टूबर तक रिपोर्ट सरकार को सौंपने को कहा गया था। प्रदेश में उस वक्त लगभग 16 हजार निजी मदरसे संचालित हो रहे थे, जिनमें विश्व प्रसिद्ध इस्लामी शिक्षण संस्थान नदवतुल उलमा और दारुल उलूम देवबंद भी शामिल थे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी कई मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात की है। उनसे प्रमुख से मिलने वालों में पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एस.वाई. कुरैशी और दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग समेत कई मुस्लिम बुद्धिजीवी शामिल थे। यह बैठक ऐसे समय में हुई जब ज्ञानवापी मस्जिद के मुद्दे पर अदालतों में सुनवाई हो रही थी। बैठक में देश में सांप्रदायिक सद्भाव को मजबूत करने के लिए एक मंच बनाने का निर्णय लिया गया था। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जमीरुद्दीन शाह, पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी और परोपकारी सईद शेरवानी भी उन मुस्लिम बुद्धिजीवियों में शामिल थे, जिन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिल्ली स्थित अस्थायी कार्यालय उदासीन आश्रम में बंद कमरे में मोहन भागवत से मुलाकात की। दो घंटे तक चली बैठक के दौरान सांप्रदायिक सौहार्द को मजबूत बनाने और अंतर-सामुदायिक संबंधों में सुधार पर व्यापक चर्चा हुई थी।
इस प्रकार मुसलमानों के मन में भरे भ्रम को दूर करने और सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास का नारा कार्यरूप मंे परिणित किया जा रहा है। (हिफी)